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..तो मौत का सौदागर है यह घाट, मेले के समय हो सकता है बड़ा हादसा

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Sitamadi bhadohi
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रिपोर्ट: रामकृष्ण पाण्डेय

 

प्रशासन को 14 से 21 तक रहना होगा खासा चौकन्ना

 

सीतामढ़ी/भदोही/उप्र। प्रत्येक वर्ष की भांति काशी-प्रयाग के मध्य स्थित धार्मिक नगरी सीतामढ़ी में होने वाले ऐतिहासिक अखिल भारतीय नौ दिवसीय रामायण मेले का समय नजदीक आता जा रहा है। तैयारियां जोर पकड़ती दिख रही हैं। मेला समिति जहां मेले की सफलता के लिए आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित कराने में जोर-शोर से जुटा हुआ है वहीं शुक्रवार से मेला क्षेत्र में झूले समेत तमाम खरीददारी व खाने-पीने वाले वस्तुओं की छोटी-बड़ी दुकानों तथा खेल-खिलौने की दुकानों का आना शुरू हो गया है।

लेकिन एक बड़ी बात जो लोगों के जेहन में डर पैदा कर रहा है और तटवर्ती इलाकों में बसे लोगों के दिल में कौंध रहा है, वह है सीतामढ़ी स्थित महर्षि वाल्मीकि गंगा घाट। जिसे मौत का सौदागर कहा जाए तो गलत नहीं होगा ! क्योंकि 4 महीने के भीतर यह गंगा घाट आधा दर्जन लोगों को अपने काल रूपी गाल में निगलकर दुनिया से विदा कर चुका है। ऐसे में आगामी 14 से 21 जुलाई तक चलने वाले नौ दिवसीय मेले में बड़ी संख्या में क्षेत्रवासियों सहित दूरदराज के श्रद्धालुओं का सीतामढ़ी में आना जाना व जमावड़ा होगा। लोग मेले का आनंद लेने के साथ गंगा स्नान का भी लुत्फ़ उठाएंगे। इस बीच महर्षि बाल्मीकि गंगा घाट पर नहाने हेतु जुटने वाले स्नानार्थियों की भारी-भरकम भीड़ में लोगों की जरा-सी लापरवाही या मस्ती बड़ी दुर्घटना का कारण भी बन सकती है।

इसलिए मेले के समय पुलिस प्रशासन को ऐहतियात बरतने की खासी जरूरत है। वरना श्रद्धालुओं की थोड़ी-सी लापरवाही या नासमझी कब किसी बड़े हादसे को दावत नही बल्कि अंजाम दे जाए यह कहा नही जा सकता है। वहीं पिछले दिनों घाट पर हुई मौत की घटना में आए जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने नोटिस बोर्ड व घाट पर डेंजर जोन में रस्सी लगवाने के साथ लोगों से अपील की थी कि वह सतर्कता व सावधानी पूर्वक गंगा स्नान करें। लेकिन नजदीकी युवा जानने के बावजूद तथा दूर-दराज से आये लोग अनजाने में मस्ती करते समय गहरे पानी में चले जाते हैं जिससे डूबने से उनकी जान चली जाती है। ऐसे में नौ दिवसीय मेले के समय पुलिस को सहभागिता निभाकर मेले को सफलतापूर्वक संपन्न कराने की आवश्यकता है। वहीं जिला प्रशासन को गंगा घाट पर डेंजर जोन में व्यवस्थित तरीके से बैरिकेडिंग कराने की जरूरत है।

यही नहीं गुटबंदी करके मेले में आने वाले क्षेत्रीय युवा दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के साथ वाद-विवाद व मारपीट भी कर लिया करते हैं। साथ ही कमाने हेतु मेले में आये दुकानदार भी कभी-कभार उनके सरहंगई का शिकार हो जाते हैं। इसलिए पुलिस को सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था रखनी होगी तभी मेला कुशलता व सफलतापूर्वक बीत पाएगा।

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