भदोही। सरकार भले ही गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएं लाकर उन्हें मुख्य धारा में जोडने के लिए प्रयासरत है लेकिन आज भी कुछ ऐसे गरीब है जिन्हें सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नसीब नही हो रहा है। और आज भी अपनी बदनसिबी और गरीबी का दंश झेल रहे है। लेकिन कोई जिम्मेदार गरीब के स्थिति पर तरस खाकर अभी तक कोई लाभ न दिला सका।
मामला भदोही जिले के अभोली ब्लाक के मऊ रामशाला गांव का है। जहां पर विकास शुक्ला अपनी विधवा मां, पत्नी व दो बच्चों के साथ एक छोटे से कमरे में रहते है। कहने को तो कमरा है लेकिन देखने से पता चल जायेगा कि किस तरह विकास शुक्ला का परिवार इसमें रह रहा है। उनके घर की स्थिति देखकर अनायास ही मन पसीज जायेगा। लेकिन इस गरीब को किसी जनप्रतिनिधि ने आवास देना मुनासिब न समझा। विकास के पिता की मौत हुए एक वर्ष से ज्यादा हो गया लेकिन आज तक विकास की विधवा मां का पेंशन न बन सका। जिम्मेदार व्यक्तियों के तरफ से केवल आश्वासन मिलता है लेकिन आज तक कोई काम न हो सका। कई बार कहने के बाद जब काम न हुआ तो विकास हारकर अपनी रोजी रोटी कमाने मुम्बई चला गया।
राम भरोसे है आवास व पेंशन। आखिर इसके पीछे कौन है जिम्मेदार है? आखिर कौन सी बाधा है जो गरीब को आवास और विधवा को पेंशन मिलने में आडे आ रही है? यह तो एक उदाहरण मात्र है न जाने कितने गरीब है जो सरकार की योजनाओं का लाभ नही पा रहे है। केवल कागजी खानापूर्ति करके शासन को रिपोर्ट भेज देना ही आज का फैशन बन गया है। सरकार के निगाह में तो योजना पात्र तक पहुच गई लेकिन वास्तविकता इससे अलग है।