मौत एक ऐसा शब्द जिसका खौफ सभी को होता है। भले ही ना काहूं से दोस्ती ना काहूं से बैर के सिद्धांन्त पर चलने वाला आम इंसान बिंदास होकर अपनी जिन्दगी जी लेता है किन्तु बाहुबली या कुख्यात जैसे शब्दों से अलंकृत लोगों का हर पल आतंक के साये में बीतता है। मौत का खौफ उन्हें हर पल सताता रहता है। यहीं वजह है कि ऐसे लोग या तो छुपकर गुमनाम जिन्दगी बिताते हैं या फिर जब बाहर निकलते हैं तो अपने आसपास सुरक्षा की चाक चौबन्द व्यवस्था लेकर चलते हैं।
कई मामले ऐसे भी देखे गये हैं जब इन माफियाओं को बाहर अपनी जान का खतरा सताने लगता है तो उन्हें सबसे सुरक्षित जगह जेल नजर आती है और पुलिस से सांठ गांठ करके अपनी गिरफ्तारी देने के बाद जेल चले जाते हैं। उन्हें पता रहता है कि देश की अदालतों में कभी मुकदमें खत्म होंगे नहीं और वे जेल से ही अपने साम्राज्य को चलाते रहेंगे। वहीं प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी ने भी किया था। अपने अपराधिक जीवन से करोड़ों कमाने के बाद भी उसे भय इतना सताता था कि मुबई के मलाड में रहकर अपनी पहचान छुपाने के लिये आटो चलाता था।
बताते हैं कि मुन्ना को अपनी जान का खतरा बराबर बना था इसलिये दिल्ली पुलिस से सांठगांठ कर अपनी गिरफ्तारी करा दी और जेल पहुंचकर राजनीतिक पारी खेलने की तैयारी में जुट गया, लेकिन उसकी किस्मत साथ नहीं दी और बागपत जेल में गोली मारकर मौत की नींद सुला दिया गया। मुन्ना की मौत के बाद जेल में बंद और भी माफियाओं को अपनी जान का खतरा सताने लगा। जिस जेल को वे सबसे सुरक्षित जगह मानते आ रहे थे, वहीं जेल अब उनके लिये दहशत की कैद बन गयी है। यू पी की जेलों में कैद वे कुख्यात भी सकते में हैं जो जेल में रहते हुये माननीय भी बन चुके हैं। उन्हें डर सताने लगा है कि कहीं वे भी ऐसी ही किसी वारदात के शिकार न हो जायें।
मीडिया को मिल रही रिपोर्ट के मुताबिक दो दिनों से जेल की सलाखों के पीछे हलचल बढ़ गयी है। उत्तरप्रदेश की जेलों में मुन्ना बजरंगी की तरह और भी कई चर्चित और कुख्यात नाम कैद हैं।
जेल सूत्रों के अनुसार ऐसे कुख्यात अतिरिक्त सतर्कता के साथ बंदियों के गुटों के बीच बैरकों में रह रहे हैं। साथ ही उनमें इस कदर खौफ समा गया है कि बंदीरक्षकों से मुस्तैदी के साथ ड्यूटी करने का अनुरोध कर रहे हैं। इसमें एमएलसी बृजेश सिंह शिवपुर स्थित सेंट्रल जेल तथा उनका करीबी त्रिभुवन सिंह मिर्जापुर जेल में बंद है। वहीं आगरा जेल में मऊ सदर विधायक मुख्तार अंसारी व सुभाष ठाकुर फतेहगढ़ जेल में बंद हैं।
कुख्यात माफियाओं के अलावा करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप में मिर्जापुर जेल में चंदौली का निलंबित एआरटीओ आरएस यादव निरुद्ध है। अपराध जगत में अपने नाम का सिक्का जमाने वाले लोगों को मुन्ना बजरंगी की मौत के बाद अपनी जान खतरे में दिखने लगी है। मुन्ना बजरंगी की हत्या की साजिश चाहे जैसे रची गयी हो किन्तु चर्चा यही है कि बिना सरकारी गठजोड़ के इस तरह की वारदात को अंजाम नहीं दिया जा सकता। उपरी तौर पर भले ही सुनील राठी का नाम सामने आया हो किन्तु उसके पीछे किसका दिमाग काम कर रहा है यह कहना मुश्किल है और पर्दे के पीछे रहकर जिस काण्ड की रचना की गयी उस काण्ड ने जेल में बंद कुख्यातों के मन में खौफ भर दिया है।
[…] मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद इन माफिय… […]