पूर्वांचल के भदोही जिले के रोटहां चौरी में हुये विस्फोट को 48 घंटे बीत चुके हैं। पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मुख्य आरोपी कलियर मंसूरी को गिरफ्त में ले लिया है। लापरवाही बरतने के आरोप में दो थानेदार और एक दरोगा को निलंबित कर दिया गया है। घटना में मारे गये परिजनों के शवों का पोस्टमार्टम भी हो चुका है। मृतकों के परिजन मालदा पश्चिम बंगाल से रोते बिलखते अपनों के शरीर के टुकड़े सहेजने भदोही आ गये हैं। प्रशासन जांच में लगा हुआ है किन्तु इस विस्फोट की कहानी खुद अपनी ही जुबानी यह संकेत दे रही है कि इरादे नेक नहीं बल्कि खतरनाक थे।
यह बात दीगर है धमाके में मारे गये कालीन कारोबारी इरफान और आबिद नामक दोनों भाई सिर्फ व्यवसायिक लालच में आकर मोहरा बन गये अथवा उन खतरनाक तत्वों के हिस्सा बनने की राह पर थे। जिनका मकसद ही भारत में आशान्ति और दहशत की खेती करना है।
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कहानी यह है कि चौरी क्षेत्र के ग्राम रोटहां निवासी कलियरी मंसूरी पटाखा व्यवसायी है। इसके यहां पटाखे का कारोबार पहले से होता आया है जिसे अपने पिता के बाद कलियर और कलियर की देखरेख में ही उसके जवान बेटों इरफान ओर आबिद ने संभाल लिया था। पहले यह कारोबार कलियर अपने गांव वाले घर से करता था। बाद में वाराणसी रोड पर मकान बनाकर रहने लगे। दिखावटी तौर पर एक किराने की दुकान थी किन्तु उसके आड़ में पटाखे का कारोबार होता था। जिसे उसके दोनों बेटों ने और विस्तार दिया।
इस बीच कलियर के बेटों ने कालीन बुनाई का काम भी शुरू कर दिया। इसके लिये मकान के पिछले हिस्से में टिन शेड लगाकर लूम लगाया था और पश्चिम बंगाल के बुनकरों को वहीं टिकाकर कालीन बुनवाने लगा। वक्त बीता तो बंगाली बुनकरों से उसका लगाव भी बढ़ा। उसके यहां कभी दर्जनों तो कभी दर्जनभर बंगाली बुनकर हमेश रहकर काम करने लगे।
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घटना के दो दिन पूर्व ही दो दर्जन से अधिक बुनकर बंगाल से चौरी इरफान के यहां पहुंचे थे। घटना वाले दिन बंगाली बंनकरों के साथ कलियर मकान में मौजूद था। दोपहर के बारह बजने वाले थे। कुछ बुनकर भोजन बनाने की तैयारी में लगे थे। इसी समय अर्जुन पुर का सलीम भ्ज्ञी आ गया। जो इरफान के आर्डर पर ही अपने घर कालीन बुनता या बुनवाता था। थोड़ी देर बाद ही कलियर के दोनों बेटों इरफान और आबिद आ गये। बेटों के पहुंचते ही कलियर गांव वाले घर चला गया।
दुकान वाले घर में उसके दोनों बेटे उसका साथी सलीम और बंगाली बुनकर थे। इसी के चंद मिनट बाद ही हुये धमाके ने मौके पर मौजूद सभी को चिथड़े में बदल दिया। इस हादसे में कलियर के दोनों बेटों समेत अर्जुनपुर के सलीम शाह के अलावा बंगाली बुनकर शिकार बने। कुल 13 लोगों की मौत हुई।
उक्त कहानी कई संकेत देती है। अव्वल यह कि कलियर के दोनों बेटे और उसका साथी कहीं मौजूद विस्फोटकों से छेड़छाड़ तो नहीं किये। सवाल यह भी है कि आरडीएक्स की तरह मची तबाही क्या पटाखा से संभव है। हैण्ड ग्रेनेड की तरह दिखायी देने वाली वस्तु क्या है। क्या पटाखों की दुकान के आड़ में कोई गहरी साजिश तो नहीं रची जा रही थी। कई ऐसे सवाल हैं जो लोगों के मन में उमड़ घुमड़ रहे हैं, जिसका जवाब प्रशासन ही दे सकता है।
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