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राज ठाकरे के बोल: हिन्दी राष्ट्रभाषा नहीं, क्रिमिनल होते हैं उत्तरभारतीय

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हमार पूर्वांचल
राज ठाकरे के बोल

मुम्बई:  मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने उनलोगों के बीच ही हिन्दी का अपमान किया, जो हिन्दी में ही पले बढ़े हैं। उत्तर भारतियों के एक संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में राज ठाकरे ने पहली बार हिन्दी में भाषण दिया किन्तु यह भी बोले कि हिन्दी कोई राष्ट्रभाष नहीं है। उनकी बात अधिक लोगों तक पहुंचे इसलिये हिन्दी मजबूरी में बोलना पड़ रहा है।

बता दें कि कान्दीवली के भूरा भाई हाल में आयोजित कार्यक्रम में उत्तर भारतीयों को अपनी ही बुराई मजबूरन सुननी पड़ी। मुंबई में रह रहे उत्तर भारतीयों के एक संगठन द्वारा आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुये मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने यह कहा कि वह अपनी पार्टी के पिछले विरोध प्रदर्शनों के लिए कोई स्पष्टीकरण देने नहीं आये हैं, बल्कि हिंदी में अपने विचार रखने आए हैं ताकि वह बड़ी संख्या में लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकें।

जबकि कार्यक्रम का प्रचार प्रसार उत्तर भारतीयों पर हो रहे बार-बार हमले पर राज साहेब से उत्तर भारतीयों को अपने सवालों का जबाब मांगना था, पर ऐसा नहीं हुआ। जिस संगठन ने इस कार्यक्रम को रखा था उसने इसे “सीधा संवाद” करके इसे प्रचारित किया था। यह मंच आयोजन उत्तर भारतीयों के लिए रखा गया था। परन्तु वहां उपस्थित महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं से ही पूरा हाल भर चुका था। शाम पांच बजे शुरू होने वाली इस सभा में दोपहर से मनसे कार्यकर्ताओं ने कब्जा कर रखा था।

करीब शाम सात बजे मनसे प्रमुख सभा में पहुंचे और बात रखते हुए कहा कि हम अभी तक हिंदी में संभवत: कभी भाषण नहीं दिये है, यह मेरा पहला भाषण है, वैसे भी हिंदी कोई राष्ट्र भाषा थोड़े है चाहे तो आप लोग इसे गुगल कर सकते है, यह तो बस एक मान्यता है, उन्होंने अपनी बात बढ़ाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने देश को बहुत प्रधानमंत्री दिये है, जिसमें से वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो वाराणसी से सांसद हैं वह भी शामिल है। उत्तर भारतीय उन नेताओं से क्यों नहीं पूछते कि हमारा राज्य औद्योगिकरण में पीछे छूट रहा है और क्यों वहां कोई रोजगार नहीं मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि मुंबई आने वाले लोगों में अधिकांश लोग यूपी, बिहार, झारखंड और बांग्लादेश से हैं। मैं सिर्फ यह चाहता हूं कि अगर लोग आजीविका की तलाश में महाराष्ट्र आ रहे हैं, तो उन्हें स्थानीय भाषा और संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा,कि जब भी मैं अपना पक्ष रखता हूं जिससे यूपी और बिहार के लोगों के साथ विवाद हो जाता है, तो हर कोई मेरी आलोचना करता है, लेकिन हाल में गुजरात में बिहारी लोगों पर हुये हमलों के बाद किसी ने भी सत्तारूढ़ दल भाजपा या प्रधानमंत्री जिनका गृह राज्य गुजरात है उनसे सवाल नहीं किया।

उन्होंने कहा कि इसी तरह के विरोध असम और गोवा में भी हुये, लेकिन मीडिया ने उसे कभी भी तरजीह नहीं दी। लेकिन मेरे विरोध को हमेशा ही मीडिया में बढ़ा-चढ़ाकर कर पेश किया जाता है। वैसे इस कार्यक्रम मे पहुंचे उत्तर भारतीय जो मनसे प्रमुख को सुनने आये थे वो अपने को ठगे ही महसूस किये। मनसे प्रमुख ने अपने भाषण में उत्तर प्रदेश के दो तीन जिलों का नाम भी लिया और कहा कि आजमगढ़, प्रतापगढ़ वगैरह-वगैरह जिलों से आये उत्तर भारतीय मुम्बई मे क्राईम करते है और जाकर बार्डरों पर छुप जाते हैं। जिसमें महाराष्ट्र पुलिस को सबसे ज्यादा समय इन उत्तर भारतीयों जो क्रिमिनल है उन्हें ढूढ़ने मे समय व्यतीत करना पड़ रहा है। इस पूरे कार्यक्रम में मनसे प्रमुख ने बस उत्तर भारत के लोगों को और यहा के नेताओं को बस नीचा दिखाने की कोशिश करते हुए अपने मराठी मुद्दे को तवज्जो दिये।

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