पूर्वांचल में अपनी राजनीति के कुशल नेतृत्व का परचम लहराने वाले बाहुबली विधायक विजय मिश्रा के नाम से शायद ही कोई ऐसा राजनेता होगा जो परिचित नहीं होगा। कहते हैं कि सपा सरकार में इस बाहुबली की इजाजत के बिना पत्ता भी नहीं हिलता था, लेकिन यूपी में भाजपा की सरकार आते ही हालात बदले तो ज्ञानपुर विधानसभा का ही एक सपा नेता खुद को बाहुबली बनने का खवाब देखने लगा है। इतना ही किसी न किसी मुद्दे पर ब्राह्मणों को हासिये पर लेकर या ब्राह्मणों को बदनाम करके खुद को यह जताने में लग गया है कि वह किसी मायने में बाहुबली विधायक विजय मिश्रा से कम नहीं है।
गौरतलब हो कि पिछले दिनों भदोही में एक वाकया घटा जिसमें सुल्तानपुर की एक ब्रह्मण बेटी सीतामढ़ी में अपने परिवार के साथ दर्शन करने आयी थी। उसी दौरान जौनपुर जिले का एक मौर्या परिवार का युवक उस लड़की को भगा ले गया। घटनास्थल भदोही जिले का उंज थाना क्षेत्र था। इसलिये पीड़ित ने उंज थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी। उंज थानाघ्यक्ष ने त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी और जिन लोगों को ओरोपी बनाया गया था उनमें से दो लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके बाद ज्ञानुपर विधानसभा क्षेत्र का सपा नेता कुंवर प्रमोद चन्द्र मौर्य ने जनसेवक की भूमिका निष्पक्ष तौर पर न निभाते हुये अपनी जाति का पक्ष् लिया और ब्राह्मणों के खिलाफ सोशल मीडिया पर अफवाह खड़ी करनी शुरू कर दी।
सपा नेता प्रमोद मौर्या ने इस मामले को खुद के वर्चस्व से जोड़ लिया और पूरी ताकत झोंक दी। इसके लिये जनपद के उच्च पुलिस पदाधिकारियों से मिलने के साथ लखनऊ में अपने संबंधों को खंगालना शुरू कर दिया। लोगों में चर्चा हुई कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या जिन्होंने भदोही में घटी बड़ी बड़ी घटनाओं को संज्ञान में नहीं लिये, एक लड़की भगाने के मामले को गंभीरता से लिये और भदोही के पुलिस अधीक्षक पर अपना रौब दिखाना शुरू कर दिया।
जिस जिले में गाय काटकर दंगा फैलाने की साजिश की गयी हो, जिस जिले में बड़ी बड़ी लूट की घटनाये हुई हों। जिस जिले में एक नहीं दर्जनों लड़कियों का अपहरण करने और भगाने का कारनामा हुआ हो। वहां पुलिस अधीक्षक ने किसी पुलिस अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं कि लेकिन इस मामले में उंज एसओ राजेश पाण्डेय को बिना किसी जांच के सस्पेण्ड कर दिया। एक तरफ इस मामले को डिप्टी सीएम का हस्तक्षेप बताया जा रहा था तो दूसरी तरफ सपा नेता प्रमोद मौर्य हजारों लोगों को व्हाट्सअप मैसेज भेजकर अपनी वाहवाही लूट रहा था। यदि व्हाट्सअप मैसेज को देखें तो इसमें सीधे सीधे लड़की और उसके परिजनों का नाम उछाला जा रहा था। यह सबकुछ सपा नेता के नंबर से हो रहा था। जबकि ऐसे मामले में लड़की और उसके परिजनों का नाम उछालना कानूनन गलत था।
यह बात यहीं खत्म नहीं हो जाती बल्कि जिस तरह का मैसेज सपा नेता के नंबर से वायरल हो रहा था उसमें जाति विशेष का प्रमुखता से जिक्र करके ब्राह्मणों को नीचा दिखाने की साजिश की जा रही थी। उस मैसेज का बुरा असर यह भी देखने को मिला कि अधिकतर लोग उस पीड़ित ब्राह्मण परिवार का मजाक उड़ा रहे थे।
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सोचने वाली बात यह है कि आज के आधुनिक परिवेश में युवा अपने संस्कार भूलते जा रहे हैं और अपने मां बाप की भावनाओं का खयाल नहीं कर रहे हैं। जिसके कारण ऐसी घटनाये घटित हो रही हैं। लेकिन सपा नेता प्रमोद मौर्या ने न सिर्फ लड़की वालों के परिवार का नाम पता फोटो और वीडियो वायरल किया उससे यहीं लगता है कि उस घटना में कहीं न कहीं वह भी शामिल है और उसे हर पल की खबर थी।
यदि किसी परिवार के साथ ऐसे हादसे होते है तो एक सामाजिक व्यक्ति का दायित्व होता है कि जहां तक हो सके उस परिवार के मान सम्मान के साथ खिलवाड़ न करे, बल्कि उसके सम्मान को बचाने के लिये हर संभव प्रयास करे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि इस सपा नेता ने उस परिवार के सम्मान की बखिया उधेड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। हद तो तब हो गयी जब सस्पेण्ड हुये उंज एसओ को भी लड़की वालों को रिश्तेदार बताकर उन्हें सस्पेण्ड कराने में भूमिका निभायी और लोगों को मैसेज वायरल किया कि एसओ लड़की का रिश्तेदार है। यानि एक ब्राह्मण पुलिस अधिकारी की नौकरी पर ही सवालिया निशान नहीं खड़ा किया बल्कि उसके मामन सम्मान को भी धूल धूसरित करने की पूरी कोशिस की।
सोचने वाली बात यह है कि जो समाजवादी पार्टी सामाजिक समरसता की बात करती है। समाज को एकजुट होने की बात करती है। जिस पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव सभी वर्ग, सभी धर्म, सभी जाति को एक सूत्र में पिरोने का काम करने के लिये रात दिन जुटे हुये हैं उसी पार्टी का एक नेता जातिगत द्वेष भावना के वशीभूत होकर ब्राह्मणों का खुलकर अपमान कर रहा है। इस घटना को लेकर उसके समर्थक पूरे ब्राह्मण समाज की खिल्ली उड़ा रहे हैं। क्या खुद को बाहुबली घोषित करने के प्रयास में यह सपा नेता अपनी वाहवाही के चक्कर में समाजवादी पार्टी को भदोही से साफ करने में जुट गया है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव एक सूझबूझ के नेता हैं जिनपर कभी जातिगत भेदभाव का दाग नहीं लगा है, लेकिन पार्टी में इस तरह के नेता अखिलेश की लुटिया डुबोने के लिये पर्याप्त हैं।
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