Home अवर्गीकृत सिपाही भर्ती: प्रतियोगिता में दौड़े डॉक्टर, एमबीए, वकील और इंजीनियर

सिपाही भर्ती: प्रतियोगिता में दौड़े डॉक्टर, एमबीए, वकील और इंजीनियर

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मुंबई पुलिस में सिपाही की भर्ती से जुड़ी खबरों ने एक बार फिर नौकरी के मुद्दे पर सरकार की पोल खोल कर रख दी है। मुंबई पुलिस में सिपाही की भर्ती के लिए 8 अप्रैल से 8 मई तक कराए जा रहे दौड़ प्रतियोगिता में डॉक्टर, एमबीए, वकील और इंजीनियर डिग्री धारियों की दौड़ ने लोगों को उनकी क्षमता और शिक्षा के आधार पर रोजगार दिलाने में सरकार की असफलता को एक बार फिर उजागर किया है। मुंबई पुलिस में सिपाही पद के लिए निकाली गई मात्र 1137 भर्तियों के लिए आए दो लाख से ज्यादा आवेदन चीख चीखकर भारत मे नौकरियों के खस्ता हाल या फिर कहे अकाल की बात कहती है।

खबर के अनुसार, मुंबई पुलिस द्वारा सिपाही के पद के लिए निकाले गए 1137 भर्ती के लिए 2 लाख से अधिक लोगो ने आवेदन किया है। हजार से कुछ ज्यादा पदों के लिए 2 लाख से ज्यादा आवेदन हैरान तो करते है। लेकिन सबसे ज्यादा परेशान यह बात करती है कि इस भीड़ में वकील से लेकर डॉक्टर और इंजीनियर से लेकर एमबीए डिग्रीधारी युवा भी शामिल है। आवेदन के आंकड़े देखें तो जो दो लाख से ज्यादा आवेदन आए हैं उनमें 423 इंजिनियर्स, 167 एमबीए, 543 एम.कॉम सहित अन्य परास्नातक, 28 बीएड, 34 एमसीए, 159 एमसीए, 25 मास मीडिया ऐंड कम्युनिकेशन, 3 बीएएमएस, 3 एलएलबी, 167 बीबीए हैं।​ सिपाही भर्ती के लिए शारीरिक परीक्षण लिया जा रहा है। रोज लगभग 9,000 आवेदकों को हुतात्मा मैदान नैगांव, गोरेगांव पुलिस मैदान और घाटकोपर में बुलाया जा रहा है।

इस संबंध में पुलिस कमिश्नर अरुण पटनायक ने बताया कि वह बहुत हैरान हैं कि डॉक्टर्स, इंजिनियर्स तक सिपाही भर्ती के लिए आ रहे हैं। ये पढ़े-लिखे युवा ग्रामीण इलाकों के रहने वाले हैं। इनकी अंग्रेजी बोलने की स्किल अच्छी नहीं है इसलिए उन्हें प्राइवेट सेक्टर में नौकरी नहीं मिल रही है। महाराष्ट्र के युवा नौकरी चाहते हैं लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है। बकौल अरुण पटनायक एक सिपाही को रहने के लिए क्वॉटर मिलता है। साथ में 25,000 रुपये हर महीने वेतन और दूसरे भत्ते मिलते हैं। वह विभागीय परीक्षाओं में शामिल हो सकते हैं और फिर प्रमोशन पाकर एटीएस, खुफिया विभाग, साइबर क्राइम टीम में पांच साल के अंदर जा सकते हैं इसलिए वे किसी तरह विभाग में भर्ती होना चाहते हैं।

विश्व बैंक ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि भारत में हर महीने 13 लाख लोग कामकाज करने की उम्र में प्रवेश कर जाते है। इतनी बड़ी जनसंख्या के हर महीने रोजगार उम्र में प्रवेश करने के चलते रोजगार दर को बनाए रखने के लिए भारत को सालाना 81 लाख नौकरियां पैदा करने की जरूरत है। लेकिन मुंबई से आई इस खबर ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारत में वर्तमान समय में नौकरियों का कितना भारी संकट चल रहा है।

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