इस साल रक्षाबंधन का त्योहार 15 अगस्त को मनाया जाएगा। बन रहे है अद्भुत योग एवं सयोगं। इस रक्षाबंधन बहुत ही खास क्योंकि बहन चमका सकती हैं भाई की किस्मत…
हिंदूओं के लिए रक्षाबंधन का विशेष महत्व है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधकर उसकी लंबी उम्र और सुख की कामना ईश्वर से करती हैं तो वहीं भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देता है। भाई-बहन के अटूट प्यार और एक-दूसरे की रक्षा करने के संकल्प के साथ यह त्योहार मनाया जाता है। रक्षाबंधन एक ऐसा बन्धन जिसमे हमे दुनिया के हर बुरे प्रभाव से बचाने की कामना रहती है।
यह केवल भाई बहनों का त्यौहार मात्र होता तो लोग अपने घर के देवी देवताओं को, पेड़ पौधों को, अपने गाड़ी वाहन आदि को, अपने घर के पालतू जानवरों को, अपने व्यापार व्यवसाय के क्षेत्र में तराजू , कलम व खाता बही में, कोई बहन अपने बच्चों को, कोई देश के सैनिकों को, कोई राजनेताओं को, कोई पुलिसकर्मियों को, कोई साधु संतों को भी रक्षाबंधन बांधते हैं ।अपने भाई के लिए लंबी उम्र की कामना करने वाली बहनों के लिेए इस साल रक्षाबंधन का त्योहार कई मायनों में खास रहने वाला है।
ऐसे में आपको अतुल शास्त्री बताने जा रहे हैं राशि के अनुसार कौन से रंग का राखी आपके भाई के लिए शुभ होगा।
1) मेष- यदि आपके भाई की राशी मेष है तो इसका स्वामी मंगल है। ऐसे लोगों को लाल रंग की राखी बांधना शुभ माना जाता है। इससे उनके जीवन में भरपूर ऊर्जा बनी रहती है।
2) वृष- इस राशि के लोगों का स्वामी शुक्र है। बहन अपने भाई को नीले रंग की राखी पहनाएं तो उसके लिए शुभ होगा। इससे उन्हें बेहतर परिणाम भी मिलेंगे।
3) मिथुन- इस राशि के स्वामी बुध है। ऐसे में आप चाहे तो अपने भाई को हरे रंग की राखी बांध सकते हैं। इससे सुख,समृद्धि और दीर्घायु होते हैं।
4) कर्क- इस राशि के स्वामी चंद्रमा है। ऐसे लोगों के लिए पीले या फिर सफेद रंग की राखी सही होगी। इस रंग से आपके जीवन में भरपूर खुशहाली आएगी।
5) सिंह- इस राशि के स्वामी सूर्य है। ऐसे लोग अपने भाई के लिए पीले-लाल रंग की राखी खरीदें। उनके लिए सही होगा।
6) कन्या- इस राशि के स्वामी बुध होते हैं। भाई को अपने बहन से हरे रंग की राखी बंधवानी चाहिए। इससे सभी प्रकार के ग्रह दोष दूर हो जाते हैं। भाई-बहन के बीच प्रेम बना रहता है।
7) तुला- इस राशि के लोग के लिए नीला या फिर सफेद रंग की राखी बांधना शुभ होगा। इस राशि के स्वामी शुक्र है।
8) वृश्चिक- इस राशि के भाई को अपने बहन से गुलाबी रंग की राखी बंधवानी चाहिए। उनके कुंडली के सभी दो। दूर हो जाते हैं।
9) धनु- इस राशि के लोगों के स्वामी बृहस्पति है। ऐसे लोगों को सुनहरे पीले रंग की राखी बंधवानी चाहिए या फिर पीले रंग की राखी बांधनी चाहिए।
10) मकर- इस राशि के स्वामी शनिदेव है। इन्हें न्याय का देवता कहा गया है। बहन अपने भाई को नीले रंग की राखी पहनाएं। इससे भाई-बहन का अटूट रिश्ता बना रहेगा।
11) कुंभ- इस राशि के स्वामी भी शनि माने जाते हैं। ऐसे में रक्षाबंधन पर गहरे हरे रंग का रूद्राक्ष का माला पहनना चाहिए। बहनों को अपने भाई के लिए राखी खरीदते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
12) मीन- इस राशि के लोगों को सुनहरा हरा रंग का राखी खरीदना चाहिए। इसे शुभ माना जाता है। ऐसे लोगों के लिए पीले रंग की राखी शुभ मानी जाती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री के अनुसार कई साल बाद इस राखी पर ऐसा अद्भुत संयोग बन रहा है। जिसमें इस दिन भद्रा या कोई ग्रहण नहीं लग रहा है. जिसकी वजह से इस साल भाई और बहन दोनों के लिए रक्षाबंधन बेहद शुभ संयोगवाला और सौभाग्यशाली है।
रक्षाबंधन का त्योहार गुरुवार के दिन पड़ने से इसका धार्मिक महत्व और बढ़ गया है। गंगा स्नान, शिव पूजन और विष्णु पूजन करने से आयु, अरोग्य, विद्या-बुद्धि सहित हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसलिए इस बार त्यौहार का महत्व और अधिक है। मान्यता है कि भद्रा काल में बहनों का अपने भाई को राखी बांधना शुभ नहीं होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रावण की बहन ने भद्रा काल में ही अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधा था, जिसकी वजह से रावण का सर्वनाश हुआ था। ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री का यह भी कहना है कि रक्षाबंधन हर साल सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है लेकिन इस बार रक्षाबंधन भारत के स्वतंत्रता दिवस की 72वीं वर्षगांठ को मनाया जाएगा।
गौरतलब है कि यह संयोग 19 साल बाद बना है। इससे पहले स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन का एक साथ योग वर्ष 2000 में बना था। इस बार का रक्षा बंधन भद्रा के साये से मुक्त होने के कारण बहनें भाईयों को शाम तक राखी बांध सकेंगी। साथ ही इस त्यौहार से पहले गुरु का मार्गी होना इस पर्व की शुभता को और बढ़ा रहा है। श्रावणी पूर्णिमा पर सात 7 साल बाद पंचांग के पांच अंगों की श्रेष्ठ स्थिति बनना भी अपने आप में काफी शुभ रहेगा। श्रवण नक्षत्र में दिन की शुरुआत होगी, जो 8.30 तक रहेगा। इसके बाद घनिष्ठा नक्षत्र है। सुबह 11 बजे तक सौभाग्य योग और इसके बाद शोभन योग में रक्षाबंधन मनेगा। इस बार रक्षाबंधन पर लगभग 13 घंटे तक शुभ मुर्हूत रहेगा। जबकि दोपहर 1:43 से 4:20 तक राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त है। गुरुवार राखी वाले दिन को पूर्णिमा तिथि व श्रवण नक्षत्र के मिलने से सिद्धि योग भी बन रहा है। भद्रा का साया नहीं होने के कारण इस बार राखी बांधने के लिए काफी लंबा मुहूर्त रहेगा। बहनें अपने भाईयों को 15 अगस्त की सुबह 5 बजकर 49 मिनट से शाम 6 बजकर 01 मिनट तक राखी बांध सकेंगी। शुभ मुहूर्त दोपहर में साढ़े तीन घंटे रहेगा।
रक्षा बंधन की तिथि – 15 अगस्त 2019
रक्षा बंधन शुभ मुहूर्त – सुबह 5 बजकर 53 मिनट से शाम 5 बजकर 58 मिनट
रक्षा बंधन का सबसे शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:43 से शाम 4:20 बजे तक अपराह्न मुहूर्त- दिन में 1 बजकर 43 मिनट से शाम 4 बजकर 20 मिनट तक
पूर्णिमा तिथि आरंभ : 14 अगस्त 2019 दिन में 3 बजकर 45 से पूर्णिमा तिथि समाप्त : 15 अगस्त 2019 शाम 5 बजकर 58 तक। आपनी बहन को रक्षा का वचन के साथ और ये वस्तु कर सकते है उपहार जिससे बहन का भबिष्य रहे उज्जवल।
1)मेष अगर आपकी बहन की राशि मेष है तो उसे लाल रंग की वस्तुएं, लाल रंग की ड्रेस उपहार में दे सकते हैं।
2) वृष जिन जातकों की बहन की राशि वृष है, वे अपनी बहन को परफ्यूम, रेशमी कपड़े या संगमरमर की कोई भी मूर्ति उपहार में दे सकते हैं।
3) मिथुन इस राशि की बहन को फोटो जिसमें हरियाली दिख रही हो उपहार में दे सकते हैं।
4)कर्क इस राशि की बहन को चांदी से बनी चीजें, मोतियों की माला, सफेद वस्तुएं, वाहन, सीप से बनी चीजें उपहार में दी जा सकती हैं।
5) सिंह अगर आपकी बहन की राशि सिंह है तो उसे सोने के आभूषण, माणिक, तांबे की वस्तु उपहार में दे सकते हैं।
6) कन्या जिनकी बहन की राशि कन्या है वे पन्ने की अंगूठी, गणेशजी की मूर्ति या फोटो उपहार में दे सकते हैं।
7) तुला इस राशि की बहन को कपड़े, आभूषण, कार, परफ्यूम, आदि उपहार में दिए जा सकते हैं।
8) वृश्चिक जिनकी बहन की राशि वृश्चिक है, वे अंगूठी व तांबे की वस्तुएं उपहार में दे सकते हैं।
9) धनु इस राशि की बहन को किताबें, सोने के आभूषण, वस्त्र आदि उपहार में दिए जा सकते हैं।
10) मकर मकर राशि की बहन को आप मोबाइल, लेपटॉप आदि उपहार में दे सकते हैं।
11) कुंभ यदि आपकी बहन की राशि कुंभ है तो उसे नीलम के आभूषण, अंगूठी आदि उपहार में दे सकते हैं।
12) मीन यदि आपकी बहन की राशि मीन है, तो आप उसे सोने के आभूषण, पीली मिठाई, पीले वस्त्र, फिश एक्वेरियम आदि उपहार में दे सकते हैं।
सबसे पहले वशिष्ठ जी ने चन्द्रभागा के तट पर अरुंधति को बांधा था। जो उनकी पत्नी थी। ( कालिका पुराण ) फिर देवराज इंद्र को उनकी पत्नी इंद्राणी ने, देवगुरु बृहस्पति के कहने पर बांधी थी। इसी तरह की रक्षा का आश्वासन भगवान कृष्ण द्वारा द्रौपदी को दिया गया था जब द्रौपदी ने अपने साड़ी का पल्लू फाड़ कर भगवान के उंगली में बांधी थी, इस तरह यह सूत्र रक्षा का आशीर्वाद देने वाला सूत्र तथा एक दूसरे को बन्धन में बांध कर कर्तव्यों को जिम्मेदारी से निभाने का संकल्प देता है।
भारतीय जीवनशैली को चार वर्णो तथा आश्रमो मे बाँटा गया है। जिसके अनुसार ही चारों वर्णो के कार्य व पर्व बटे हुए है। जिस तरह दशहरा क्षत्रिय का तथा दीपावली वैश्य वर्णो का पर्व है उसी तरह- रक्षाबंधन ब्राह्मणो का पर्व है। इसलिए हर पूजन- अनुष्ठान मे ब्राह्मणो द्वारा सबसे पहले रक्षासुत्र बाँधी जाती है। परंपरागत आज भी रक्षाबंधन के दिन ब्राह्मण हर घर व दुकानों मे जाकर पूरे दिनभर अपने यजमानों को रक्षा सुत्र बाँधते हैvआत्मभाव से जुड़े होने के कारण लोग मंदिर मे भगवान को, अपने पालतू जानवरों, पेड़-पौधों, कलम-दवात , खिड़की-दरवाजा, कार – बाइक आदि तक मे भी बाँधते है।सामाजिक सुरक्षा व सहयोग के तारतम्य से स्कूल की लड़कियाँ अपने सहपाठी लडको तथा पड़ोस के व अपने भाई के दोस्तों को भी बाँधती है। इतिहास के कुछ घटनाओं ने प्राचीन इस रक्षा बंधन को नया रूप दे दिया। तब से यह पर्व भाई-बहन के स्नेह-सौहार्द का सूचक बन गया।
श्रावणी उपाकर्म- भविष्य पुराण के अनुसार रक्षाबंधन के दिन गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, कावेरी, सरयू , क्षिप्रा आदि तीर्थ महानदियो मे स्नान , तर्पण व दान आदि करने से ब्रह्मा लोक की प्राप्ति होती है। तीर्थ स्थल मे न जा पाने की स्थिति मे अपने घर के पवित्र जल मे ही सारे तीर्थो का स्मरण कर पुण्य स्नान को भी पुण्यदायी बताया गया है।
“हेमाद्रिकल्प” के अनुसार
पुण्य स्नान पश्चात धर्मनिष्ठ विद्वान ब्राह्मण-पुरोहित से स्वस्तिवाचन मंत्रोंच्चार युक्त रक्षासुत्र बंधवाना चाहिए। तथा श्रद्धा पूर्वक उनको भोजन करवाने के बाद दान करना चाहिए ।
मनुस्मृति व अनेक शास्त्रों मे श्रावण मास की पुर्णिमा को वैदिक कृत्य किये जाने का वर्णन है जिसे “श्रावणी उपाकर्म” कहते है। इसके अनुसार वेदधर्म निष्ठ ब्राह्मणो व अन्य यज्ञोपवीत धारियो को किसी श्रेष्ठ तीर्थ या पवित्र सरोवर मे जाकर वैदिक-पौराणिक पद्धति से उपाकर्म करना चाहिए।
प्रभावशाली मंत्र :-रक्षासूत्र बांधते समय आचार्य-पुरोहित, एक श्लोक का उच्चारण करते हैं, जिसमें रक्षाबन्धन का सम्बन्ध राजा बलि से स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। यह श्लोक रक्षाबंधन का अभीष्ट मंत्र है श्लोक में कहा गया है कि जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबन्धन से मैं तुम्हें बांधता हूं जो तुम्हारी रक्षा करेगा।
मन्त्र :- येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामनु बध्नामि रक्षेमाचल मा चल।
भगवान वामन व राजा बलि की कथा में रक्षाबंधन
जनमानस मे प्रचलित कथाओ के अनुसार राजा बलि द्वारा अपना सर्वस्व दान कर देने की दयालुता व भक्ति को देख भगवान वामन प्रसन्न हो गये। तथा उन्हें सुतल लोक का राजा बनाकर वरदान माँगने कहा। तो राजा बलि ने भगवान से कहा कि अपने राजमहल के चारो दरवाजे से जब भी आऊँ या जाऊँ तो आपका दर्शन हो।
इस तरह भगवान सुतल लोक मे राजा बलि के राजमहल मे ही रहने लगे।
सब स्थिति स्पष्ट होने पर चिंतित लक्ष्मी जी ने देवर्षि नारद जी के कथनानुसार सुतल लोक मे जाकर राजा बलि को राखी बाँधी तथा भगवान को वापस लेकर आयी ।
पौराणिक कथा-
पौराणिक कथाओं मे भी रक्षविधान का वर्णन है।- एक बार देवता-दानवो मे युद्ध छिड़ गया । बहुत समय तक युद्ध चला । जब देवता गण कमजोर होने लगे तब देवराज इन्द्र ने देवगुरू बृहस्पति से कुछ उपाय करने कहा। तब देवगुरू बृहस्पति ने श्रावण पूर्णिमा के दिन विधि विधान से रक्षाविधान का अनुष्ठान कर देवराज इन्द्र की धर्मपत्नी इन्द्राणी के द्वारा इन्द्र के दाहिने हाथ मे रक्षासुत्र बंधवाया था जिससे देवताओं को विजय प्राप्त हुआ ।
द्वापर युग की कथा-
द्वापर युग की प्रचलित कथा के अनुसार जब भगवान कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया तो चक्र चलाने के उपक्रम मे भगवान के दाहिने हाथ की उंगली से रक्त निकलने लगा। तब द्रौपदी ने अपने पहनी हुई साडी की पल्लू को फाड़ कर भगवान के हाथों मे बाँधी जिससे रक्त बहना बंद हो गया। तब भगवान ने प्रेम से पुलकित होकर द्रौपदी को आशीर्वाद दिया कि तुम पर कोई भी विपत्ति नही आने दुँगा ।और हर प्रकार से तुम्हारी रक्षा करुँगा और जब कौरवो की सभा मे दुशासन ने जब द्रौपदी का चीरहरण करना चाहा तब भगवान ने रक्षा किया ।
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री के अनुसार रक्षा बंधन या राखी का केवल पौराणिक तथा ऐतिहासिक महत्त्व ना होकर इसका धार्मिक महत्व भी है। गौरतलब है कि अमरनाथ की अतिविख्यात धार्मिक यात्रा गुरु पूर्णिमा से प्रारम्भ होकर रक्षाबन्धन के दिन सम्पूर्ण होती है। कहते हैं इसी दिन यहाँ का हिमानी शिवलिंग भी अपने पूर्ण आकार को प्राप्त होता है। इस उपलक्ष्य में इस दिन अमरनाथ गुफा में प्रत्येक वर्ष मेले का आयोजन भी होता है।