Home मन की बात अल्लाह मियां मेरे भाई को दीजो नंदलाल

अल्लाह मियां मेरे भाई को दीजो नंदलाल

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आम तौर पर हमारे पूर्वांचल मे मुसलिम घरों मे गोद भराई के मौके पर यह सोहर गाया जाता था, कहीं कहीं आज भी गाया जाता है… ” इसमें अल्लाह मिया से यह दुआ की जाती है कि मेरे भाई को भगवान कृष्ण जैसा पुत्र देना ” !
बचपन में अपने गाव और आसपास के गावों में मैनें यह गीत खूब सुना है,एक आध बार तो मुबई में भी मुस्लिम उत्तर भारतियों के घरों मे भी यह गीत सुना है!
अब तो सिर्फ उसकी यादें ही रह गई है, आज अस्पताल आते समय यकायक यह गीत किसी घर से निकल कर मेरे कानों में पडा और बचपन की याद तरोताजा हो गई!
आज अगर मै किसी को बताऊँ तो सहसा कोई विश्वास ही नहीं करेगा कि मेरे पूर्वांचल की मुस्लिम महिलाएं नंदलाल की तरह बेटा पाने के लिए अपने अल्लाह मियां से विनती करती है!
मेरा पूर्वांचल आज भी वैसा ही है जैसा पहले था,थोडी बहुत बदलाव की बयार तो हर जगह बह रही है,सो पूर्वांचल भी इससे अछुता नहीं है!
हमारे पूर्वांचल मे आज भी मुसलिम महिलाएं मांग मे सिंदूर लगाती है,हाथो मे चूडियां पहनती है और माथे पर बिंदी लगाती है!वैसे आधुनिकरण मे चूड़ी,बिंदी और सिंदूर की संस्कृति हिंदु धर्म मे भी शनै: शनै: खत्म होती जा रही है,इसमें कोई हर्ज भी नही है, हमें बेड़ियो वाली परंपरा से आजाद होना भी चाहिए!
आप को जानकर शायद आश्चर्य हो कि कई मुसलिम महिलाएं नवरात्री और छठ पर्व का उपवास रखती है। मुंबई में तो कई मुस्लिम परिवारों को वयक्तिगत तौर पर जानता हूँ जो हर साल अपने घरों गणेशोत्सव के समय में गणपति भगवान की स्थापना करते है!
पूरे भारत मे होली और राम लीला सबसे ज्यादा इस क्षेत्र के मुसलिम भी मनाते है,बढ चढ़ कर सहभागी होते है!
वैसे धार्मिक कट्टरता की हवा तो आज पूरे भारत मे बह रही है, थोड़ा बहुत तो यह क्षेत्र भी प्रभावित जरूर हुआ है, इसमें दो राय नहीं है। लेकिन कुल मिला कर अभी भी स्थिति दयनीय नही है, गंगा जमुनी तहजीब के दर्शन आम तौर पर बडी आसानी से हो जाते है।

नोट: धीरज फूलमती सिं​ह स्वतन्त्र लेखक हैं। यह इनका स्वतन्त्र विचार है। हमारा पूर्वांचल किसी भी विवाद का जिम्मेदार नही है।

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