भाजपा का प्रचार न करने के लिये नेताओं पर दबाव, नोटा का बटन दबाने का लिया निर्णय
भदोही। जिले में अपनी उपेक्षा से आहत वैश्य समाज भाजपा से दूरी बनाने लगा है। आरोप है कि वैश्य समाज के नेताओं को भाजपा में उचित सम्मान नहीं दिया जा रहा है। हर जगह उनकी उपेक्षा और अनादर किया जा रहा है। वैश्य समाज के युवा चेहरा एवं भाजयुमों के पूर्व काशी प्रान्त मंत्री विनीत बरनवाल ने ऐसी किसी बात से तो इनकार किया किन्तु यह स्वीकारने में गुरेज भी नहीं किया कि वैश्य समाज के लोगों में अपने उपेक्षा की पीड़ा तो है। जिसके कारण वे चुनाव में भाजपा को वोट न देकर नोटा का बटन दबाने की बातें कहते सुने जा रहे हैं।
उन्होने विश्वास जताया कि ऐसे लोगों को मना लिया जायेगा किन्तु हकीकत यह है कि वैश्य समाज के अधिसंख्य नेता भाजपा को सबक सिखाने का मन बना चुके हैं। इसके पीछे भाजपा के जिला संगठन से नाराजगी है। जो वैश्य समाज को हासिये पर डाल दिया है। चर्चा के दौरान वैश्य समाज के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने बताया कि वैश्य समाज जनसंघ के जमाने से ही भाजपा का एक महत्वपूर्ण अंग रहा है। भाजपा के प्रति वैश्य समाज के समर्पण की छवि यह है कि दीगर दलों के लोग कभी उसे अपना मान नहीं पाये। वैश्य समाज को भाजपा समर्थकों का पर्याय माना जाता है। बावजूद इसके भाजपा का जिला संगठन वैश्य समाज की निरंतर अनदेखी करता आया है। जिसके कारण वैश्य समाज में भाजपा के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है।
वैश्य समाज के एक अन्य नेता ने बताया कि क्षेत्र में वैश्य समाज के करीब दो लाख 60 हजार मतदाता हैं। जो भाजपा के लिये मजबूत आधार वोटबैंक हैं। उनकी अनदेखी कुछ जिला पदाधिकारियों को भले सामान्य लगे किन्तु भाजपा के लिये तो भारी पड़ सकती है। बताया की अपनी उपेक्षा से दुखी वैश्य समाज के लोग समाज से जुड़े नेताओं पर भी दबाव बनाने लगे हैं कि इस बार भाजपा का प्रचार न किया जाय। मतदान वाले दिन बूथ पर जायें जरूर किन्तु बटन कमल निशान की न दबाकर नोटा दबायी जाये। उनके अनुसार समाज के लोग उलटे उनसे सवाल कर रहे हैं कि भाजपा ने वैश्यों को दिया क्या। पूछने पर बताया कि भाजपा के उदयकाल से उसके समर्पित समर्थक रहे वैश्य समाज को जिले में सदैव उपेक्षा मिली। ढाई लाख से अधिक मतदाता संख्या के बावजूद जिले में आजतक किसी वैश्य को विधान अथवा लोकसभा का टिकट नहीं दिया गया। टिकट तो दरकिनार संगठन में भी स्थान नहीं मिला है। पार्टी के सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी वैश्य समाज से जुड़े भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को स्थान व सम्मान नहीं दिया जाता।
अपनी वेदना व्यक्त करते हुये भाजपा के एक अन्य वैश्य नेता ने बताया कि जिले में भदोही जैसी कालीन नगरी के नगरपालिका अध्यक्ष अशोक जायसवाल वैश्य समाज से हैं। गोपीगंज नगरपालिका अध्यक्ष प्रह्लाद दास गुप्ता भी वैश्य समाज से हैं। नई बाजार और सुरियावां नगरपंचायत के पूर्व चेयरमैन दिलीप गुप्ता और नंदलाल गुप्ता भी भाजपा नेता हैं। इसमें भदोही निवासी सत्यशील जायसवाल और गोपीगंज नपाध्यक्ष प्रह्लाददास गुप्ता टिकट के दावेदार भी रहे हैं। अवधेश उमर वैश्य विनीत बरनवाल ईश्वरचंद बरनवाल विघ्येश गुप्ता कृष्णचंद खटाई मूलचंद साहू, मनोज गुप्ता, विनय उमरवैश्य, चतुर्भुज गुप्ता, राजीव चौरसिया, विनय चौरसिया, कमलेश जायसवाल, शिवप्रसाद गुप्त, शिवजी बरनवाल, मुन्ना साहू, रमेशचंद बरनवाल, भरत जायसवाल, संजय साहू आदि जिले में भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। जो वैश्य समाज से हैं। इनमें से किसी को भी संगठन में स्थान नहीं मिला है।
बताया कि जिला ईकाई में किसी वैश्य को पदाधिकारी नहीं बनाया गया। लोकसभा और विधानसभा ईकाई में भी वैश्यों को स्थान नहीं मिला है। जारी लोकसभा में चुनाव के लिये गठित चुनाव संचालन समिति से भी वैश्यों को दूर रखा गया है। दावा कि निरंतर होती उपेक्षा से वैश्य समाज दुखी है। इसमें भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता पार्टी में अपनी निष्ठा उपरी तौर पर भले दर्शा रहे हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि खुद उनकी इच्छा भी कमल निशान पर बटन दबाने की नहीं है।