Home खास खबर भीड़, भेड़चाल, भदोही, नेता और पत्रकार: फर्जी नियुक्ति पर उलझ गये सब!

भीड़, भेड़चाल, भदोही, नेता और पत्रकार: फर्जी नियुक्ति पर उलझ गये सब!

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हमार पूर्वांचल
अयोध्या न्यूज़

एक बात तो आप सभी लोग जानते ही होंगे कि भेड़चाल किसलिये मशहूर है। एक भेड़ जिस तरफ सिर झुकाकर चल देती है उसी के पीछे बाकी भेड़ भी चलती चली जाती हैं। उन्हें यह नहीं मतलब होता कि आगे वाली भेड़ जिस रास्ते पर जा रही है वह रास्ता कैसा है। भले ही भेड़ खाई में जाकर गिर जाये।

ऐसी ही भेड़चाल भदोही में देखने को मिल रहा है। भदोही मर्यादपट्टी के एक युवक का इन दिनों बहुत सम्मान हो रहा है। उसके घर लोग गुलदस्ता लेकर पहुंच रहे हैं। उसे माला पहना रहे हैं। कहा जा रहा है कि वह युवक भदोही का नाम रोशन किया है। सैकड़ों लोगों का मुंह बधाई देते हुये थक नहीं रहा है। नेताओं का जमघट लगा है। पत्रकार खबरें छाप रहे हैं, लेकिन न तो बधाई देने वालों ने पता लगाया और न ही मीडिया ने कि जिस नियुक्ति पर युवक को बधाई दी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि वह नियुक्ति ही फर्जी है।

जी हां! चौंक गये न आप। अखबारों में कई दिन से छप रहा है कि भदोही जिले के मर्यादपट्टी का एक युवक जिसका नाम शाहफैज है, उसने पीसीएस की परीक्षा पास की है। इसी बात को लेकर भदोही के पत्रकारों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। उसके सम्मान में बड़े-बड़े कसीदे पढ़े जा रहे हैं। लोग सम्मान देने जा रहे हैं और युवक लोगों से सम्मान भी ले रहा है।

जब इस बारे में हमार पूर्वांचल ने छान-बीन शुरू की तो पूरा मामला ही गलत निकला और इस मामले में किसी बड़े रैकेट की संभावना भी दिख रही है, जो नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को चूना लगा रहा है। उक्त युवक को जो नियुक्ति पत्र मिला है। वह नियुक्ति पत्र देखने से ही फर्जी लग रहा है। खैर मीडिया वाले उसका चयन पीसीएस परीक्षा में बता रहे हैं और उसकी नियुक्ति बीडीओ पद पर दिखा रहे हैं। जबकि उसकी नियुक्ति पत्र पर बीडीओ ब्लाक डेवपलमेन्ट अधिकारी नहीं बल्कि वी​डीओ यानि विलेज डेवपलमेन्ट अधिकारी लिखा है। जिसे हिन्दी में ग्राम पंचायत अधिकारी कहा जाता है।

बता दें कि ग्राम पंचायत अधिकारी और ब्लाक डेवलपमेन्ट अधिकारी के बीच क्या अंतर होता है। यह न भदोही की मीडिया को पता है और न ही सम्मान देने वाले नेताओं को। यदि उसका चयन ग्राम पंचायत अधिकारी पद पर हुआ भी होता तो उसमें भदोही के गौरव की बात कहां से आ गयी। इस दर्जे की नौकरी करने वाले भदोही में हजारों भरे पड़े हैं।

वैसे सूत्रों की मानें तों उसका चयन ग्राम पंचायत अधिकारी पद पर भी नहीं हुआ है, बल्कि पूरा मामला ही फर्जी नजर आ रहा है। हांलाकि यह जांच का विषय है, कि इसमें कितनी सच्चाई है?  ऐसे में बिना जानकारी किये जो नेता उस युवक को भदोही का गौरव बताने पर तुले हुये हैं। उनकी बुद्धि पर तरस तो आता ही है किन्तु समाज को आईना दिखाने वाला पत्रकार और अखबारों के बड़े समूह जिस फर्जीवाड़े का बढ़-चढ कर बखान कर रहे हैं, उनकी बुद्धि को क्या कहा जा सकता है?

हालांकि इसके लिये भदोही के सभी पत्रकार दोषी नहीं है। भदोही में कई ऐसे पत्रकार भी हैं जो पढ़े लिखे हैं और अपनी लेखनी के साथ सामाजिक कार्यों का लोहा भी मनवाया है। जो कार्य बड़े शहरों में रहने वाले सुविधाभोगी पत्रकार नहीं कर पाते, वैसे कार्य इस छोटे से जनपद में रहने वाले पत्रकारों ने किया है, लेकिन शर्मनाक बात तो यह है कि दर्जनों की संख्या में कुकुरमुत्तों की तरह फैले व्हाट्अप और चरणचाटन पत्रकारों ने पत्रकारिता की गरिमा गिराने में कसर भी नहीं छोड़ी है। जिस भदोही की गरिमा को बचाने के लिये यहां के बुद्धिजीवी पत्रकारों ने भागीरथ प्रयास किया और कर रहे हैं। उसी भदोही में पत्रकारिता का तमगा लेकर घूमने वाले चंद लोगों ने माहौल को दूषित किया है।

पढ़िये भदोही का एक पत्रकार ऐसा भी जिसने लिख दिया इतिहास

5 COMMENTS

  1. शानदार!
    जमकर खिचाई किय है भैया।भेड़ चाल नेता और चरण-चाटन पत्रकारों का!

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