यूपी सरकार महिलाओं और नाबालिक लड़कियों से जुड़े अपराधों के मामले में त्वरित कार्रवाई करने के दावे करती है, लेकिन गोपीगंज पुलिस ऐसे मामलों में सरकार की मंशा पर पानी फेरती नजर आ रही है। वह भी एक ऐसे मामले में जिसमें एक छोटी सी मासूम बिटिया को निशाना बनाया गया हो। जिस उम्र में बच्ची को देवी का स्वरूप मानकर पूजा जाता हो। जिस उम्र में मासूम को स्नेह और वात्सल्य की जरूरत होती है। उस उम्र में मासूम के साथ छेड़खानी की जाती हो और पुलिस चुप रहे तो कई सवाल उठने लगते हैं।
यह घटना तीन माह पूर्व होली के दिन की है। गोपीगंज नगर के चूड़िहारी मोहाल में एक आठ साल की मासूम बच्ची अपनी हमउम्र सहेलियों के साथ खेल रही थी। तभी उसी मोहल्ले को महेश गुप्ता नामक एक अधेड़ व्यक्ति शराब के नशे में वहशी व वासना के वशीभूत होकर उस आठ साल की मासूम को गोद में उठाकर बाथरूम में लेकर चला गया और अंदर से बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया। मासूम के साथ खेल रही बच्चियां भागकर उसके घर गयी और उसके मां बाप को सारी बात बता दी। यह सुनते ही मां बाप के होश उड़ गये और वे भागकर घटनास्थल पर पहुंचे। बाथरूम के अंदर से मासूम के चीखने चिल्लाने की आवाज आ रही थी। मामसूम के मां बाप दरवाजा पीटकर खुलवाये तो आरोपी मौके से भाग निकला। मासूम के कपड़े वहशी ने उतार दिये थे, यदि परिजन मौके पर नहीं आते तो बड़ी घटना घट सकती थी। इसके बाद आरोपी की शिकायत गोपीगंज थाने में की गयी किन्तु उस दिन के बजाय दूसरे दिन मुकदमा दर्ज किया गया।
आखिर क्यों बचा रही है आरोपी को पुलिस !
होली के दिन महेश गुप्ता नाम के व्यक्ति पर आरोप लगा था की उसने एक नाबालिक बच्ची से छेड़छाड़ की थी मामले में जब पुलिस से शिकायत हुई तो पुलिस ने किसी तरह मुकदमा दर्ज किया उसी दिन से पुलिस आरोपी के पक्ष में खड़ी नजर आ रही थी। पीड़ित के बयान के बाद भी आज तक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। चर्चाओं की मानें तो पुलिस के रवैये से साफ़ है की धनबल के सामने पुलिस झुक गयी है और आरोपी को बचाने में जुटी है जबकि आरोपी खुलेआम घूम रहा है। आरोपी को बचाने के लिए पुलिस के कई करीबी उसी दिन से लगे है। बताया जाता है की पीड़ित गरीब तबके से ताल्लुक रखता है जबकि आरोपी इस मामले में पानी की तरह रूपये बहा रहा है। लोगो में चर्चा है की छोटे छोटे मामले में गिरफ्तारी करने वाली पुलिस क्यों एक नन्ही सी मासूम बिटिया को न्याय दिलाने में पीछे है।
आखिर किसके दबाव में चुप है पुलिस
यह एक सनसनीखेज रेप के प्रयास का मामला था। यदि आरोपी अपने घृणित कारनामें में सफल हो जाता तो भदोही पुलिस के कई अधिकारी नप सकते थे। मासूम बच्ची के साथ यदि हादसा हो जाता तो भदोही का माहौल बिगड़ जाता। भला हो मासूम की उन सहेलियों का जो समय रहते सकृयता दिखाकर उस बच्ची को बचा लिया। कितने अफसोस की बात है कि जिस आरोपी को सलाखों के पीछे होना चाहिये था वह खुलेआम घूम रहा है और विवेचना के नाम पर आरोपी पर पुलिस हाथ नहीं डाल रही है।
जबकि पीड़िता का बाप जनपद स्तर के अधिकरियों से लेकर मुख्यमंत्री तक अपनी लिखित गुहार लगा चुका है।
पीड़िता के बाप का कहना है कि वह जनपद के तेजतर्रार कहे जाने वाले पुलिस अधीक्षक व क्षेत्राधिकारी की चौखट को चूम चुका है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। गोपीगंज पुलिस जैसे इस मामले को भूल चुकी है। पीड़िता के बाप का कहना है कि गांपीगंज पुलिस उसकी गुहार को सुनने के लिये भी तैयार नहीं है।अब सवाल यह उठता है कि क्या एक पीड़ित मासूम बच्ची को न्याय मिल पायेगा या फिर भाजपा की सरकार में बेटियों की सुरक्षा का दावा सिर्फ हवा हवाई है।
दुःखद घटना औऱ भदोई पोलिस महकमा 3 से 4 महीने से शांत बैठा है ! सबसे शर्मनाक !
Ghtana nindaneey hai
Aour gopiganj ki police ko
Is mamle per tatqal karywahi karani chahiye
Ye una police walo ki jimmedari banati hai
[…] […]