जिले में खुद को राजनैतिक साजिश का शिकार मान रहे पिछड़े लोग अपना परचम लहराने की रणनीति बनाने की तैयारी में हैं। जिले के प्रथम जिला पंचायत अध्यक्ष स्वर्गीय शिवकरन यादव के बाद पिछलग्गू की श्रेणी में आ गये पिछड़ों के मन में नेतृत्व की कुलबुलाहट हिलोर मारने लगी है। भिन्न भिन्न गुटों दलों और जनप्रतिनिधियों के कथित चाल के मोहरे बने पिछड़ा वर्ग के बिखरे विभिन्न कुनबों को एक मंच पर लाने और बड़ी ताकत बनकर उभारने की योजना है। इसकी शुरूआत सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर फौलादी संकल्प के रूप में हो सकती है।
पिछड़े वर्ग के नेताओं युवाओं और ग्राम पंचायत से जिला पंचायत स्तर तक पिछड़े वर्ग के चयनित जन प्रतिनिधियों को एकजुट करने की जिम्मेदारी सपा नेता डा. आर.के. पटेल और पूर्व ब्लाक प्रमुख विकास यादव को सौंपी जा सकती है। सूत्रों की मानें तो इसके लिये गुप चुप बैठकें और विचार मंथन हो रहा है। जिसमें सपा के युवा प्रकोष्ठ के कुछ शीर्ष पदाधिकारी युवा जिला पंचायत सदस्य जोर शोर से लगे हुये हैं। शिवकरन यादव के पुराने साथी भी ताकत लगायें हुये हैं। हालांकि अभी कोई खुलकर बोलने से परहेज कर रहा है। किन्तु कुरेदने पर यह कहने से संकोच भी नहीं करता कि जिस जिले में 70 प्रतिशत से अधिक तादात पिछड़ें वर्ग की हो और उसे वहां अपने हित की आवाज उठाने का उसका कोई चेहरा न हो। तो लोकतंत्र में इससे बड़ा तमाचा और क्या हो सकता है।
चर्चा के दौरान डा. आर के पटेल ने कहा कि यह कहने कि नहीं बल्कि सोचने की बात है। जिस जिले में स्थानीय नेतृत्व को दबाकर बाहरी लोगों की अगुवाई स्वीकार करने की गुलाम प्रवृत्ति गहरे तक जड़ जमायी हो उस जिले में पिछड़े, अति पिछड़े अथवा दलितों को हासिये पर रखना कोई बड़ी बात नहीं। इसके लिये कोई और नहीं बल्कि हम खुद जिम्मेदार हैं। डा. पटेल ने याद दिलाया कि 90 के दशक में स्व. शिवकरन यादव का नेतृत्व जिस तेवर से आगे बढ़ा उससे पिछड़ों का रास्ता प्रदेश में बड़ी भूमिका के लिये खुला दिखने लगा था। किन्तु साजिश के तहत तत्कालीन पिछड़े नेताओं को ही ढाल बनाकर जिस तरह शिवकरन समेत अन्य पिछड़े नेताओं को पीछे दबाने की सफल साजिश शुरू हुई वह आज तक जारी है।
उन्होंने बताया कि पूर्व मंत्री एवं सांसद रामरती बिन्द, पूर्व मंत्री रामकिशोर बिन्द, पूर्व विधायक शारदा बिन्द, पारसनाथ मौर्य, शोभनाथ यादव, ओम प्रकाश यादव, पन्नालाल यादव, मेवालाल यादव विकास यादव समेत अन्य पिछड़े नेताओं के साथ क्या और साजिशन हो रहा है। यह किसी से छुपा नहीं है। उन्होंने स्वीकारा कि अब और इंतजार करना भावी पीढ़ी को राजनीतिक शून्यता की तरफ ढकेलने जैसा है। बताया कि पिछड़ों को आगे बढ़कर फिर से एकजुटता की राह पकड़नी होगी। जिसमें पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वहारा लोगों की एकता जरूरी है। डा. पटेल ने कहा इसके लिये एक ऐसे संकल्प की जरूरत है जिसे किसी बरगलाहट धौंस अथवा धमकी प्रभावित न कर सके। जो सिर्फ संकल्प ही न होकर फोलादी संकल्प हो।
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