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योगी जी ! गौवंश की रक्षा नहीं मौत का फरमान है यह आदेश

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उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालते ही गोरखपुर के संत योगी आदित्यनाथ ने शायद बिना सोचे समझे गौवंश की रक्षा करने का फरमान सुना दिया। खुद को सबसे बड़ा गौरक्षक साबित करने की कोशिस करने लगे। उनका यह फरमान गौवंश की की रक्षा तो नहीं कर पाया, लेकिन लोगों के लिये मौत का फरमान बन गया। अदूरदर्शिता भरा यह फरमान अब सरकार के लिये गले की फांस भी बनने लगा है। आजकल सोशल माडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। यह वीडियो सपा मुखिया और सूबे के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने वायरल किया है। इसके बहाने ही उन्होंने योगी सरकार पर तंज भी कसा है। वीडियों में यूपी के तेज रफ्तार हाईवे आगरा एक्सप्रेस वे पर बिंदास होकर विचरण करते गोवंशों का हूजूम टहल रहा है।

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सोचनीय बात है कि जिस हाईवे पर गाड़ियां कम से कम 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलती हों। उस हाईवे पर इस तरह छुट्टा पशुओं का टहलना कितना खतरनाक हो सकता है। इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। कितनी बार खबरें आयी हैं कि इन्हीं पशुओं से कितने लोग अपने वाहनों को टकराकर अस्पताल पहुंच गये हैं और कई तो यमराज के साथ सफर पर निकल गये। बेजुबान पशुओं ने भी तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया है। आखिर इसमें कसूर किसका है। सत्ता संभालते ही योगी सरकार ने फरमान जारी किया कि गौवंश की रक्षा की जायेगी और अब कत्लखाने में गोवंश की जान नहीं जायेगी।

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इससे पहले आमतौर पर छोटे-छोटे बाजारों में भी वैध अवैध कत्लखाने थे। जिनमें बछड़ा, बैल या दूध न देने वाले पशुओं का वध किया जाता था, लेकिन इस आदेश के बाद कत्लखाने बंद हो गये। कुछ गरीब कसाईयों की रोजी रोटी चली गयी, लेकिन सेटिंग करने वाले दलालों की चांदी हो गयी। जिनकी स्थानीय व्यवस्था में सेटिंग हो गयी वे चोरी छुपे पशुओं का कत्ल करके मोटा माल बनाते रहे। इतना अवश्य हुआ कि गौवंश काफी हद तक सुरक्षित हो गया किन्तु कत्लखाने से बचकर सड़क पर आ गया।

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जो पशु बेकार हो गये उन्हें पशु पालक बिठाकर चारा खिलाने से अच्छा खुला छोडना ही श्रेयस्कर समझे और वहीं छुट्टा पशु सड़क पर मटरगश्ती करके लोगों के लिये खतरा बनने लगे। किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाने लगे। जिन गौवंश की रक्षा करने का फरमान जारी करके योगी सरकार हिन्दुओं की भावनाओं को सहलाकर अपना वोटबैंक मजबूत करना चाहती थी। वह काम नहीं आया।

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आवारा पशुओं के कारण लगातार बढ़ती घटनाओं और किसानों की फसलों का बेतहाशा नुकसान सरकार के गले की फांस बनने लगा। लोग खुलकर योगी सरकार के इस कदम को नासमझी वाला कदम बताने लगे। बात भी सही है, यदि सरकार को कोई फैसला लोगों की जान और पेट पर वार करने लगे तो सरकार से मोहभंग होना स्वाभाविक हो जाता है।

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सरकार यदि वास्तव में गोवंश बचाने के लिये गंभीर होती तो इस समस्या पर अवश्य विचार करती कि यदि पशु कत्लखाने में जाने से बच गये तो उसके बाद क्या होगा। सरकार को यह अंदेशा क्यों नहीं हुआ कि कोई भी पशुपालक इतने मंहगाई के जमाने में बेकार पशुओं को घर पर नहीं रखेगा। सरकार टीवी पर बड़े-बड़े विज्ञापन दिखाकर यह जताने की कोशिस करती है कि एक दूध न देने वाले पशु के मूत्र व गोबर से किसान कमाई कर सकता है, लेकिन उसके लिये न कभी किसानों को प्रशिक्षण दिया गया और न ही कोई ऐसी व्यवस्था दी गयी जहां से किसान या पशुपालक लाभ उठा सके।

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योगी सरकार को यह फरमान जारी करने से पहले प्रत्येक जिले में ब्लाक स्तर पर किसानों के लिये एक ट्रेनिंग सेन्टर खोलना चाहिये था जिसमें किसानों को गोबर से जैविक खाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जाता। गाय के मूत्र का कलेक्शन व संरक्षण सेन्टर खोला जाता जिससे लोग अपनी दूध न देने वाली गाय या बछड़ों को खूंटे से छोड़कर भगा नहीं देते। लोगों को जान व माल का नुकसान न होता, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। क्योंकि सरकार की मंशा गौवंश की रक्षा नहीं बल्कि हिन्दुओं की भावनाओं को सहलाने का साधन मात्र था।

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इसके अलावा एक विकल्प यह भी था कि प्रत्येक जिलों में गौशाला खोली जाती, लेकिन यह भी नहीं हुआ। योगी जी को चाहिये था कि गौवंश की रक्षा का यह तीर चुनाव नजदीक होने पर चलाते तो उसका लाभ भी मिलता किन्तु यह तीर अब तरकश में लौट चुका है। मौके को ताड़कर सपा मुखिया अखिलेश यादव भी सही समय पर तीर छोड़ चुके हैं। उनका तीर निशाने पर लगा भी है। इस वीडियो को देखकर लोग योगी सरकार पर अंगुली उठा रहे है।

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इसी बीच एक और चर्चा धीरे-धीरे सिर उठाने लगी है। सूत्रों की मानें तो गांव से लेकर शहर तक अचानक आवारा जानवर गायब होने लगे हैं। सड़कों पर आवारा घूमने वाले पशुओं की संख्या कम होने लगी है। इसके पीछे कड़वा सच यह है कि पशु तस्करों के दिन लौट आये हैं। गाव गिरांव में आवारा घूमकर किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों को पशु तस्कर खुलेआम वाहनों पर उठाकर चल देते हैं। अब उन्हें कोई रोकने वाला नहीं है। प्रशासन के लोग भी मौन हैं, कयोंकि वे भी जानते हैं कि इसका और कोई निदान नहीं है। नष्ट होती फसलों से आजिज किसान भी पशु तस्करों को मौन सहमति दे रहे हैं। भदोही और जौनपुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में कसाई चोरी से पशुओं को काटकर उनका मांस खाने वालों के घरों तक पहुंचा रहे हैं। योगी सरकार का यह फरमान पहले इंसानों के लिये मौत का फरमान बना अब गौवंश के लिये बन गया है।

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