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दलित महिला से बोला लड़की और 10 हजार की व्यवस्था करो मिल जायेगी नौकरी

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पीड़ित सुशीला देवी
पीड़ित सुशीला देवी

उत्तरप्रदेश में योगी सरकार आने के बाद भ्रष्टाचार की जड़ें लगातार गहरी होती दिखायी दे रही हैं। थाना, तहसील या किसी भी सरकारी विभाग में बिना चढ़ावा चढ़ाये किसी काम को करा पाना अब शायद मुमकिन नहीं रह गया है। चपरासी से लेकर अधिकारी तक आकंठ भ्रष्टाचार में डूब चुके हैं। न्याय पाने के लिये गरीब आदमी अब दर—दर की ठोंकरे खाने को विवश हो चुका है।

ऐसा ही एक मामला भदोही जनपद में आया है जो जिले के महाराजा बलवंत सिंह राजकीय चिकित्सालय में खुलेआम हो रहे भ्रष्टाचार को दिखा रहा है। यह मामला सिर्फ पैसे तक ही सीमित रहता तो कुछ हद तक बर्दाश्त किया भी जा सकता था किन्तु यह मामला तो मानवता को शर्मशार कर रहा है। हालांकि इस मामले में जांच के लिये जिलाधिकारी भदोही ने एसडीएम भदोही को जांच के आदेश भी दिये हैं किन्तु दोषियों को सजा मिल भी पायेगी या नहीं कहा नहीं जा सकता है। इस मामले में एक बुजुर्ग दलित महिला को नौकरी से निकाल दिया गया और दोबारा उसे काम पर रखने के लिये 10 हजार रूपये और एक लड़की की डिमाण्ड की गयी।

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जिलाधिकारी द्वारा जारी किया गया पत्र

यह बुजुर्ग महिला एमबीएस अस्पताल में सफाईकर्मी का काम करती थी। इसे संविदा पर रखा गया था किन्तु दो महीने से उसे वेतन नहीं दिया गया और दोबारा जब काम पर रखने की बात आयी तो महिला से 10 हजार नकद और लड़की की मांग कर दी गयी। मानवता को शर्मसार करने वाला यह हादसा घटित हुआ है जिले के सुरियावां थाना क्षेत्र के तुलापुर बहुदरान निवासी स्व. अछैवर सिंह की विधवा पत्नी श्रीमती सुशीला देवी के साथ जो एमबीएस अस्पताल में ठेकेदार के अधीन रहकर सफाईकर्मी का काम करती थी।

आप सोच रहे होंगे कि जब महिला के साथ उपनाम सिंह है तो वह दलित कैसे हो गयी। बता दें कि दलित कोई जाति नहीं है बल्कि समाज का वह हर व्यक्ति दलित की श्रेणी में आता है जो दबा कुचला गया हो। जिसे उसके अधिकारों से वंचित रखा गया हो। जो दूसरों के रहमाकरम पर अपनी जिंदगी काट रहा हो। यह अलग बात है कि राजनीति के ठेकेदारों ने दलित जैसे शब्द को जाति के दायरे में बांधने की कोशिस किया है किन्तु इस शब्द को कोई संवैधानिक दर्जा नहीं मिला है।

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पीड़ित बुजुर्ग महिला ने अस्पताल के दो कर्मियों नन्दकिशोर और दिनेश सेठ पर आरोप लगाया है कि उन्होंने महिला को दोबारा नौकरी पर रखवाने के लिये 10 हजार रूपये और एक लड़की की व्यवस्था करने को कहा था। बुजुर्ग ने अपनी आपबीती मीडिया को सुनाने के साथ अधिकारियों तक अपनी पीड़ा को पहुंचाया। समाज को शर्मसार कर देने वाले इस मामले में जिलाधिकारी राजेन्द्र प्रसाद ने गंभीरता से लिया और एसडीएम भदोही को जांच के आदेश देने के साथ मुख्य चिकित्साधिकारी को कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया है। गौर करने वाली बात है कि ऐसे मामलों में पहले आरोपियों को निलंबित करने के पश्चात जांच करनी चाहिये थी ताकि जांच प्रभावित न की जा सके किन्तु ऐसा हुआ नहीं है। जिससे जांच की पारदर्शिता पर सवालिया निशान भी खड़े होते हैं।

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