अरूण कुमार मिश्रा
किसी भी धार्मिक स्थल का माहौल ऐसा होना चाहिये जो लोगों को एक खुशनुमा माहौल दे, जहां जाने पर सूकून महसूस हो। लेकिन गोपीगंज का एक मंदिर ऐसा भी है जिसका विशालकाय परिसर शाम ढलने के साथ गंजेड़ियों और दारूबाजों का अड्डा बन जाता है।अफसोस तो यह है कि इस पर रोक लगाने की पहल न कभी मंदिर प्रशासन ने कि और न ही कभी पुलिस विभाग ने, शायद वे किसी बड़ी घटना के इंतजार में हैं।
जी हां! हम बात कर रहे हैं भदोही जनपद के गोपीगंज क्षेत्र के बड़े बाबा शिव मंदिर का। भागवान राम के पूर्वज महाराजा शिवि द्वारा बनवाया गया यह मंदिर धार्मिक आस्था का बहुत बड़ा केन्द्र है। हर साल यहां मेला लगता है जिसमें दूर दराज के श्रद्धालु दर्शन पूजन करने आते हैं किन्तु प्रशासनिक लापरवाही की वजह से विकास के लिये आये धन का बंदरबांट शुरू हो जाता है और विकास की बात बैकफ्ट पर चली जाती है।
वहीं गोपीगंज पुलिस की लापरवाही का नतीजा है कि शाम ढलने के बाद मंदिर परिसर के टीलों और झुरमुटों पर नशेड़ियों का कब्जा हो जाता है। एक तरफ चिलम से धुंआ उड़ना शुरू होता है तो दूसरी तरफ सिगरेट फूंकते हुये युवा कहीं व्हिस्की और बीयर की बोतलें चटकाते हैं तो कहीं देशाी शराब के पियक्कड़ ढक्कन खेलकर शुरू हो जाते हैं।
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बता दें कि मंदिर परिसर के दक्षिणी छोर पर आने जाने के लिये मंदिर की बाउड्रीवाल की सीमा के अंदर से रास्ता बना हुआ है। जिसे मंदिर का ट्रस्ट बाउण्ड्री कराने की प्राथमिकता इसलिये नहीं रखता ताकि कुछ भू माफियाओं को मंदर की जमीन पर कब्जा करने का मौका मिल सके। एक तरह भूमाफिया कब्जे करने में लगे हैं तो दूसरी तरफ गोपीगंज पुलिस की लापरवाही से मंदिर परिसर शराबियों क अड्डा बनता जा रहा है। परिसर के अंदर फैली शराब की टूटी बोतलें इसका जीता जागता प्रमाण हैं। सोचने वाली बात है कि जहां लोग दर्शन करने आ रहे हैं वहीं यदि अराजकतत्वों का जमावड़ा होता रहा तो कभी भी कोई घटना हो सकती है।
पता नही सिस्टम कब ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाएगा !