देश की बेटियों व महिलाओं के लिये 21 अप्रैल 2018 का दिन ऐतिहासिक रहा क्योंकि भारत सरकार की कैबिनेट ने इस दिन बेटियों व महिलाओं के पक्ष में एक बडे अध्यादेश की मंजूरी दी जिसमें दुष्कर्मियों की सजा में बढोत्तरी व 12 वर्ष की कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म पर मृत्युदंड का प्रावधान सम्मिलित हैl साथ ही साथ अध्यादेश में यौन अपराधियों पर नजर रखने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर उनका डाटाबेस व प्रोफाइल बनाया जायेगा जो राष्ट्रीय अपराध नियंत्रण ब्यूरो के नियंत्रण में रहेगाl भारत की यह पहल वास्तव में देश में महिलाओं के प्रति बढ रही अपराध व वीभत्स घटनाओं को रोकने व उनको त्वरित न्याय दिलाने में कारगार कदम साबित होगाl यौन अपराधियों का डाटाबेस रखने में भारत भी विश्व के अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैण्ड, आस्ट्रेलिया, आयरलैण्ड समेत देशों की सूची में शामिल हो जायेगाl
दिल्ली में हुये निर्भया काण्ड के बाद से ही देश भर के लोगों में दुष्कर्म करने वाले को फांसी की मांग मुखर होने लगी थी और दिनों दिन हो रही घटनाओं से सरकार को यह फैसला लेना पडाl हाल ही में कठुआ, सूरत, मऊ, उन्नाव आदि की घटनाओं ने पुरे देश को झकझोर कर रख दिया कि जिस देश में बेटी बचाओ बेटी पढाओ का आदर्श नारा दिया जा रहा है उस देश की बेटियां सुरक्षित नही है, परिजन देश में हो रही घटनाओं से चिंतित रह रहे है, उन्हें अपनी बेटियों के प्रति हमेशा सचेत रहना पड रहा हैl अब यहां सवाल उठता है कि आखिर कौन है जिम्मेदार इन घटनाओं का? आज दंरिंदों की मानसिकता इतनी गिर गई है कि दरिंदे अपनी दरिंदगी की हर हद पार कर देते हैl देश में कानून बनाने मात्र से किसी भी समस्या का समाधान नही हो सकता है बल्कि उस कानून को सख्ती से लागू करना तथा पीडित को त्वरित न्याय दिलाना जरूरी है, ऐसा नही है कि देश में दुष्कर्म करने वालों के खिलाफ कोई कानून नही है बल्कि कानूनी पेचिदगी कभी कभी आरोपी को दोषमुक्त करने में सहायक हो जाती है और पीडित न्याय की गुहार के लिये दर दर ठोकरे खाती हैl
इस तरह की वीभत्स घटनाओं के लिये समाज की मानसिकता में परिवर्तन होना जरूरी है तब ही इन सामाजिक चीजों का बचाव किया जा सकता हैहै, जिसमें बडे ही शर्म की बात है कि यह वही भारत है जहां नारी को पुजनीय माना जाता है लेकिन देश के कुछ दरिंदे अपनी दरिंदगी के चक्कर में देश का नाम खराब करते हैl जब देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी तो उस समय भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी जी भी दुष्कर्म के आरोपी को मृत्युदंड की बात कही थी लेकिन उस समय किन्ही कारणों से अध्यादेश न बन सका।
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का महिलाओं के हित में एक के बाद एक ऐतिहासिक फैसला वास्तव में देश की महिलाओं के लिये वरदान साबित हो रहा है लेकिन भाजपा के कुछ नेताओं के वजह से सरकार को मुंह खाना पड रहा है जिसमें हाल ही में उन्नाव दुष्कर्म कांड में भाजपा के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का नाम आना या संतोष गंगवार का बयान काफी संवेदनशील रहा। समाज के जिम्मेदार लोगों का रवैया एकदम स्वच्छ व स्पष्ट होना ही देश के बेहतर साबित होगा।
हालांकि यह जिम्मेदारी पुरे समाज की है कि देश की बेटियों व महिलाओं की सुरक्षा के लिये हम सब सदैव तैयार रहे, समाज में कुछ ऐसी घटनायें भी हो रही है जिनमें हमारी बेटियों की नासमझी या लापरवाही है। आज हम देख रहे है कि समाज में कुछ बहसी किस्म के प्रेमी जो शादी का झांसा देकर बेटियों को ब्लैकमेल करते है और बाद में जिंदगी बर्बाद करने के बाद मुंह मोड़ लेते है।
भारत में संस्कार, लज्जा, संकोच महिलाओं का आभूषण माना जाता था लेकिन आज आधुनिकता के दौर में इन चीजों की कमी देखने को मिल रही है जो कही न कही परोक्ष रूप से इन घटनाओं की वृद्धि में सहायक हैl बच्चियों को अपने माता-पिता, बडों, गुरूजनों की बात को ध्यान में रखकर ही रहना व कार्य करना चाहिये क्योंकि कुछ ऐसी भी लडकियां होती है जो अपने मनमानी पुर्ण कार्यों से परिवार को दिक्कत में डाल देती है और बाद में उनके परिवार को और खुद उनको भी समस्याओं का सामना करना पडता है।
यह ध्यान रहे कि केवल बिंदास खानपान, रहन-सहन, मेल-मिलाप में रहने से कोई सफल नही होता है, सफलता में शालीनता, शिष्टाचार, सभ्यता, संस्कार, विद्वता व प्रतिभा की जरूरत होती हैl बच्चियां यह दिमाग में मत पालें कि उनके स्वतन्त्रता में कोई बाधक हो रहा है, बात तब बिगड जाती है जब कोई स्वतन्त्रता को स्वच्छन्दता में बदल देता हैl कोई कितना भी विद्वान क्यों न हो समाज उसकी हर चाल पर नजर रखता हैl अत: समाज के हर तबके से यही आशा है कि देश की बेटियों व महिलाओं के रक्षा व सम्मान में आंच नही आने देंगें, देश का कानून व सरकार तो अपना काम करेगा ही।
भारत की महिलायें आज हर क्षेत्र में कामयाबी की नई इबारत लिख रही है तो उनके सम्मान व रक्षा में हम क्यों पीछे रहे? देश की महिलाओं का सम्मान देश को एक नई ऊंचाई पर ले जायेगा।
यह लेखक संतोष कुमार तिवारी के स्वतन्त्र विचार हैं। हमारा पूर्वांचल किसी विवाद की जिम्मदार नहीं।
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