Home अवर्गीकृत गालियाँ एक लघुकथा – श्रीमती अलका पाण्डेय

गालियाँ एक लघुकथा – श्रीमती अलका पाण्डेय

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लघुकथा

मेरी शादी एक प्रतिष्ठित परिवार में हुई, मेरे बाबूजी
(ससुरजी ) बहूत ही क्रोधी स्वभाव के थे वों मेरी सासू माँ को सुबह शाम गालियाँ, और गंदे शब्द बोलते ही रहते थे, सबके सामने ज़लील करना डांटना अपशब्द कहना उनकी दिनचर्या का एक हिस्सा था। मुझसे यह सब बर्दाश्त नहीं होता था, मुझे काफ़ी पीडा होती थी इन बातों से, मैंने साँस को कहा कि माज़ी आप क्यों बाबू जी की गंदी गंदी बातें सुनती है और फिर भी हसंती रहती हैं कभी भी पलटकर जवाब नहीं देती क्यों शायद आप जवाब देगी तो बाबू जी आपसे इस तरह से बात नहीं करेंगे तब मां जी सिर्फ मुस्कराकर रह गई! और बोली बहू क्या तुम काजल की कोठरी में जाकर काला होना पसंद करोगी नहीं ना इसी तरह मैं उनके गंदे शब्दों को धारण नहीं करती हूँ मैं यदि उन बातो को धारण करने लगूंगी तो मेरा यह शरीर भी गंदा हो जाएगा, यदि कोई बिना वजह हम पर क्रोध करता है हमें गालियां देता है, तो वह अपना शरीर अपनी आत्मा को कलुषित करता है उसके फेंके हुए अपशब्द को यदि क्रोध वश हम धारण करते हैं तो हमारी साफ़ सुथरी आत्मा व शरीर कलुषित हो जाती है।इसलिए हमें कभी भी दूसरों के द्वारा दिये हुए अपशब्दों को अपनाना नहीं चाहिए यही कारण है कि सिर्फ़ में मुस्कराकर रह जाती हूँ व उस वक्त कान्हा का ध्यान करती हूँ।

बाबू जी के कहें शब्दों में मन नहीं लगाती और मुझे उनकी गालियां बिचलीत नही करती। पर बेटा समझाया उनको जाता है जिनको कुछ समझ में आए जो विवेकहीन हो जाए उसे समझाया नहीं जाता मेरा चुप रहना ही इस घर के हित में है मैंने माज़ी की बात सुनी उनको प्रणाम किया और काम में लग गयी। मन में ही सोच रही थी क्या मैं भी मां जी के चरित्र को आत्मसात कर पाऊँगी? गालियाँ हज़म कर पाऊँगी
फिर सोचने लगी नही में सामने वाले की ग़लती तो बताऊँगी सुधारने की कोशिश करुगी  आज में बाबू जी से इस विषयमें बात करुगी।

शाम को बाबू जी की चाय के साथ मैंने ख़राब वाला नमकीन भेज दिया बाबू जी ने मुझे बुलाया और कहा देख कर काम नहीं करती हो सड़ा हुआ नमकीन भेज दिया है मैंने बहुत सादगी से माँ जी की बात को दोहराया कहा बाबूजी आप जिस तरह सारा दिन मां ज़ी को दी गालियां देते रहते हैं और वो हज़म करती है वो इस नमकीन से भी बदबू दार है। ख़राब हुआ नमकीन आप नही खा सकते ! और माँझी ने पूरी ज़िंदगी आपकी गालियाँ खाई है वह भी हँसते हुयें, आप सोचिए पूरी ज़िंदगी माँ जी ने किस तरह आपकी ज्यादतियों को बर्दास्त किया है आज के बाद आप वचन दें कि आप मां जी को गंदी गालियां नहीं देंगे बाबूजी ने कहा बेटा तुमने बहुत बड़ी बात कह दी। मैं माफ़ी माँगकर प्रायश्चित करूँगा।

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