वैदिक दर्शन प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में नारायण प्रकाशन वाराणसी से प्रकाशित गीत संग्रह ‘तुम जलाना दीप बाती’ का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुधाकर मिश्र ने की जबकि महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।विशिष्ट अतिथि रामनयन दुबे थे। तीन सत्रों में विभाजित इस समारोह का का दूसरा सत्र “समाज का आदि संविधान : मनुस्मृति” पर था। संदीप आर्य और योगेश मिश्र ने इस पर अपना-अपना विचार साझा किया। अध्यक्षीय भाषण में पतंजलि योगपीठ हरिद्वार से पधारे स्वामी यज्ञदेव ने कहा, ” मनुस्मृति में समाज विरोधी जो भी अंश मिलते हैं वे प्रक्षिप्त हैं। मनुस्मृति की प्रतियाँ इन्हीं प्रक्षिप्त अंशों के कारण जलाई जाती है।
बाबासाहेब ने स्वयं मनुस्मृति की मूल प्रति का समर्थन किया था। मनुस्मृति सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों ने इस पुस्तक के सिद्धांत को अपने यहाँ लागू करवाया है।” संचालक नरेंद्र शास्त्री जी ने बताया कि यदि किसी को मनुस्मृति से संबंधित कोई भी भ्रम हो तो आर्य समाज में रखी मूल प्रति की जाँच कर सकता है। समारोह का तीसरे सत्र में काव्य संध्या का आयोजन था। युवा कवि पवन तिवारी, कमलेश पाण्डेय ‘तरुण’, विनय शर्मा ‘दीप’, डॉ. अभय शुक्ला और तेजस सुमा श्याम की कविताओं का श्रोताओं ने जमकर आनंद उठाया। काव्य संध्या का संचालन सुमन मिश्रा के द्वारा किया गया। इस अवसर पर महानगर की कई प्रमुख हस्तियाँ मौजूद थीं। आभार ज्ञापन डॉ. जीतेन्द्र पाण्डेय ने किया।