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एक यादगार गोष्ठी की शाम

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हमार पूर्वांचल
हमार पूर्वांचल

ठाणे भारतीय जन भाषा प्रचार समिति ठाणे एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद महाराष्ट्र के तत्वावधान में शनिवार की काव्य-गोष्ठी अचानक सज गयी, जिसमें भोपाल से श्री किशन तिवारी ने शिरकत कर चार चाँद लगा दिया। उभरते कवि मा. उमेश चंद्रमिश्र की अध्यक्षता में गोष्ठी पूरे 3 घंटे(6.30 से 9.30)चली। नादान जी आज पहली बार उम्दे शायरों के शेरों से संचालन का अलग अंदाज में कार्य भार संभाला। गोष्ठी का वातावरण काफी समय बाद अलमस्त और इतना उत्साही रहा, हर कवि अपने विशेष अंदाज में दिखे।

हमारे दूसरे विशेष अतिथि के रूप में नालासोपारा से आए मा. ‘अल्हड़ असर दार’ राजेश दूबे रहे। उभरते रचनाकारों मे अपनी विधा के जाने माने शायर अल्हड़ जी वाकई अलहदा हैं। आज के नये शायरों में शुमार मा.’रहबर’,पवन तिवारी, संजय द्विवेदी, उमेश चंद्र से साहित्य जगत को काफी उम्मीदें हैं। अभी भी मुंबई, ठाणे जैसे शहरों में रोजीरोटी की समस्या के कारण पूर्ण कालिक कवियों का सर्वथा अभाव है। पवन तिवारी जी हमारे बीच एक अपवाद हैं। अनिल राही एवं वफा सुल्तानपुरी अच्छा प्रयास कर रहे हैं। प्रस्थापित रचनाकारों में त्रिलोचन सिंह अरोरा ,रेखा किंगर रोशनी एवं रामस्वरूप साहू एक ऐसा नाम है जो 3 दशकों से भी अधिक समय से साहित्य की अलख जगाये हैं, और सभी का योगदान सराहनीय है।

भोपालवासी डा.श्री किशन तिवारी जी की गज़ल बेजोड़ रही। छोटी बहर की चोटीली रचना सुनकर ऐसा लगा कि अन्य शहरों में भी बेहतर कार्य हो रहा है। साहित्य का गढ़ रहा मुलुण्ड से आने वाले कवियों मे अनिअन्य कवियों में शिल्पा सोनटक्के एवं अनिता रवि काफी मजे हुए साहित्यकारों में आते हैं। विषय को बारीकी के साथ बुनना इनकी खासियत है ।अन्य कवियों में अनिता सैया,कुलदीप दीप एवंरामप्यारे रघुवंशी सामान्य रहे। अंत में डा.प्रभा शर्मा के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कामना की गयी एवं राष्ट्र गान के साथ गोष्ठी का समापन किया गया।

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