भदोही। सत्ता का सुख और निजी स्वार्थ के पूर्ति की लालसा ने भदोही जिले में भारतीय जनता पार्टी के विचारधारा पर बहुजन समाज पार्टी का कब्जा हो चुका है। पिछले कई वर्षों से गुण्डागर्दी और जातिवाद की जकड़ से मुक्त हुई भदोही एक बार फिर अपने पुराने ढर्रे पर लौट आने के कगार पर पहुंच गयी है। लोकसभा चुनाव भदोही में मुकाबला त्रिकोणीय होने के कगार पर है, वहीं प्रत्याशी को लेकर भाजपा के अंदर खींचतान मची हुई है।
गौरतलब हो कि भदोही से तीन बार सांसद रहे विरेन्द्र सिंह मस्त को बाहरी होने के नाम पर कुछ लोगों द्वारा विरोध किया जाता रहा है। जबकि श्री मस्त का राजनीतिक जीवन भदोही में ही बीता है। भजयुमो व भाजपा के भदोही जिलाध्यक्ष रह चुके श्री मस्त ने भदोही में भाजपा को मजबूत करने का काम किया था। तीन बार सांसद रहने के बावजूद उनके उपर कभी किसी प्रकार का आरोप नहीं लग पाया था। अपनी सरलता के चलते वे सभी वर्गो में लोकप्रिय रहे, लेकिन 2019 के चुनाव में जातीय समीकरण बिगड़ने के आसार देखकर उन्हें बलिया से टिकट दिया गया।
काफी इंतजार के बाद भाजपा ने भदोही से अपना प्रत्याशी बसपा से आये रमेश बिंद को दिया। श्री बिंद पिछड़ों के लोकप्रिय नेता माने जाते रहे हैं। बसपा के टिकट पर मीरजापुर के मंझवा विधानसभा से तीन बार विधायक बने श्री बिंद की छवि सवर्ण विरोधी रही है, लेकिन बिंद वोट को अपने पक्ष में करने के लिये भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया है।
श्री बिंद के नाम की घोषणा के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं के उत्साह में कमी देखी जा रही है, लेकिन कोई विरोध करने की स्थिति में दिखायी नहीं दे रहा है। जिसका असर चुनाव पर पड़ सकता है। लगातार बाहरी प्रत्याशियों को ताज पहना चुकी भदोही को एक बार फिर निराशा का मुंह देखना पड़ा है।
वहीं कांग्रेस ने आजमगढ़ के बाहुबली रमाकांत यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। भदोही आने के बाद ही रमाकांत ने जिस तरह ब्राह्मणों के खिलाफ वक्तव्य दिया है, उससे काफी नाराजगी देखी जा रही है। देखा जाय तो भदोही में दो विधायक बसपा से पाला बदलकर भाजपा में आये हैं और सांसद प्रत्याशी भी बसपा से आये रमेश बिंद को बनाया गया है। जिससे लोगों का कहना है कि अब भाजपा की विचारधारा पर बसपा का कब्जा हो चुका है।
अपरोक्ष रूप से, बसपा कर रही है भाजपा को हाइजैक।😁😁😁
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