Home मुंबई अग्निँशिखा मंच की ३१ वी गोष्ठी सम्पन्न

अग्निँशिखा मंच की ३१ वी गोष्ठी सम्पन्न

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मुंबई। अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच की ओर से लखनऊ से पधारे वरिष्ठ कवि श्री रवि मोहन अवस्थी जी और उज्जैन नगरी से पधारे गीतकार श्री सूरज नागर उज्जैनी जी के सम्मान में आयोजित विशेष काव्य गोंष्ठी में पुरे मुम्बई व नई मुम्बई से कुल पच्चीस लोग पधारे मुख्य अतिथि श्री रवि मोहन अवस्थी, अतिथी श्री सूरज नागर उज्जैनी, समरोह अध्यक्ष श्री विजय भटनागर ( वरिष्ठ कवि ) संचालन किया। श्री पवन तिवारी माँ सरस्वती की वंदना, वंदना श्रीवास्तव जी ने की दीप प्रज्ज्वलित कर मां शारदे को पुष्प हार अर्पित कर कार्यक्रम शुरु हुआ। अलका पाण्डेय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और अथितियों के स्वागत में दो शब्द कहें। फिर अपनी रचना

जबसे मेरा दिल ये सच्चा हो गया है ।।
यूं लगा कि कोई सजदा हो गया है ।।
रंज अब होता नहीं तन्हाइयों
का , हर क़दम पे साथ साया हो गया है।।
जब से सोचा भूल जाएं हम
तुझे , हर तरफ़ तेरा ही चेहरा हो गया है।।
क्या डराएंगे मुझे रंज-ओ-अलम,
दर्द से बेख़ौफ़ मनवा हो गया  है ।।
जब किसी ने ज़िक्र तेरा कर
दिया, यूं लगा कि कोई जलवा हो गया है ।।
रोशनी में साथ थी परछाइयां, यह बदन ज़ुल्मत में तन्हा हो गया है।।

उसके बाद डा. दिलशाद सिद्दीक़ी, विश्म्भर दयाल तिवारी, पडा. हरिदत्त गौतम “अमर “, राम प्रकाश विश्वकर्मा, सौरभ दत्ता, अश्विन पाण्डेय, सेवासदन प्रसाद जी, कविता राजपूत, नजर हयातपुरी, भारतभूषण शारदा, सिराज गौरी, अलका पाण्डेय, दिलीप ठक्कर, शोभना ठक्कर, अरुण मिश्र. “अनुरागी”विक्रम सिंह.पवन तिवारी, इकबाल कुँवारे, वंदना श्री वास्तव और सुशीला शर्मा ने अपने दोशब्द कहे व बालक आहन पाण्डेय ने भी सुदंर प्रस्तुति दी।

प्रज्ज्वल वागदरी ने हिंदी दिवस पर हिंदी का अपमान न देख सका और कालेज में अपने शिक्षक के पद से इस्तीफ़ा दे दिया, उनका सबने मिलकर स्वागत किया फिर आज के मेहमान रवि मोहन अवस्थी जी की रचनाओ का ऐसा समा बधा की श्रोताओं की फ़रमाई पर उन्होने हर विधा की रचना सुनाई।गीत, गजल, छंद, हास्य और भी, फिर समारोह अध्यक्ष श्री विजय भटनागर जी अपनी रचना व व्यक्तव्य से कार्यक्रम समापन की घोषणा की, साथ ही आभार व्यक्त अलका पाण्डेय ने किया। चाय नाश्ता कर सब लोग विदा हुये।

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