Home खास खबर भ्रष्टाचार: भदोही में हाईकोर्ट को गलत साबित करने में जुटा लेखपाल

भ्रष्टाचार: भदोही में हाईकोर्ट को गलत साबित करने में जुटा लेखपाल

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गत वर्ष अप्रैल माह में 40 वर्षों से बने जिन आवासों को अतिक्रमण घोषित कर उच्च न्यायालय के आदेश पर भदोही प्रशासन ने ढहा दिया था। आज उसी जमीन को लेखपाल ने भूमिधरी साबित कर यह दिखा दिया कि लेखपाल के सामने उच्च न्यायालय का आदेश कोई मायने नहीं रखता है। गत वर्ष खाली करायी जमीन पर लेखपाल की मिलीभगत से निर्माण शुरू होने से लोगों में आक्रोश् है जिससे विवाद की संभावना बढ़ गयी है। इस मामले में जिलाधिकारी व उप जिलाधिकारी को लिखित रूप से सूचित किया गया है। इस मामले में उप जिलाधिकारी ने जांच होने तक निर्माण को रोकने की बात कही है।

गौरतलब हो कि अप्रैल 2018 में सुरियावां क्षेत्र के बिहियापुर स्थित पट्टी जोरावर में तालाब संख्या 386 पर बने 15 मकानों को हाईकोर्ट के आदेश पर ढहा दिया गया था। मकानों को गिराने की कार्रवाई तत्कालीन उपजिलाधिकारी सुनील कुमार और क्षेत्राधिकारी अभिषेक कुमार पाण्डेय की देखरेख में हुई थी।

इस मामले में ग्राम प्रधान जय देवी ने जिलाधिकारी को पत्र देकर आरोप लगाया है कि गाटा संख्या 386 को उच्च न्यायालय के आदेश पर अतिक्रमण मुक्त कराकर 24 लाख 67 हजार की लागत से तालाब खुदाई का काम तीन सप्ताह पूर्व शुरू किया गया। लेकिन लेखपाल राजेश यादव ने पैमाइस कराकर तालाब के अंदर तक कास्तकारों की जमीन निकाल दी और तालाब की खुदाई का काम रूकवा दिया गया। ग्राम प्रधान का कहना है कि इस प्रकरण के कारण गांव में विवाद की स्थिति पैदा हो गयी है जिससे कोई भी अप्रिय घटना घट सकती है।

आखिर क्यों उजाड़ी गयी गृहस्थी

हल्का लेखपाल राजेश यादव ने जिस जमीन को भूमिधरी दिखाकर विवाद पैदा कर दिया है। यदि वह जमीन तालाब की नहीं थी तो आखिर 40 साल से बसे लोगों की गृहस्थी क्यों उजाड़ी गयी थी। अपनी मेहनत की एक एक पाई जोड़कर जिन लोगों ने आशियाना बनाया था उनके आशियाने को गिराने के बाद यदि उक्त जमीन को लेखपाल द्वारा भूमिधरी साबित किया जा रहा है तो दोष किसका है जो लोगों को बेघर कर दिया गया था।

लेखपालों की मनमानी से गांव में बढ़ रहे विवाद

देखा जाय तो गांव में होने वाली अधिकतर घटनाओं के सुजनकर्ता राजस्व विभाग के कर्मचारी ही होते हैं। एक पक्ष से मिलकर जिस तरह लेखपाल सीमांकन का खेल खेलते हैं उसके कारण अक्सर विवाद की स्थिति पैदा होती है जो भविष्य में बड़ी घटना का कारण बन जाती है। ऐसा ही इस मामले में भी हो रहा है। सोचने वाली बात है कि जिस जमीन को उच्च न्यायालय में तालाब की जमीन साबित की गयी उसी जमीन को हल्का लेखपाल राजेश यादव अब भूमिधरी साबित कर रहा है। जब इस मामले में लेखपाल से बात करने की कोशिस की गयी तो उनकी मोबाइल बंद मिली।

जांच होने तक रोका गया निर्माण— एसडीएम

इस मामले में उपजिलाधिकारी भदोही जमुनाधर चौहान का कहना है कि यह मामला उनके संज्ञान में है। निर्माण कार्य को रोककर जांच के आदेश दिये गये हैं।

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