भदोही। गोपीगंज के सदर मोहाल में स्थित काशी गोमती संयुक्त ग्रामीण बैंक के प्रबन्धक की व्यवस्था का टक्कर शायद जिले का कोई भी बैंक न दे सके। तभी तो यहां ग्राहको की भीड़ लगी रहती है। मालूम हो कि यह जिले का ऐसा बैंक है, जहां पर केवल बैंक कर्मियों के लिए इनवर्टर से पंखा चलता है। न कि खाताधारकों और ग्राहकों के लिए। यहां पर रखा जनरेटर केवल शो पीस बनकर रह गया है। खिडकियों की दशा दयनीय है। जिससे हवा आने की कोई सम्भावना नही है। जिस ग्राहकों के बल पर बैंक चल रहा है। वहां ग्राहको की ही उपेक्षा हो रही है। ग्राहक गर्मी से परेशान हो और बैंक कर्मी आराम से हवा लेकर मनमानी ढंग से काम करते रहे।
इस बैंक की एक समस्या और देखने को मिलती है कि यहां बैंक का सर्वर अक्सर डाउन रहता है। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों से दूर दराज से आई महिलाओं व पुरूषों को समस्या होती है। जबकि बैंक के प्रबन्धक को इन चीजों से कोई लेना-देना नही है। बैंक कर्मियों को कोई दिक्कत न हो ग्राहक से क्या मतलब? बैंक के प्रबन्धक की आखिर कैसी व्यवस्था है कि बैंक के पंखे नही चल रहे है। और चल रहे है तो केवल बैंक कर्मियों के लिए।
दिन रात पैसा देखते-देखते मानवता ही भूल गये कि ग्राहक भी इंसान है। जो दूर-दूर से आते है। ग्राहको के लिए लगा पंखा न चलने के पीछे का क्या कारण हो सकता है? बिजली कट जाने पर जनरेटर से पंखा क्यों नही चलाते? इनवर्टर से ही सभी पंखों का कनेक्शन क्यों नही चलाते? क्या जनरेटर के तेले में ‘खेल’ तो नही होता कि बेचारे ग्राहक गर्मी से परेशान हो। और प्रबन्धक को कोई फर्क न पडे।