अभय दूबे जी के मन की बात
15 अगस्त भारत देश की आजादी का दिन और हम सब के लिये अभिमान का दिन. आज 16 अगस्त दोपहर में एक दृश्य देखकर मै हैरान रह गया की इस बात पर मुझे गर्व होना चाहिए की दुःखी होना चाहिये. लोकल ट्रेन लगेज डब्बे में एक बच्चा और एक बच्ची ट्रेन में कुछ सब्जी लेकर चढ़े. किसी तरह जगह बनाई अपने लिये और खड़े हुये. मुझसे नही रहा गया मैने पूछा ये सब्जी कहा से लाये तो उसने कहा वाशी से, मै हैरान रहगया की वाशी से थाना और अब ठाणे से ये बच्चा और बच्ची कलवा जायेंगे. मैने पूछा इसे कहा बेचोगे, आप का दुकान है या रोड पर बेचोगे तो बोला की रोड पर. तब तक कलवा स्टेशन आगया और वह बच्चा उतरने की तैयारी करने लगा, मै कुछ और नही पूछ पाया और वो उतर गया. सच कहु तो उसे देखकर गर्व हुआ की वो मेहनत करके अपने पेट के लिये जी रहा है. कुछ बच्चे और बडे भीख मांगकर जीते है. और दुःख भी हो रहा था इन सब में उसका बचपन घोगया है और उसे पता भी नही. मै अपनी नराजगी उसके घर वालो पर करू या उसकी गरीबी पर या इस आजाद देश की व्यवस्था पर