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अखिल भारतीय अनागत साहित्य संस्थान ने अच्छे गज़लकार के लिए अशवनी “उम्मीद” को किया सम्मानित

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नवाबों और साहित्यिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध लखनऊ में अखिल भारतीय अनागत साहित्य संस्थान ने अशवनी “उम्मीद” लखनवी को अपनी मासिक काव्य गोष्ठी में सम्मानित किया। गोष्ठी विभिन्न विधाओं के प्रत्येक रस से समृद्ध रहीं। वरिष्ठ रचनाकार एवं गोष्ठी के संस्थापक श्री डा. अजय प्रसून जी ने अशवनी उम्मीद “लखनवी” को अपना गीत संग्रह “कालजयी हम प्यास लिए” भी उपहार स्वरूप प्रदान की।

गोष्ठी की अध्यक्षता आचार्य ओम् नीरव जी ने की मुख्य अतिथि के पद पर श्री नरेन्द्र भूषण एवं विशिष्ट अतिथि डा.सुरेश प्रकाश शुक्ल बनाए गए। गोष्ठी में विशेष रूप से मुंबई से आये लखनऊ के ही मशहूर शायर श्री अशवनी “उम्मीद” एवं लखनऊ के प्रसिद्ध कवि व संचालक राहुल द्विवेदी स्मित सम्मानित किये गए। गोष्ठी में डा. हरि फैजाबादी, जनाब मिज़ाज लखनवी एवं अन्य कई शायरों व रचनाकारों ने हिस्सा लिया एवं काव्य पाठ भी किया।

उम्मीद की गजल काफी चर्चित रही-

(1) मांग का सिंदूर होना चाहता था।
मैं कहां मजबूर होना चाहता था।।

(2) इसलिए बदनाम होकर रह गया हूं ।
मै बहुत मशहूर होना चाहता था।।

(3) मै अच्छे शेर क्या कहने लगा हूं।
वो कहते है इसे कुछ हो गया है।।

(4) सच को बोल ही दीजिए, अगर जानते आप।
झूठ बोलना पाप है, चुप रहना भी पाप।।

(5) खुशियाँ जहाँ अनन्त हो, दुख भी होंगे चार।
लहलाहाती फसल में, जैसे खर पतवार।।

(6) दुर्गम पथ को देख के, लगते रहे कयास।
पहुंच गया वो लक्ष्य तक, जिसने किया प्रयास।।

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