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भदोही में योगी सरकार ने दी सैकड़ों गोवंश को भूखे मरने की सजा..!

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किसानों की फसलों को जी—भर चरकर मोटे आवारा गोवशियों को भदोही में सजा दिलाने का नायाब तरीका ढूंढ लिया गया है। एक बड़ी गोशाला में सैकड़ों की तादात में कैद गोवशियों को भूख से तड़प—तड़प कर मरने की सजा दी गयी है। जो भूख प्यास से बचेंगे उन्हें वे संक्रमक रोग मार डालेंगे जो उनके बीच मरणसन्न स्थिति में अंतिम सांस गिन रहे बीमार पशुओं से फैल रहे हैं। इस तरह सरकार आवारा पशुओं से परेशान किसानों की नाराजगी से भी बच जायेगी और सरकार सिरदर्द बने गोवशियों से भी छुटकारा मिल जायेगा।

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चारा व पानी के बिना सूनी पड़ी चन्नी को निहारता गोवंश

यह सुनकर ताज्जुब भले ही लगे किन्तु भदोही में प्रशासन की देखरेख में जो हो रहा है। उसे देखने से तो यहीं लगता है कि शायद सरकासर की मंशा पर प्रशासन आवारा गोवशियों से छुटकारा पाने के लिये चुतुराई भरा रास्ता निकाल लिया है। इससे जनता के बीच यह संदेश भी जायेगा कि प्रशासन आवारा गोवंशियों के लिये आश्रय स्थल का इंतजाम कर लिया है। उधर, चहारदीवारी के भीतर भूख प्यास और रोगों से इनकी संख्या भी कम होती रहेगी। विश्वास न हो तो प्रशासन के उक्त चतुरचाल का नजारा भदोही विकास खण्ड के ग्राम डुड़वा धर्मपुरी में खुली आंखों से देखा जा सकता है।

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भूख प्यास से दम तोड़ चुका गोवंश

 

जहां एक गोशाला और उसकी चहारदीवारी के भीतर 500 से अधिक गोवंश भूख प्यास से तड़प रहे हैं। न उनके चारे का इंतजाम है और पानी की व्यवस्था। गोशाले में मौजूद दो कर्मियों ने बताया उन्हें उनके देखभाल की जिम्मेदारी गोशाला के संचालक सुरियावां के समाजसेवी भोलानाथ शुक्ला ने सौंपी है। किन्तु देखभाल करने वाले कर्मी कर भी क्या सकते हैं जब पशुओं के खाने का कोई इंतजाम भी नहीं है। बताया कि दो दिन पूर्व एक ट्रैक्टर पुआल किसी ग्राम प्रधान के सहयोग से प्रशासन ने भिजवाया था। जो खुले रखी है। भटकते पशु उसपर मल मूत्र भी कर दिये हैं। जिसे चाहकर भी पशु खा नहीं पा रहे हैं।

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भूख से बेहाल मौत के इंतजार में गोवंश

गोशाला की बड़ी चार टिनशेड पक्की चन्नियों में बांधे गये सैकड़ों गोवंशियों के सामने सिर्फ सूखी और खाली चन्नी ही नजर आ रही है। जिसमें न एक तिनका भूंसा है और न ही कोई अन्य चारा । पानी के लिये पाइप तो है किन्तु चन्नियां खाली हैं। बंधे पशु चिल्ला रहे हैं। करीबी आधा दर्जन पशु ऐसे हैं जो समूह के बीच बीमार बेहोश पड़े अंतिम सांसे गिन रहे हैं। खुले चहारदीवारी के बीच टहल रहे सैकड़ों पशु हाते में पूर्व से बीयी गयी कुछ सब्जियों के ठूंठों से मुंह रगड़कर अपनी भूख मिटाने का असफल प्रयास कर रहे हैं।

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ठूंठ में पेट भरने का सामान ढूंढ रहे गोवंश

 

अहाते के एक तरफ करीब दस वर्गफिट में पानी भर दिया गया है। जिसे आहाते में घूम रहे पशु ही पी पाते हैं। गोशाला में रस्सी से बंधे सैकड़ों गोवशियों को वह भी नसीब नहीं है। पूछने पर वहां के कर्मियों ने बताया कि इनकी देखरेख के लिये प्रशासन की तरफ से दो चिकित्सक भी तैनात हैं किन्तु उनका काम गोशाला में किसानों द्वारा पकड़कर पहुंचाये जा रहे गोवशियों के कानों में बिल्ला मढ़कर नंबरिंग करना भर दिखाी पड़ता है। इस प्रशासन द्वारा गोवंशियों के लिये किया गया आश्रयस्थल का इंतजाम पधुओं के लिये काला पानी अथवा भूख से तड़पा—तड़पाकर मारने की सजा देने का जरिया बनकर रह गया है।

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1 COMMENT

  1. एक तरफ वाहवाही लूटती है और दूसरी तरफ पापा बटोर रही है बेजुबान पशुओं को मार कर !

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