Home भदोही आखिर मुस्लिम बंधुओं ने क्यों दिया ब्राह्मण भोज

आखिर मुस्लिम बंधुओं ने क्यों दिया ब्राह्मण भोज

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अज़ानों से सुबह होती, यहाँ पर आरती से शाम
कोई ख़ुसरो को गाता है, कोई मीरा के गाये श्याम
जहां हो देश का झंडा, हरा और केशरी रंग का
उसे दुनियां में कहते हैं, हमारा प्यारा हिंदुस्तान।

जी हां! हमारे देश की यहीं खूबसूरती है। विभिन्न धर्म और मजहब में हम कितना भी बंट जायें किन्तु हमारी भारतीय संस्कृति का रंग ऐसा है जिसे लाख चाहने के बावजूद सब उसी में सराबोर रहते हैं। वोटबैंक की राजनीति ने धर्म और जाति के नाम पर समाज को बांटने की कितनी भी कोशिस की हो किन्तु आज भी इसी समाज से ऐसे लोग हैं जिनके कारण इंसानियत आज भी जिन्दा है। जब भी गंगा जमुनी तहजीब, भाईचारा की चर्चा होती है तो भदोही का नाम अवश्य लिया जाता है, क्योंकि कालीन के ताने बाने की तरह आपस में जुड़े लोग कभी न कभी ऐसा उदाहरण प्रस्तुत कर देते हैं, जब दिखता है कि इंसानियत और मानवता धार्मिक बंधनों से उपर है।

तेरहवीं के भोज ग्रहण करते बच्चे

भदोही के हरीरामपुर में ऐसा ही एक उदाहरण दिया है मुस्लिम बंधुओं ने जिसकी चर्चा आज भदोही की हर जुबान पर है। आज मंगलवार को मुरारीलाल श्रीवास्तव की तेरहवीं का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों लोगों ने भोज में शामिल होकर गतात्मा की शान्ति के लिये ईश्वर से प्रार्थना की।

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आप सोच रहे होंगे कि आखिर जब किसी हिन्दू की मौत होती है तो ब्राह्मण भोज का आयोजन किया ही जाता है फिर इसमें नया क्या है। किन्तु आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह आयोजन एक हिन्दू की मौत पर मुस्लम बंधुओं ने किया था। जिले के हरीरामपुर गांव की एक कंपनी में मुरारीलाल श्रीवास्तव काम करते थे। परिवार के नाम पर उनका कोई नहीं था। पिछले दिनों उनकी मौत होने पर विधि विधान से उनका अंतिम संस्कार किया गया । जिसके उपलक्ष में आज तेरहवीं यानि ब्राह्मण भोज का आयोजन था।

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इस आयोजन को करने वाले जे.एस. पोल्ट्री फार्म के संचालक इरफान अहमद खान और फरीद अहमद खान रहे। आज के समय में जहां किसी फर्म का मालिक अपने मजदूर को पैसा देने में आनाकानी करता हो वहीं अपने यहां काम करने वाले व्यक्ति को मरणोपरान्त उसकी आत्मा की शान्ति के लिये पूरे हिन्दू रीतिरिवाज से किया गया कार्यक्रम आपसी एकता और भाईचारा को मजबूत बनाने की एक कड़ी है। जिसकी प्रशंसा हो रही है। समाजसेवी अमजद अहमद एवं भाजपा नेता पप्पू तिवारी ने बताया कि ऐसे कार्यों से जहां इंसानियत का वजूद कायम रहता है वहीं समाज को सकारात्मक संदेश मिलता है।

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