Home भदोही 60 हत्याओ का गुनाहगार कौन?

60 हत्याओ का गुनाहगार कौन?

हमार पूर्वांचल
साभार गूगल

अमृतसर हादसा अत्यन्त दुःखद व पीड़ादायक था। मृतकों एवं घायलों के परिवार के प्रति मेरी संवेदना है। परमात्मा उनके परिवार वालों को इस बेहद दुःखद परिस्थिति को सहने की शक्ति दें। एवं परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ कि हादसे में घायल लोग जल्द से जल्द स्वस्थ हों।जब से ये हादसा हुआ है तब से सभी के बयान आ रहे हैं। सोशल मीडिया में दोषारोपण का सिलसिला शुरू हो गया। कोई रेलवे प्रशासन को दोषी ठहरा रहा है तो कोई स्थानीय जिला प्रशासन को। तो कोई कार्यक्रम के आयोजन समिति को तो कोई कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रहीं नवजोत सिंह कौर सिद्धू को दोषी ठहरा रहा है।

इस मामले में मेरी नजर में दो जिम्मेदार व्यक्तियों मुख्यमन्त्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह और रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा का बयान जिम्मेदारी भरा था जिन्होंने कहा कि इस मामले में राजनीति न हो। अब प्रश्न यह उठता है कि हादसे का गुनाहगार कौन? दोषी कौन? इस हादसे में दोषी मुख्यतः रेलवे प्रशासन, स्थानीय जिला प्रशासन, आयोजक मण्डल हो सकते हैं या खुद वो जो हादसे के शिकार हो गए। जाँच होगी यदि कोई दोषी पाया गया तो कार्यवाही होगी अन्यथा फाइल ठन्डे बस्ते में पड़ जायेगी। कुछ दिन में हम हादसे को भूल जायेंगे जैसे उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में कैयरमऊ हादसे को भूल गए।

किसी भी हादसे के बाद हम प्रशासन को दोषी बताना शुरू कर देते हैं। निश्चित रूप से किसी भी कार्यक्रम में उपस्थित जनता के सुरक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की होती है। लेकिन क्या हादसे का दोषी सिर्फ प्रशासन है? क्या सारा दोष प्रशासन पर मढ़ दिया जाय? क्या कार्यक्रम में मौजूद जनता को यह नहीं पता था कि इस ट्रैक पर रोजाना गाड़ियां चलती हैं और किसी भी वक्त ट्रेन आ सकती है। आयोजक मण्डल भी दोषी हो सकता है कि उसने स्थानीय प्रशासन से कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं ली। क़ानूनी रूप से वे दोषी भी हो सकते हैं। और ये भी बातें निकलकर सामने आ रही हैं कि आयोजकों ने उपस्थित दर्शकों को रेल ट्रैक से हटने के लिए नहीं कहा।

अब प्रश्न ये उठता है कि क्या जनता का खुद की सुरक्षा के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं थी कि वे रात में निश्चिन्त होकर ट्रैक पर से कार्यक्रम देख रहे थे और उनसे जब आयोजक कहते तभी वे ट्रैक से हटते ? ये भी विचार करने वाली बात है क्या कोई जानबूझकर अपना जान जोखिम में डालेगा, निश्चित रूप से नहीं। ऐसी स्थिति में उपस्थित जनता को दोषी नहीं ठहरा सकते। अर्थात जनता दोषी नहीं है, प्रशासन को अपना बचाव करने का रास्ता है और यदि आयोजकों ने कार्यक्रम की अनुमति ली होगी तो उनको भी क्लीन चिट मिल जायेगी।

ऐसे में पुनः यही प्रश्न आता है कि जब इनमें से कोई दोषी नहीं साबित होगा तो फिर गुनाहगार कौन होगा? मेरे विचार से हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था दोषी है। क्योंकि शिक्षित होने के बावजूद जब हम ये नहीं समझ पा रहे हैं कि हमें रेलवे ट्रैक पर नहीं बैठना चाहिए, जब फाटक गिरा हो तो ट्रैक पार नहीं करना चाहिए, जब मानवरहित क्रासिंग हो तो दायें-बाएं देखकर ही ट्रैक पार करना चाहिए, खुले में शौच हानिकारक है, जीवन सुरक्षा के लिए पर्यावरण सुरक्षा जरूरी है इत्यादि। तो हमारी शिक्षा व्यवस्था में कुछ तो दोष है और इसमें व्यापक सुधार की जरूरत है। जो हमें वास्तव में शिक्षित बनाएं और व्यवहारिक ज्ञान सिखाये।

शिक्षा व्यवस्था ऐसी हो जिससे हम यह भी समझ सके कि हमारे लिए या देश के लिए क्या कल्याणकारी है और क्या नुकसानदायक। शिक्षा ऐसी हो कि हम अपने सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार बनें। शिक्षा व्यवस्था ऐसी हो कि हमें बचपन काल से ही देश के प्रति अथवा अपने प्रति जिम्मेदारी का एहसास दिलाने लगे। तभी हम अपने देश को आदर्श देश के रूप में उपस्थित कर सकेंगे। अन्यथा जब-जब इस तरह के हादसे होंगे हम ढूंढ़ते रह जायेंगे कि “गुनाहगार कौन?”

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