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खेतों में काम करने वाली पूनम यादव ने कॉमनवेल्थ गेम्स में जीता गोल्ड, वेटलिफ्टर बनाने के लिए भूखा सोया था परिवार

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अपने माता पिता के साथ पूनम

वाराणसी। कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने लगातार चौथे दिन गोल्ड जीता है। वेटलिफ्टर पूनम यादव ने 69 किग्रा कैटेगरी में 222 (स्नैच में 100 और क्लीन एंड जर्क में 122) किग्रा का वजन उठाकर गोल्ड मेडल जीता। पूनम वाराणसी जिले के दांदुपुर की रहने वाली हैं। पूनम के घर पर खुशी का माहौल है। सभी एक-दूसरे को मिठाइयां खिला रहे हैं। बता दें कि पूनम के पिता किसान हैं और पूनम इस समय रेलवे में टीटीई की नौकरी कर रही हैं। यहां तक का सफर तय करने में पूनम और उनके परिवार ने कई कठिनाइयों का सामना किया है।
बता दें कि पूनम की मां उर्मिला आज भी उन दिनों को याद कर रो पड़ती है। वो कहती हैं, वो पल भूले नहीं जा सकते हैं। जब भूखे भी रहना पड़ता था। बेटी के खेलने पर लोग ताने देते थे, आज वही लोग सलाम करते हैं। – उन्होंने कहा कि 2014 ग्लासगो में कॉमनवेल्थ गेम्स में जब बेटी ने ब्रॉन्ज मेडल जीता तो हम लोगों के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि मिठाई बांट सके। तब पूनम के पापा कहीं से इंतजाम कर लेकर आये। तब घर में खुशियां मनाई गयी।
वहीं दादी संदेयी बताती हैं कि जब एक बार पूनम को वेट उठाते देखा तो खूब रोईं। डर लगता था कि इतना भारी लोहा कैसे उठाती है। पूनम खेतों में खूब मेहनत करती थीं।
पिता कैलाश यादव ने बताया कि ओलिम्पिक में कर्णम मल्लेश्वरी के गोल्ड मेडल जीतने के बाद से यही सपना था कि मेरी बेटी भी मेडल लाए। 2011 में पूनम ने प्रैक्टिस शुरू की। घर और खेतों का सारा कामकाज भी वही करती थी। गरीबी के चलते उसे पूरी डाइट भी नहीं मिल पाती थी। फिर अपने गुरु स्वामी अगड़ानंद जी ने मुझे स्थानीय समाजसेवी और नेता सतीश फौजी के पास भेजा। उन्होंने पूनम को खिलाड़ी बनाने में पूरी मदद की और करीब 20 हजार रुपए महीना खर्च दिया। ग्लासगो कॉमनवेल्थ में हिस्सा लेने के लिए हमारे पास पैसे नहीं थे। तब भैंसों को बेच दिया और करीबियों से 7 लाख रुपए उधार लिए। यहां ब्रॉन्ज मेडल लाकर उसने सबका सपना पूरा कर दिया।
पिता कैलाश ने बताया कि पूनम वेटलिफ्टिंग के लिए तैयार हो गयी लेकिन उसे विदेश भेजने के पैसे जुटाने में मुश्किल हो रही थी। तब दो भैंसों को बेच दिया और दोस्तों-परिवार वालों से कर्ज लिया। पूनम ने अपने दम पर सारे कर्जों को भर कर अपना घर भी खड़ा कर दिया है। आज पूरा परिवार उसके स्ट्रगल को याद नहीं करना चाहता है।
पूनम ने अभी बीए थर्ड ईयर कम्प्लीट किया है। अभी टीटीई की नौकरी भी कर रही हैं। पूनम के 2 भाई 4 बहनें हैं। दोनों भाई आशुतोष यादव और अभिषेक यादव हॉकी में नेशनल प्लेयर हैं।
पूनम ने 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में 63 किलोग्राम कैटेगरी में ब्रॉन्ज जीता था। 2017 कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप (गोल्ड कोस्ट) में 69 किग्रा कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता था। 2015 में पुणे में हुई कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में 63 किग्रा कैटेगरी में गोल्ड जीता था।
पिछले साल अमेरिका के अनॉहाइम में हुई वर्ल्ड चैम्पियनशिप में वह 69 किग्रा कैटेगरी में नौवें नंबर पर रहीं थीं। तब उन्होंने 218 (स्नैच में 98 और क्लीन एंड जर्क में 120) किग्रा का वजन उठाया था। हालांकि, कजाखिस्तान के अलमाटी में 2014 में हुई वर्ल्ड चैम्पियनशिप में उनका प्रदर्शन बहुत बढ़िया नहीं रहा था। तब वह 63 किग्रा कैटेगरी में 20वें नंबर पर रहीं थीं।

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  1. मेहनत आखिर रंग लाई बधाई ! औऱ आगे भी ऐसे ही प्रदर्शन करे और देश / प्रदेश का नाम रोशन करे !

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