हिन्दी फिल्मों में नया इतिहास लिखेगी “वी फार विक्टर”
सत्य घटनाओं से प्रेरित हिन्दी फिल्म “वी फार विक्टर” अब रिलीज के लिये तैयार हो गयी है। इस फिल्म में दर्शकों को ऐसे खूबसूरत लोकशन और सीन्स देखने को मिलेंगे कि फिल्म खत्म होने तक वे पर्दे के मोहपाश में बंधे रहेंगे। और ऐसा हो भी क्यों न। इस फिल्म को बनाने में फिल्म अभिनेता, निर्माता सुदीप पाण्डेय ने अपने जीवन के सारे अनुभव को झोंक दिया है। वी फार विक्टर उन देशप्रेमियों की कहानी है जो गुमनाम रहते हुये अपने देश पर बलिदान हो जाते हैं। ऐसे वीर सपूतों की कहानी है जो प्रत्यक्ष में कोई और काम करते है, लेकिन अपने को गुमनाम रखते हुये देश पर बलिदान हो जाते हैं। ऐसे भारत मां के सूपत की कहानी है जो देश पर न्योछावर होने के लिये हमेशा तैयार रहते हैं, लेकिन जब वे कहीं कानूनी अड़चन में फंस जाते हैं तो देश उनका साथ नहीं देता है। देश के जिम्मेदार लोग साफ इनकार कर देते हैं कि उस शख्स से देश का कोई लेना देना नहीं है।
आपने रा के बारे में सुना ही होगा। रा के एजेण्टों की वीरता के बारे में पढ़ा भी होगा, रा के एजेण्ट अपनी मातृभूमि के लिये वेश बदलकर दर दर ठोंकरे खाते हैं। देश की खातिर अपनी जान देने के लिये भी तैयार रहते हैं, लेकिन जब किसी देश में वे फंस जाते हैं तो सरकार उनसे पल्ला झाड़ लेती है। सरकार उन्हें अपना मानने से भी इनकार कर देती है। इतना ही नहीं सरकार की उपेक्षा के कारण वे ही तिल तिल कर नहीं मरते बल्कि उनका परिवार भी ठोंकरे खाने को विवश हो जाता है। क्योंकि उनके परिवार को भी पता नहीं रहता कि वे रा के एजेण्ट हैं।
ऐसे ही एक किरदार की कहानी है वी फार विक्टर।
विक्टर एक बाक्सर की कहानी है जो अपनी मेहनत के बल पर जीत हासिल करता है। इस जीत को हासिल करने के लिये उसे कितनी मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी है, कितनी कुर्बानिया देनी पड़ी है। उसे फिल्म में बहुत ही बेहतरीन तरीके से फिल्माया गया हैं। फिल्म के नायक को विक्टर यानि विजेता बनने के लिये तमाम कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। तमाम चुनौतियों के बीच कभी हताश होता है तो कभी निराश। अंत में विक्टर यानि विजेता बनता है। लेकिन विक्टर बनने के सफर में किस तरह के झंझावतों को झेलना पड़ता है उसे बेहतरीन ढंग से पर्दे पर उतारा है फिल्म अभिनेता व भोजपुरी फिल्मों के सलमान खान सुदीप पाण्डेय ने।
इस फिल्म में उनकी को स्टार बंगाली फिल्मों की मशहूर कलाकार पामेला और साउथ की स्टार रूबी परिहार हैं। नसीर अब्दुल्ला, उषा वाच्छानी, रासुल टंडन, संजय स्वराज जैसे बालीवुड के बेहतरीन कलाकारों ने अपना जौहर दिखाया है। पहली बार इस फिल्म में सुदर्शन न्यूज के चेयरमैन सुरेश चव्हाणके भी अभिनय करते दिखेंगे। सुदीप पाण्डेय ने इस फिल्म में दोहरी भूमिका निभायी है। फिल्म में मलेशिया के खूबसूरत दृश्यों को जिस तरह फिल्माया गया है कि उन नयनाभिराम खूबसूरती को देखने में दर्शक मुग्ध हो जायेंगे। कर्णप्रिय गानों से सुसज्जित, मार-धाड़, इमोशन, प्यार मोहब्बत व एक बंधी हुई कहानी पर आधारित इस फिल्म को लोग बार-बार देखना चाहेंगे।
जीवन में खुद विक्टर रहें हैं सुदीप पाण्डेय
40 से अधिक भोजपुरी फिल्मों में बतौर निर्माता, निर्देशक और अभिनेता का किरदार निभा चुके सुदीप पाण्डेय का जीवन खुद किसी विक्टर से कम नहीं है। मौलाना आजाद इंजिनियंरिंग कालेज भोपाल से इंजिनियरिंग की डिग्री लेने वाले सुदीप पाण्डेय मूलतः बिहार प्रान्त के गया जिले से हैं। सुदीप का फैमिली बैकग्राउण्ड अन्य कलाकारों की तरह नहीं रहा, लेकिन बचपन से ही फिल्मी की दुनिया की चकाचैंध से प्रभावित थे। वे फिल्मों में काम करना चाहते थे किन्तु अभिनेता के रूप में। पढ़ाई पूरी करने के बाद सुदीप 1998 में अपने सपनों की नगरी मुम्बई आ गये। जीवन यापन चलता रहे इसके कुछ करना भी जरूरी था। इंजिनियरिंग की डिग्री हाथ में थी ही, लिहाजा एल एण्ड टी में जाब कर लिये। दो साल तक जाब करते हुये फिल्मों में हाथ पाव मारते रहे लेकिन कोई भी निर्माता नये चेहरे पर दांव नहीं लगाना चाहता था। कुछ छोटे मोट रोल आफर हुये, लेकिन सुदीप जानते थे कि यदि इनको स्वीकार कर लिये तो छोटे कलाकार का ठप्पा लग जायेगा जो उनके भविष्य के लिये ठीक नहीं होगा।
अब फिल्म के क्षेत्र में आना उनके लिये चैलेन्ज बन गया था। सुदीप ने ठान लिया कि कुछ भी करना पड़े लेकिन अपनी अलग पहचान बनाकर ही रहेंगे। सन् 2000 में सुदीप पाण्डेय ने अमेरिका का रूख किया और पांच साल तक अमेरिका और कनाडा में नौकरी करके पैसे कमाये। उन्हें धुन सवार थी कि पैसे इकठ्ठा करके फिल्म बनानी है। लिहाजा बिना थके हारे दो शिफ्ट में काम करते रहे।
2005 में अमेरिका से लौटने के बाद बतौर निर्माता ‘भोजपुरिया भइया’ भोजपुरी फिल्म बनायी। जिसमें निर्माता, निर्देशक और अभिनेता खुद रहे। अपनी फिल्म के डिस्ट्रीब्यूटर भी सुदीप पाण्डेय थे। फिल्म सुपर डुपर हिट रही और यहीं से सुदीप के फिल्मी जीवन का जो कारवां आगे बढ़ा वह बढ़ता ही गया। इसके बाद 40 भोजपुरी फिल्मों में बतौर अभिनेता काम किया। जिसमें चार फिल्मों को खुद ही प्रोड्यूस किया। सुदीप की बाडी, डायलाग डिलीवरी और अदाकारी का ऐसा जलवा कायम हुआ कि उन्हें लोग भोजुपरी फिल्मों का सलमान खान बोलने लगे। सुदीप ऐसे अभिनेता हैं जो बाक्स आफिस के मोह से दूर रहते हुए इस तरह की फिल्में करतें हैं जिसमें वाकई कुछ नयापन हो। सुदीप का अपना अलग ही अंदाज है। सुदीप ने कभी भी उस तरह की फिल्म नहीं की जिसमें सिर्फ पैसे कमाने को ही वरीयता दी गई है।
वी फार विक्टर सुदीप एक बेहद अलग तरह की फिल्म हैं। स्क्रीप्ट की डिमांड के अनुसार फिल्म को विदेशी लोकेशन पर भी शूट किया गया है। फिल्म को लेकर जब सुदीप से बात हुई तो उन्होंने बताया कि यह फिल्म उनका ड्रीम प्रोजेक्ट है। सुदीप बताते हैं कि उनकी फिल्म का कांसेप्ट बाक्सिंग पर आधारित है, इसलिये फिल्म को खूबसूरत एंगल देने के लिये तमाम विदेशी लोकेशन पर इंटरनेशल फाइट सीन को फिल्माया गया है। साथ ही फिल्म में रोमांस का भी एक बेहद खूबसूरत एंगल तो इसलिये फिल्म के गाने भी अच्छी लोकेशन पर शूट किये गये हैं।
सुदीप के मुताबिक विदेशी लोकेशन पर उन्होंने लगातार 35 दिन शूटिंग की।
जब सुदीप से मुलाकात हुई तो उन्होंने अपनी फिल्म के कुछ सीन दिखाये जो वाकई खूबसूरत हैं। बेहद मिलनसार व्यक्तित्व के स्वामी सुदीप पाण्डेय ने जो भी मुकाम बनाया है वह अपनी मेहनत और कार्य के प्रति समर्पण के दम पर बनाया है। थोड़ी ही सफलता में घमण्ड करने वाले उन युवाओं के लिये के लिये नजीर बन सकते है। सुदीप यह अहसास दिलाते हैं कि जीवन में सफलता पाना है तो व्यवहार कुशल भी रहना पड़ता है।
निजी जिन्दगी में भी निडर हैं सुदीप
वी फार विक्टर की कहानी में सुदीप पाण्डेय जीवन में आने वाली हर चुनौतियों का सामना करते हैं और उन चुनौतियों पर जीत भी हासिल करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि निजी जिन्दगी में किसी से डरते रहें हों। निजी जिन्दगी में जो भी मुसीबतें आयी उसका जमकर मुकाबला किये। सामने वाला व्यक्ति चाहे जितना भी पावरफुल रहा हो उसको झुकना ही पड़ा है। यहां दो घटनाओं का जिक्र करना चाहूंगा। विरार और नवी मुम्बई में फ्लैट खरीदकर छोड़ दिये थे। दरअसल सुदीप मुम्बई के उपनगर अंधेरी में रहते हैं इसलिये फ्लैट खाली पड़े थे। बिल्डर ने उनके फ्लैट को धोखाधड़ी करके दूसरे को बेच दिया। जब सुदीप को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने पहले बात किया। जब शालीनता से बात की तो बिल्डर ने सोचा कि डर गये हैं। अधिक दबाव बनाने के लिये बिल्डर ने चेहरे पर तेजाब फेंकने की धमकी भी दे दी, लेकिन सुदीप डरे नहीं और जीवन में आयी इस चुनौती का डटकर मुकाबला किया। बिल्डर के पक्ष में हीलाहवाली कर रही पुलिस को भी झुकना पड़ा और दोनों बिल्डरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ।
इसका परिणाम यह हुआ कि जो बिल्डर पहले बंदर घुड़की देकर डराने में लगा था अब सुलह समझौते के लिये दौड़ रहा है। सुदीप ने निजी जीवन में भी साबित कर दिया कि वे रियल जिन्दगी में भी हीरो हैं और हीरों ही रहेंगे। जिस तरह से सुदर्शन न्यूज और चेयरमैन सुरेश चव्हाणके के द्वारा फिल्म का प्रमोशन करने की योजना बनायी गयी है। और सुदीप फिल्म को हिट करने का जो फार्मूला अपनाकर फिल्म के प्रमोशन की योजना बना रहे हैं, उससे यहीं लगता है कि वी फार विक्टर प्रदर्शित होने के बाद एक नया इतिहास रचने के साथ सुदीप को बालीवुड के बड़े सितारों की फेहरिस्त में लाकर खड़ा कर देगी।