कहावत है कि अपनी राजनीति चमकाने के लिये राजनेता किसी हद तक जा सकते हैं। अक्सर कहीं न कहीं ऐसा देखने को मिल भी जाता है किन्तु जब संविधान की शपथ लेकर देश के कानून और मर्यादा का पालन करने का वचन लेने वाले लोग ही नियम और कानून का पालन न करें तो इससे समाज में क्या संदेश जायेगा। इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
ऐसा ही हुआ भदोही में जब ”कमल संदेश बाइक रैली’ निकाल रहे भाजपा कार्यकताओं ने ही नहीं वरन् भदोही के सांसद और विधायकों ने ही यातायात नियम की धज्जिया उड़ाते रहे। उनकी सुरक्षा में लगे पुलिस के उच्चाधिकारी और कर्मचारी सड़क पर निकले किसी सामान्य आदमी का हेलमेट प पहनने पर चालान काट देने में माहिर इन नेताओं को यह भी नहीं बोल पाये कि ‘सर जी, यदि आप हेलमेट लगा लें तो जनता में एक अच्छा संदेश जायेगा।’
बता दें कि लोक सभा 2019 को मद्देनजर रखते हुए उत्तर प्रदेश में भाजपा द्वारा “कमल संदेश – बाईक रैली” का आयोजन किया गया था। जिसमें सभी नेताओं ने अपनी तरफ से पूरी ताकत का परिचय दिया और बाईक वाली भीड़ जुटाने में सफल रहे। भदोही में भी भीड़ जुटी, आयोजन सफल हुआ और सब घर को गये किन्तु यातायात के नियमों की फिक्र किसी ने नहीं की और ना ही जन प्रतिनिधियों ने “कमल संदेश – बाईक रैली” में शामिल हुए लोगों के जान की परवाह की।
सोशल मीडिया पर उपलब्ध तमाम जिलों व मण्डल के कार्यक्रम को देख कर ऐसा लगता है कि सत्ता के दंभ में चूर भाजपा कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों ने किस तरह यातायात के नियमों की धज्जियां उड़ाई।
भदोही जनपद में भाजपा के दो विधायक दीनानाथ भास्कर (औराई) और रविन्द्र त्रिपाठी (भदोही) जो स्वयं इस “कमल संदेश – बाईक रैली” के हिस्सा थे। वे स्वयं बिना हेलमेट के बाईक बाईक चलाते और बैठे नज़र आये। भदोही जिलाध्यक्ष भाजपा “हौसिला प्रसाद पाठक” और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष किसान मोर्चा व भदोही लोकसभा सांसद ” विरेन्द्र सिंह मस्त” को भी बिना हेलमेट के देखा गया।
होना तो यह चाहिये था कि भदोही के जनप्रतिनिधि जब कमल संदेश यात्रा बाईक रैली निकाले तो देशहित, संस्कार और राष्ट्रवाद की बात करने वाली भाजपा के प्रति एक अच्छा संदेश देते और यातायात नियमों का पालन करने का संदेश देकर लोगों को जागरूक भी करते, लेकिन ऐसा देखा नहीं गयी। भाजपा के पदाधिकारी हों या जनप्रतिनिधि खुलेआम सड़क पर यातायात नियमों का धज्जियां उड़ाते देखे गये।
सोचने वाली बात है कि जब जब चुने हुये प्रतिनिधि ही देश के कानून का पालन नहीं करेंगे और अपनी राजनीति को चमकाने के लिये यातायात नियमों को तार तार करते दिखायी देंगे तो आमलोगों में क्या संदेश जायेगा। दुखद तो यह है कि चौराहों और तिराहों पर अक्सर घर से निकले लोगों को बिना हेलमेट के देखकर परेशान करने वाले पुलिस विभाग के लोग भी मूकदर्शक बने देखते रहे और किसी को यह नहीं कह पाये कि हेलमेट पहनकर की बाईक रैली में शामिल हों।