मै कलयुग का नेता हूँ मैं इस कलयुग का नेता
लूट, खसूट, चोरी, बेइमानी मचा तबाही देता हूँ।
मै कलयुग का नेता हूँ मैं इस कलयुग का नेता ।
एसओ, एसपी,और कलेक्टर तक भी मुझसे डरते हैं
जज, जमीदार, और जाँबाज मेरी जी—हुज़ुरी करते है
डांट,वाट,कर धमकाकर मै काम इन्ही से लेता हूँ
मै कलयुग का नेता हूँ मै इस कलयुग का नेता
आये समय इलेक्शन का तब मुँह से शहद उगलता हूँ
तदुपरांत इसी मुँह से मैं जहर भी उगलता हूँ
साम,दाम और दण्ड भेद का हुनर भी अपना लेता हूँ
मै कलयुग का नेता हूँ मैं इस कलयुग का नेता
अगर कोई मेरे आड़े आया खैर नहीं है उसकी फिर
ऐसा दांव लगाता हूँ कि मुँह के बल वो जाये गिर
कुर्सी पर जो आंच आई तो लाशे बिछवा देता हूँ
मै कलयुग का नेता हूँ मै इस कलयुग का नेता
सुनो बाबरी सुनो अयोध्या तुमसे कोई रीत नही
मन्दिर मस्जिद से मुझको तो कभी भी कोई प्रीत नही
मगर हो ज़रिया तुम कुर्सी कि इसलिए चिल्ला लेता हूँ
मै कलयुग का नेता हूँ मै इस कलयुग का नेता
आन,बान,शान की खातिर मैने खून को खो डाला
ताज,तखत की खातिर मैने इज्जत को भी धो डाला
समय समय पर गिरगिट का रंग धारण मै कर लेता हूँ
मै कलयुग का नेता हूँ मै इस कलयुग का नेता
राम रहीम ना कोई मेरे बस पैसों से मेल मेरा
कुर्सी पड़ी अगर खतरे में फिर देखो खूनी खेल मेरा
सोच नहीं सकते जो तुम वो सब मैं कर लेता हूँ
मै कलयुग का नेता हूँ मै इस कलयुग का नेता
आरिफ हाशमी नाम है मेरा जो
डंके की चोट पर बोले
चुभे जिसे भी बात ये मेरी वो ज़रा मुँह तो खोले
रहता हूँ मुम्ब्रा मे मै पता बता देता हूँ
मै कलयुग का नेता हूँ मै इस कलयुग का नेता
लेखक:आरिफ मुर्तज़ा हाशमी पत्रकार