एक होनहार बेटी ने सिर्फ इसलिये अपने प्राणों को त्याग दिया क्योंकि उसके माता पिता अंधे थे। हाईस्कूल में पढ़ने वाली यह बेटी यदि अपना मनोबल मजबूत रखती तो शायद आने वाले दिनों में अपने मा बाप का सहारा बन सकती थी किन्तु उसे अपने मां बाप की वर्तमान स्थिति देखी नहीं गयी। उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि वह अपने माता पिता के कष्ट को देखकर दुखी थी। उसकी मृत्यू में माता पिता का कोई दोष नहीं है।
मीरजापुर जिले के महोगढ़ी के पंचायत भवन के पीछे बीती रात कक्षा 10 की छात्रा निरंजली उर्फ बिटुआ उम्र(16) ने अपने कच्चे घर के बड़ेर में फांसी का फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। बताया जाता है कि निरंजली अन्य दिनों की तरह ही अपने अंधे मातापिता को भोजन कराने के बाद रात लगभग नौ बजे अपने कमरे में सोने चली गयी। बाहर वाले कमरे में उसके मातापिता सो रहे थे।रात में ही निरंजली ने एक कापी में सुसाइड नोट लिखकर फांसी के फंदे से झूल गई। सुबह जब निरंजली नहीं उठी तो उसकी मां ने दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। निरंजली की मां ने बाहर आकर शोर मचाया तो आसपास के लोग जुटे और किसी तरह खपड़ा हटाकर देखा तो निरंजली फांसी के फंदे पर झूल रही थी। सूचना पाकर मौके पर पहुंचे चौकी इंचार्ज अजीत कुमार श्रीवास्तव ने फंदे से निरंजली का लाश उतरवाकर आगे की कार्यवाही में जुट गई।
बता दें कि निरंजली के मातापिता प्रयागराज जनपद के ओनवुर गांव के मूल निवासी थे जो बीस वर्ष पूर्व महोगढ़ी आकर पंचायत भवन के पीछे कच्चा मकान बनाकर रह रहे थे और महोगढ़ी के निवासी हो गए। माता पूर्णतया अंधी है और पिता नंदलाल को कुछ कुछ दिखाई देता है। निरंजली का एक भाई गरुणदेव(18) है जो एक वर्ष से दिल्ली कमाने खाने चला गया था। दीपावली पर दो दिन पहले दिल्ली से चला था। गरुणदेव रास्ते में ही था कि उसको बहन निरंजली के मरने की सूचना मिली। समाचार लिखे जाने तक गरुणदेव घर पहुंच गया था। लोगों का कहना है कि निरंजली अपने मातापिता की स्थिति को देखते-देखते निराश व हताश हो चुकी थी। मामला जो भी हो जांच के बाद ही पता चलेगा। ड्रमंडगंज पुलिस ने लाश को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।