उल्हासनगर-(विट्ठलवाडी)। देखा जाऐ तो महिलाओं के लिऐ कानून में काफी सारे प्रवधान हैं। पर यह सब सिर्फ नाम मात्र हैं। एक पीड़िता जिसका नाम ललिता मनोज सोनवने हैं। वो अपनी शिकायत लेकर विट्ठल वाडी पुलिस स्टेशन गयी पर उसे पुलिस वाले ने काफी मानसिक तकलीफ दी उसकी शिकायत पर एफ.आई.आर दर्ज नही की गयी।
जानकरी अनुसार पीड़िता ललिता मनोज सोनवने ने बताया के ससुराल वालों पर दहेज उत्पीड़न औऱ मानसिक प्रताड़ना के खिलाफ अपनी शिकायत लेकर पहले उल्हासनगर-3 के सेंटर पुलिस लाईन के महिला निवारण केंद्र में दर्ज की, कार्यवाई के लिऐ दोनों पक्षों को बुलाया गया पर ससुराल पक्ष के लोग नही आए। तब आगे की कारवाई करने के लिऐ महिला निवारण केंद्र से फ़ाइल विट्ठलवाडी पुलिस स्टेशन भेजी गयी,
पीड़िता विट्ठलवाडी पुलिस स्टेशन गयी पूछताछ के लिऐ पर पुलिस द्वारा कहा गया फ़ाइल तो आ गयी हैं पर कल आना या जब हम फोन करेंगे तब आना। दो दिन इंतजार के बावजूद जब कोई बुलावा नही आया तो पीड़िता ने फिर पुलिस स्टेशन जाकर पूछताछ की। तब कॉन्स्टेबल अरुण रामा देवरे ने उसे पूरा-पूरा दिन बिठा कर रखा। उसकी एफ.आई.आर दर्ज करने से साफ मना किया। औऱ पीड़िता से कहा ये 498A का केस नही आप कोई दूसरी धारा लगाओ। आपका पति अच्छा आदमी हैं आप ही मुझे गलत लगती हों। जबकि उसका पति नासिक में रहता हैं औऱ पीड़िता पति से विवाद के बाद मुम्बई में अपने माता पिता के साथ रहती हैं।
पहले तो कंस्टेबल अरुण रामा देवरे ने खूब परेशान किया एफ.आई.आर पर अपने हिसाब से धारायें लगाने की बात की पीड़िता परेशान होकर चली गयी। दूसरे दिन पीड़िता अपने साथ कई महिलओं को लेकर थाने पहुँची तब वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रमेश भामे ने भी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया औऱ उन्हें आप लोग घरेलू महिला नही हों कहके सभी महिलाओं को अपमानित किया, कहा आगे से मेरे केबिन में ऐसी महिलाएँ नही आनी चाहिऐ। औऱ कॉन्स्टेबल देवरे से कहा ले लो जो एफ.आई.आर है। उसके बावजूद कॉन्स्टेबल देवरे ने कहा आपकी एफ.आई.आर यहा नही होगी आप नाशिक के हों तो आपकी एफ.आई.आर वही दर्ज़ होगी औऱ आपका केस भी वही चलेगा।
पीड़िता ने कहा मैं पिछले3 महीने से यही मुम्बई में रहती हूँ मेरी शादी यही मुम्बई में हुयी तो मैं नाशिक क्यों जाऊ इसपर देवरे कॉन्स्टेबल ने पीड़िता से कहा चलो मैं खुद तुमको नासिक ले चलता हूँ औऱ वही एफ.आई.आर दर्ज करवाते हैं। पीड़िता का कहना हैं पुलिस वाला उसके पति को साहब साहब कहके बाद करता हैं। औऱ मैं यही की होकर शिकायत दर्ज नही करा पा रही आखिर क्यों ?
कांस्टेबल देवरे ने पीड़िता से साफ-साफ कहा आपके पति से मेरी अच्छी पहचान हों गयी हैं आप केस मत करो अपने पति के घर जाकर रहो पीड़िता ने कहा वो मुझे रखना नही चाहते औऱ मेरा देवर मुझपर बुरी नजर रखता हैं उसने कई बार मेरे साथ गलत करनेकी कोशिश की। पति औऱ सांस को सब पता हैं फिर भी मुझे चुप रहने के लिऐ कहते हैं औऱ घर से भी निकाल दिये तो मैं कहा जाऊ? आप लिखित तौर लिख कर दें तो मैं अपने पति के घर जाऊ। वैसे अब मैं वहा नही रहना चाहती, पर पुलिस वलों ने काफी परेशान किया अब कॉन्स्टेबल देवरे ने पीड़िता से कहा अब आपका केस मैं नही देखूंगा कोई दूसरा कॉन्स्टेबल देता हूँ आप लोगों को वो जाने अब। तो वही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रमेश भामे जहाँ इतनी सारी महिलओं को अपमानित किये तो सोचिए उस अकेली पीड़िता ने क्या कुछ झेला होगा? आखिर पुलिस वलों की ये कैसी कार्यवाही हैं?
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