भदोही : सुनने में यह अजूबा भले ही लगे किन्तु है पूरी तरह सच। पत्नी की मृत्यु के 27 साल बाद एक साधक ने उससे सजीव साक्षात्कार किया। करीब पांच मिनट के इस मिलन में पति साधक ने अपना दुःख दर्द पत्नी से कहा और उससे मृत्युपरान्त स्थितियों की जानकारी ली। ऐसा किसी तांत्रिक क्रिया के जरिये नहीं बल्कि ऋग्वेद के एक रहस्यमयी मंत्र के सविधि जाप के कारण संभव हो पाया। इस घटना ने एक बार पुनः यह प्रमाणित करने का कार्य किया है कि ऋग्वेद सामान्य ग्रन्थ नहीं बल्कि ज्ञान-विज्ञान और परलोक की स्थितियों तक की जानकारी दिला देने का खजाना हैं बशर्ते कोई इसे जानने समझने एवं इसके मंत्रों का सही उपयोग करने वाला हो।
उक्त घटना किसी अघोरपंथी तांत्रिक के साथ नहीं बल्कि भदोही जिले के सुरियावां क्षेत्र के ग्राम मकनपुर निवासी सामान्य किसान से रहने वाले गृहस्थ साधक माताचरन मिश्रा के साथ विगत तीन चार वर्ष पूर्व घटित हुई थी। वास्तु और भविष्य शाष्त्र के अपने तरह के विरले विद्वान पं. माता चरन मिश्र ने इस घटना का उल्लेख अपने शिष्यों के बीच ऋग्वेद के मंत्रों का भाष्य करने के दौरान किया था। बात फैली तो इसकी भनक ‘हमार पूर्वांचल’ के कानों तक पहुंची। हमार पूर्वांचल से चर्चा के दौरान श्री मिश्रा ने जो बताया वह वास्तव में अद्भुत अलौकि और अचंभित कर देने वाला था।
श्री मिश्रा ने बताया कि तीन चार वर्ष पूर्व एक दिन अध्ययन के दौरान उनकी नजर ऋग्वेद के एक ऐसे मंत्र पर टिक गयी जिसके सविधि जप से किसी मृतात्मा को कुछ समय के लिये सजीव बुलाया जा सकता है। उससे बात-चीत की जा सकती है। उन्हें उनकी पत्नी स्व.श्रीमती चमेला देवी की याद आयी जिनकी मृत्यु हुये करीब 27 साल बीत चुके थे और उसकी आत्मा को केन्द्र बिन्दु बनाकर उन्होंने मंत्र का सविधि जाप शुरू कर दिया। जप क्रिया की वह तीसरी रात करीब तीन बजे का समय था। कुछ दूर उन्हें दिव्य प्रकाश दिखा जो धीरे धीरे उन्हीें की तरफ चला आ रहा था। पास आने पर वह आकृति का रूप ले लिया। उसके साथ दो और आकृतियां थी। अभी श्री मिश्रा कुछ समझ पाते उसके पूर्व ही तीनों आकृतियां उनके सम्मुख खड़ी हो गयी। आकृतियों की दिव्यता ऐसी कि उस पर नजर टिक नहीं पा रही थी।
श्री मिश्र ने बताया कि उन्हें देखकर वे खुद आश्चर्यचकित हो गये। आकृतियों को किसी देवी का अवतरण मानकर दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम किया और पूछा आप सब कौन हैं। उनमें सबसे श्रेष्ठ दिख रही आकृति ने बताया कि वह कोई देवी नहीं बल्कि वहीं है जिसका आप आह्वान कर रहे हैं। आने पर पहचानते भी नहीं। श्री मिश्रा ने बताया कि गौर करने पर स्पष्ट लगा कि वह उसी स्वरूप में थी यह जिस स्वरूप में वह 27 वर्ष पूर्व उन्हें छोड़कर दिवंगत हो गयी थी। उन्होंने बताया कि उनके पास करीब पांच मिनट तक रही। इस बीच अनेक बिन्दुओं पर चर्चा हुई। चर्चाओं में मृत्युपरान्त स्थितियों की भी बात हुईं चर्चाओं की मुख्य बातों को गोपनीय रखते हुये श्री मिश्रा ने बताया कि वह दो आत्माओं का साक्षात्कार था। जिसमें एक सजीव देहधारी परम आत्मा थी और दूसरा पार्थिव शरीर धारी मानव। हां…! यह उन्होंने याद करके बताया कि पूछने पर वह बतायी कि वर्तमान में उसका वास हिमालय में है। वह मां पार्वती के सेवा मंडली में शामिल है। बार-बार के मंत्र आह्वान पर उसे दो सेविकाओं के संरक्षण में कुछ पल के लिये धरती पर भेजा गया है।
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