मुंबई। साहित्यिक संस्था काव्यकुंज की १११२ वीं काव्यगोष्ठी काव्यकुंज के अध्यक्ष स्वर्गीय कैलाश गुप्ता के नाम रही। राष्ट्रीय संस्था काव्यसृजन के संस्थापक शिव प्रकाश जौनपुरी ने सर्वोच्च साहित्यसेवी सम्मान साहित्य रत्न से सम्मानित दिवंगत स्व.कैलाश गुप्त जी को अपना समय समर्पित किया।रमेश श्रीवास्तव की अध्यक्षता व जे पी बघेल के संचालन में उपस्थित कवियों ने स्व. कैलाश गुप्त जी को श्रद्धांजलि, पुष्पांजलि, शब्दांजलि आदरपूर्वक अर्पित की।
कवियों में पं. शिवप्रकाश जौनपुरी, डॉ जे पी बघेल, गुलशन मदान, रमेश श्रीवास्तव, हरि राम यादव, आशीष अनोखा, उमेश पाण्डेय, अवधेश यदुवंशी, शतीश शुक्ला रकीब, निर्मल नदीम, महेश गुप्त जौनपुरी, एस के शर्मा, शिवकुमार वर्मा, रजनीश प्रजापति, मुरलीधर पाण्डेय, बी एल शर्मा कुँवारा, दिनेश मंडल डॉ शोभा स्वपनिल, विनय शर्मा दीप उपस्थित होकर अपने प्रिय साहित्यसेवी को आदराजंलि अर्पित की।
उनके व्यक्तित्व व कर्तित्व पर प्रकाश डालते हुए पं. शिवप्रकाश जौनपुरी ने कहा कि हमने एक अतुलनीय साहित्यसेवी खोया है जिसकी भरपाई नहीं कि जा सकती फिर भी हमलोगों की कोशिश रहेगी कि उनके द्वारा प्रकाशित साहित्यिक मशाल को प्रकाश मान रखी जाय। उनके पुराने दिनो के साथी वरिष्ठ कवि रमेश श्रीवास्तव जी उनकी तन्मयता और लगन की प्रसंशा करते हुए कहा कि हमने एक साहित्यिक निधि खोया है शिवकुमार वर्मा ने उनके साथ बिताये हुए पलों को याद करते हुए कहा कि हमने कैलाश गुप्त के रूप में साहित्यिक हीरा खोया है जो बिरले ही मिलता है। इसी तरह अन्य लोगों ने भी उनके बारे में अपने बिचार प्रकट किये। जिसमें मुख्यतः शतीश शुक्ला रकीब, गुलशन मदान, हरिराम यादव,डॉ शोभा स्वपनिल रहीं।
उनके आखिरी दिनों में सबसे नजदीक रहे डॉ जे पी बघेल ने उनके जज्बे की सराहना करते हुए कहा कि वो अपने अंतिम क्षणों तक साहित्य को समर्पित रहे और आखिरी इच्छा ए कि ए मशाल अनवरत जलती रहे। संयोग साहित्य के सम्पादक मुरलीधर पाण्डेय ने उनके बारे में कहा कि साहित्य जगत को एक अपूर्णीय क्षति हुई है। कैलाश गुप्त जी एक सच्चे साहित्यसेवक थे और एक नेक दिल इंसान को हमने खोया है। नमन है ऐसे पुरुष को। अंत में दिनेश मंडल ने उपस्थित सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया और गोष्ठी का समापन किया।