मुंबई। कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच अनियोजित तथा अप्रत्याशित तरीके से लगाई जा रही शिक्षकों की ड्यूटी के दुष्परिणाम परिलक्षित हो रहे हैं। मुंबई के सभी वार्डों में सहायक मनपा आयुक्तों की मनमानी के चलते शिक्षकों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उनको न तो कोई सुरक्षात्मक चीजें दी जा रही है और ना ही उनके खाने-पीने की कोई व्यवस्था देखने को मिल रही है। घर से ड्यूटी वाले स्थल पर आने के लिए यातायात की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इन हालातों के बावजूद शिक्षकों का एक बड़ा वर्ग विभिन्न वार्डों में समर्पित तरीके से ड्यूटी कर रहा है। कहने के लिए हर वार्डों के प्रशासकीय अधिकारियों को ड्यूटी के लिए नाम देने के लिए अधिकृत किया गया है, परंतु सच्चाई यह है कि शिक्षकों की एक बार ड्यूटी लगने के बाद मनमानी तरीके से बढ़ाया जा रहा है। परिणामस्वरूप अनेक शिक्षक बीमार पड़ रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार के परिपत्रक के बाद शिक्षणाधिकारी महेश पालकर ने भी परिपत्रक जारी करके शिक्षकों को 15 दिन से अधिक की ड्यूटी न दिए जाने का निर्देश दिया है। परंतु ड्यूटी करने वाले शिक्षकों को प्रशिक्षित बताकर सहायक मनपा आयुक्त लगातार उनकी ड्यूटी बढ़ा रहे हैं। सोमवार को फिजिकल शिक्षक जगदीश चौधरी की मौत से यह बात साबित हो जाती है।
प्रशासकीय अधिकारी के बार-बार कहने के बावजूद सहायक मनपा आयुक्त ने उन्हें मुक्त नहीं किया था। के पूर्व विभाग में इसी तरह की अनेक शिकायतें मिली। वीरेंद्र सिंह नामक एक शिक्षक को अपने पॉकेट से एक लाख रुपए देकर अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है। नाम न छापने की शर्त पर एक प्रशासकीय अधिकारी ने बताया कि उन्हें ऊपर से जो आदेश मिलता है उसका पालन कराने का प्रयास करते हैं ,परंतु जब सहायक मनपा आयुक्त उनकी नहीं सुनते तो वे मजबूर हो जाते हैं।