10 बच्चों को जिदंगी देकर खुद अंतिम यात्रा पर निकलीं तो नम हो गईं शहर की आंखें
सूरत: वेसू के आगम आर्केड में लगी आग से 10 बच्चों को बचाने वाली प्रीति पटेल की गुरुवार को शवयात्रा निकली तो शहर के लोगों की आंखें छलक गईं। शवयात्रा वेसू गांव से उमरा श्मशान भूमि तक गई। उनके बच्चे और परिजनों ने रोते हुए उन्हें विदा किया।
प्रीतिबेन पटेल को मरणोपरांत सम्मानित करेगी मनपा
गुरुवार को मनपा सामान्य सभा की बैठक में स्थाई समिति के अध्यक्ष अनिल गोपलानी ने प्रीति को मरणोपरांत सम्मानित करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि एक महिला शिक्षक ने जीवन के आखिरी क्षणों में भी देश की सेवा की। इसके लिए उन्हें और उनके बच्चों को सम्मानित किया जाएगा। इस प्रस्ताव का कांग्रेस ने भी समर्थन किया।
10 बच्चों को निकाल बेहोश होने तक डटी रही ये टीचर
सोमवार शाम शहर के आगम आर्केड शॉपिंग सेंटर की बिल्डिंग में आग लगने से दम घुटने की वजह से कोचिंग गए एक छात्र की मौत हो गई थी। आग के बाद बच्चों को बचाने के लिए लड़ने वाली महिला टीचर प्रीतिबेन पटेल की भी बुधवार रात 9:25 बजे मौत हो गई। उन्हें सोमवार शाम को रेस्क्यू करने के बाद गंभीर हालत में संजीवनी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। वहां उन्हें वेंटिलेटर पर रखा था। उस समय उनका ब्रेन काम नहीं कर रहा था, हालांकि लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर हार्ट काम करने लगा था। ऐसे में पहले 48 और फिर 24 घंटों के लिए अॉब्जर्वेशन पर रखा गया।
10 बच्चों को निकालने के बाद टीचर खुद हो गई थी बेहोश
एजुकेशन इंस्ट्रक्टर जेके पटेल के अनुसार- प्रीति बेन का हौसला भी जबरदस्त था। आगम आर्केड में जब चारों तरफ धुआं भरा था, तब सारे टीचर अपनी जान बचाकर निकलने लगे, लेकिन प्रीति ने बच्चों को अकेले छोड़कर जाना ठीक नहीं समझा। वे 13 बच्चों का हौसला बढ़ाने और उन्हें सुरक्षित निकालने का रास्ता ढूंढने लगी। जबकि, उन्हें पता था कि उनकी खुद की जान खतरे में पड़ी थी। लगभग 10 बच्चों के बाहर निकलने तक उन्होंने मशक्कत की, लेकिन फिर वो खुद ही बेहोश हो गईं, जिसके बाद उन्हें बाहर निकाला गया। अंत में निकाला गया छात्र मंथन तो अब इस दुनिया में नहीं रहा, लेकिन 12 बच्चों के सामने खड़ी मौत को उन्होंने हरा दिया।
हंसते-हंसते देती रहीं जीवन जीने की शिक्षा, मरकर भी पढ़ा गईं मानवता का पाठ
कोचिंग की टीचर प्रीतिबेन पटेल को पिछले दिनों ही मिला था बेस्ट टीचर का अवार्ड। आईसीयू में मौत से जंग लड़ते हुए दो दिन बाद हार गईं।