Home खास खबर महारथियों के चक्रव्यूह में सपा के अभिमन्यु

महारथियों के चक्रव्यूह में सपा के अभिमन्यु

223
0

लखनऊ। यूपी के विधानसभा चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की स्थिति महारथियों के बीच घिरे अभिमन्यु जैसी हो गई है। एक तरफ मोदी योगी की जोड़ी तो दूसरी तरफ शाह और नड्डा जैसे सेनापतियों की अवैध व्यूहरचना। राजनाथ सिंह और स्वतंत्र देव सिंह जैसे मजे मजाये राजनीतिक योद्धाओं के साथ अनुराग ठाकुर जैसी तपी तपाई नई ऊर्जा। वहीं केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा जैसे राजनीतिक खिलाड़ियों के बीच सपा के अकेले अखिलेश। एक तरफ धुरंधर महारथियों की भरमार तो दूसरी तरफ भरोसे का कोई साथी भी नहीं। गठबंधन के नाम पर जुड़े चाचा शिवपाल यादव को अपने विधायक वाली कुर्सी की चिंता ने घेरा हैं। तो नए साथी ओमप्रकाश राजभर की बेतुकी बातें बने खेल को ही बिगड़ती दिखती हैं। राजनीति के पक्के अखाड़े बाज पिता मुलायम सिंह यादव को दो राह का असमंजस घेरा है। तो अपनों का ही पराया हो जाना जैसा अपनों से मिला घात अखिलेश के लिए युद्ध में जुलाब हो जाने जैसा क्लैश दे रहा है। अनुज बधू अपर्णा यादव समेत रिश्तेदार हरिओम यादव और प्रमोद गुप्ता का भाजपा में जाना उस मौके को दूर कर दिया है जो माहौल बनाने का मौका सपा को भाजपा से आए स्वामी प्रसाद मौर्य समेत कई मंत्री और विधायकों के आने से मिला था। सपा के प्रमुख जोड़ीदार रालोद के जयंत चौधरी के एक नेता का बागी बन सपा प्रत्याशी के खिलाफ नामांकन करना गठबंधन की मजबूती को कमजोर ही किया है। टिकट चयन में दागी चेहरों को तवज्जो देना भी सपा पर भारी पड़ता दिख रहा है। वर्षों पूर्व ही अतीत में चला गया कैराना के पलायन मसला सपा के एक दागी प्रत्याशी चयन के कारण ही एक बार फिर सिर उठा लिया। जो अब फुफकार रहा है। भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के चुनाव प्रचार भी शुरुआत कैराना से करना छोटी बात नहीं है। काशी अयोध्या के सहारे सत्ता वापसी की उम्मीद लगाए भाजपा के लिए कैराना के रूप में बड़ा हथियार मिल गया है। इसकी काट सपा को खोजने से भी नहीं मिल रही है। सपा के लिए हैदराबादी ओवैसी भी राह के कांटा बने बैठे हैं। अब उनके साथ जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष बाबूराम कुशवाहा समेत कुछ और छोटे दल आ गए हैं। जो सपा की राह ही मुश्किल करेंगे। ऐसे में सपा प्रमुख की स्थिति चक्रव्यूह में फंसे अभिमन्यु जैसी हो गई है। इसका असर सपा समर्थकों के मनोबल पर भी पड़ना स्वाभाविक है। सपा के बचे खुचे बल को बड़े मीडिया घरानों ने मतदान पूर्व सर्वे आंकड़े दिखाकर हतोत्साहित कर दिया है। विपरीत परिस्थिति दिग्गजों से पाला और अपनों के घात से मर्माहत अखिलेश के लिए सत्ता तक पहुंच पाना संभव हो सकेगा या नहीं यह तो वक्त बताएगा, किंतु अभी तो उनकी स्थिति में फंसे अभिमन्यु जैसी ही है।

Previous articleन मोदी की न योगी की चलेगी चाल भोगी की
Next articleत्रिवेणी की शक्ति से साधेगी भाजपा आधी आबादी
हमार पूर्वांचल
हमार पूर्वांचल डेस्क एक टीम है जो कि हमार पूर्वांचल के सभी पत्रकारों के द्वारा उपलब्ध कराये गये समाचार का संचार / प्रसारण / प्रकाशित करता है। 'हमार पूर्वांचल' न्यूज पोर्टल के निदेशक विवेक सिंह, संपादक हरिबंश सिंह 'हरीश जी', प्रबंध संपादक प्रविणकुमार मिश्रा, व उप संपादक अरूणकुमार मिश्रा हैं। हमार पूर्वांचल पर प्रकाशित खबरों की जिम्मेदारी संबंधित संवाददाता की होगी। किसी भी जानकारी/शिकायत/सुझाव खबर भेजने के लिये व्हाटसअप नंबर 7860754250 /9320790746 या ई.मेल. humantodaypatrika@gmail.com,pravinkmishra@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।

Leave a Reply