भदोही। किसी नदी का पानी आपने तो देखा ही होगा। पानी का कोई रंग तो होता नहीं है, लेकिन उसमें यदि मिट्टी घुल जाये तो पानी मटमैला हो सकता है। किन्तु भदोही की एक नदी ऐसी भी है। जिसमें लाल रंग का पानी बह रहा है, जो उस रास्ते आवागमन करने वालों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता है।
अरे चौंकिये मत! इस नदी का पानी किसी चमत्कार की वजह से लाल नहीं हुआ है। बल्कि इसका रंग प्रशासन और प्रदूषण विभाग की अनदेखी के कारण हुआ है। बता दें कि जिले में उलेन काती को रंगने के लिये जगह जगह डाइंग प्लाण्ट लगाये गये हैं। काती रंगने में जिस केमिकल युक्त पानी का प्रयोग होता है। उसे रिफाइन करके तब बहाया जाता है। लेकिन पानी को स्वच्छ करने के लिये ट्रीटमेन्ट प्लाण्ट लगाया जाता है। उसकी लागत अधिक होती है।
डाइंग प्लाण्ट संचालित करने वालों के लिये ट्रीटमेन्ट प्लाण्ट लगाने से सरल होता है कि स्थानीय प्रशासन और प्रदूषण विभाग की सेंटिंग कर लें और पानी को कहीं भी बहा दें। शायद ऐसी ही किसी डाइंग प्लाण्ट का केमिकलयुक्त जहरीला पानी मोरवा नदी में बहाया जा रहा है। जिसके कारण पानी का रंग लाल हो गया है।
गौरतलब हो कि अधिकतर तालाब और पोखरे इस समय सूख चुके हैं, लेकिन नदियों में कुछ पानी बचा है। जिसमें पानी पीकर आवारा पशु या पक्षी अपनी प्यास बुझा सकते हैं किन्तु प्रशासन की अनदेखी के कारण नदी का पानी भी पशुओं के पीने लायक नहीं बचा है। ऐसे हालात में यदि जानवर पानी पीते भी हैं तो या वे बीमार होंगे या फिर उनकी मौत होगी। लेकिन जब जेब गरम हो जाये तो पशुओं और पक्षियों की चिंता करने का ठेका प्रशासन ने थोड़े ही ले रखा है। वैसे भी इस लाल पानी का असर कैसा होगा इसे तो वहीं बता सकता है जो मैदान में शौच के बाद …!