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सपा के पुराने गढ़ भदोही को संजोने के लिये अखिलेश ने चलाया दांव

ब्राह्मणों पर डाला डोरा, पिछड़ों को दिया भरोसा, अल्पसंख्यकों को तवज्जो, मिशन 2022 फतह का दावा

भदोही। मिशन 2022 की जद्दोजहद में जुटी सपा भदोही में शिक्षक सम्मान समारोह आयोजन के जरिए अपनी राजनीति का संकेत दे दिया है। खुलकर भले ही जाति वर्ग को मंच से उजागर करने में परहेज हुआ, किंतु आचरण से वह सब आम कर दिया जो भावी चुनाव की रणनीति है। पहले जिले के डा. बी. पाण्डेय को समाजवादी शिक्षक सभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। फिर श्री पांडे द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पूर्वांचल के कांग्रेसी बड़े घराने में एक पंडित श्यामधर मिश्र परिवार की बहू डॉक्टर नीलम मिश्रा को सपा की सदस्यता दिलाई गई। श्रीमती मिश्रा और उनके पति रत्नेश मिश्रा करीब दो दशक तक जिले में कांग्रेस के प्रमुख रहे हैं। जाहिर है उनके साथ उनके समर्थकों ने भी सपा में समर्पण स्वीकारा। इस तरह ब्राह्मणों पर डोरा डालकर उन्हें एक के बाद एक को जोड़ने का काम भदोही शिक्षक सम्मान समारोह से शुरू हुआ।

इसके साथ यह चतुरता भी दिखायी गयी कि सपा के पारंपरिक समर्थक रहे अल्पसंख्यकों को भी चिपका कर रखा जाए। उन्हें यह एहसास ना हो कि ब्राह्मण प्रेम के मोह में सपा अल्पसंख्यकों की उपेक्षा करेगी। सपा के प्रति अल्पसंख्यकों में कोई भ्रम या संदेह उपजे, उसके पूर्व ही सपा प्रमुख ने एक ऐसी बानगी पेश की जिससे अल्पसंख्यकों के चेहरे खिल उठे। हुआ यह कि शिक्षक सम्मान समारोह में हेलीकॉप्टर से पहुंचे सपा प्रमुख अखिलेश यादव की अगवानी के लिए स्वयं कार्यक्रम के आयोजक डा. बी.पांडे समेत पूर्वांचल के कई पूर्व विधायकों के अलावा कई बड़े चेहरे मौजूद रहे। किंतु सपा प्रमुख ने सभी से औपचारिक नमन बंदगी तो किया किंतु मौके पर मौजूद भदोही के पूर्व विधायक जाहिद बेग को विशेष तवज्जो दिया। गर्मजोशी से मिले। उन्ही के साथ वाहन में बैठकर मंच तक आए। यह देखकर मौजूद अल्पसंख्यक सपाइयों के चेहरे फख्र से खिल उठे और अखिलेश यादव जाहिद बेग के नारे लगने लगे। यानी ब्राह्मण प्रेम के बीच अखिलेश यादव ने अपने भरोसे के अल्पसंख्यक समर्थकों को चतुराई से साध लिया। अब बारी थी सपा की मूल पूंजी पिछड़े वर्गों को एकजुटता में संजोए रखने की। इसके लिए सपा प्रमुख ने भाजपा सरकार की नाकामियों पर निशाना साधा। दावा किया कि भाजपा सरकार की कारस्तानियों से प्रदेश वासी त्राहि—त्राहि कर रहे हैं। भाजपा से छुटकारा पाने की राह देख रहे हैं। सूबे में परिवर्तन का माहौल है। जरूरत इस बात की है कि सपा के लोग एकजुटता से भाजपा का मुकाबला करें और उसे सत्ता से बेदखल कर दें।
सपा प्रमुख का उक्त दावा एक तरह से पिछड़ों को भरोसा देना था कि वे भाजपा में जाने का मन ना बनाएं। आने वाले समय में सपा ही सत्ता पर काबिज होगी। सभी एकजुट रहें और सपा का साथ दें। इस तरह अपने खोए गढ़ भदोही में सपा ने जहां ब्राह्मणों को जोड़ने की शुरुआत की वहीं अपने पुराने समर्थकों को भी कहीं और न जाने की नसीहत भी दिया।

ब्राह्मणों को जोड़ने में चाचा भतीजे साथ—साथ

भदोही में ब्राह्मण बाहुबली विधायक विजय मिश्र की अगुवाई में करीब दो दशक तक काबिज सपा को शायद यह लगने लगा कि भदोही में ब्राह्मण समर्थन के बिना पुराने दिन लौटा पाना मुश्किल है। संभवत: यहीं कारण है कि कालीन परिक्षेत्र में एक बार फिर सपा ब्राह्मणों का विश्वास जीतने में जुट गई है। इसकी शुरुआत सपा और शिवपाल यादव की प्रसपा साथ—साथ की है। पूर्व विधानसभा चुनाव के दौरान विजय मिश्रा को दूध की मक्खी की तरह सपा से बाहर कर दिए अखिलेश यादव जहां जनपद निवासी पूर्व कुलपति डॉ बी पांडे पर भरोसा किया और कांग्रेसी घराना पंडित श्यामधर परिवार की बहू डॉक्टर नीलम मिश्रा को पार्टी की सदस्यता दिया है। वहीं सपा प्रमुख शिवपाल यादव ने आगरा जेल पहुंचकर जेल में बंद बाहुबली विधायक विजय मिश्र से मुलाकात कर विजय मिश्र समर्थक ब्राह्मणों से सहानुभूति पाने की कवायद किया।
जिले में इस बात को लेकर राजनीतिक चर्चा छिड़ गई है कि ब्राह्मणों को जोड़ पाने में क्या वे चेहरे कामयाब होंगे जिन्हें लेकर सपा सपने बुनने में लगी है। शुरुआत बी पांडे से है। श्री पांडे जनपद के डीघ ब्लॉक निवासी शीर्ष बौद्धिक व्यक्तित्व हैं। यह कुलपति भी रह चुके हैं। जो शिक्षा जगत में बड़ा पद माना जाता है। निश्चय उनकी एक उज्जवल छवि है। किंतु वह गैर राजनीतिक व्यक्ति हैं। उनका जुड़ाव बौद्धिक वर्ग के लोगों से ही है। जमीनी स्तर पर ब्राह्मणों में उनका जुड़ाव ना के बराबर है। सपा ने बी पांडे को समाजवादी शिक्षक सभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है। शिक्षक दिवस पर उन्हीं के द्वारा आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में सपा प्रमुख अखिलेश यादव बतौर मुख्य अतिथि भदोही आये। रही बात डॉक्टर नीलम मिश्रा की तो उनके साथ एक कद्दावर घराने की ख्याति जुड़ी हुई है। श्रीमती मिश्रा पूर्वांचल के बड़े कांग्रेसियों में एक पंडित श्यामधर मिश्र परिवार की बहू हैं। उनके पति रत्नेश मिश्रा लगातार 10 वर्ष तक कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रहे। पति के निधन के बाद श्रीमती मिश्रा ने अध्यक्ष पद को करीब 7 वर्षों तक संभाला। एक कार्यक्रम के दौरान भदोही आई प्रियंका गांधी वाड्रा से हुए मनमुटाव के कारण उन्होंने कांग्रेस छोड़ दिया। बताया जाता है कि श्रीमती मिश्रा कांग्रेस जिला अध्यक्ष रहते सदैव सक्रिय रहीं और जनपद में उन्हें जानने मानने वाले लोग हैं। रही बात विजय मिश्र की तो उन्हें निकालने का परिणाम सपा को भदोही से बाहर हो जाने के रूप में मिला। श्री मिश्र सपा बसपा के लिए कितने कारगर हैं यह बिना बताए ही समझा जा सकता है। बहरहाल भदोही में चाचा भतीजे का एक साथ चला ब्राह्मण जोड़ो दांव कितना सफल होता है यह तो वक्त ही बताएगा। फिलहाल ब्राह्मणों में यह संदेश तो गया है कि सपा अब वाई एम के साथ ब्राह्मणों को भी अपना बनाने के प्रयास में है।

अखिलेश की फिसली जुबान भाजपा को मिला मौका

भदोही में शिक्षक सम्मान कार्यक्रम के दौरान फिसल गई अखिलेश यादव की जुबान को भाजपा ने मुद्दा बना लिया। कहा जा रहा है सपा कभी ब्राह्मणों की न थी और न रहेगी। तभी तो एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण पूर्व कुलपति का नाम भी सही ढंग से उच्चारित नहीं कर पाई। भाजपा की मानें तो सपा के मन में आज भी ब्राह्मण द्रोह समाया हुआ है। वह किसी ब्राह्मण का सम्मान से नाम लेना भी नहीं जानती। हुआ यह कि अपने उद्बोधन में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने डॉक्टर बी पांडे का नाम लेते समय पहले उन्हें डॉक्टर बी यादव के नाम से संबोधित कर दिया। हालांकि तत्काल उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और फिर बी पांडे के नाम से संबोधित किया। इस बीच भाजपा को मौका मिल गया। इसकी ऑडियो वीडियो चलाई जाने लगी। सपा के ब्राह्मण प्रेम को दिखावटी बताकर ब्राह्मणों को सावधान किया जाने लगा।

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