भले ही मोदी मैजिक पूरे देश में चढकर बोल रहा है। और देश के बडे बडे नेता अपनी हार स्वीकार करके मोदी को बधाई दे रहे है। लेकिन अब भी कुछ नेताओं के ऐसे समर्थक है जिनके प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई लेकिन फिर भी अपना मुंह पीटकर लाल कर रहे है। और फालतू बयानबाजी कर रहे है। अपने हार के कारणों का विश्लेषण करने के बजाय भाजपा के जीत पर ही अपनी जहरीली बयानबाजी कर रहे है। जिनका उद्देश्य है कि जिले की एकता को ब्राह्मण बनाम पिछडी में बांटकर मजा लेना है। और मोदी और भाजपा को बदनाम करना है। लेकिन शायद इन मुट्ठी भर लोगों को नही मालूम है कि भदोही जिले की एकता व अखण्डता को जो दांव पर लगाता है। बाद में वही खण्डित हो जाता है।
भदोही के वर्तमान सांसद रमेश बिन्द के वायरल वीडियों का सन्दर्भ लेकर कुछ समाज विरोधी लोग जिले में जातिवाद की हवा देकर सांसद रमेश बिन्द और ब्राह्मणों के बीच दरार बनाने की कोशिश कर रहे है। जबकि इन लोगों को ज्ञात होना चाहिए वर्तमान सांसद ने उस वायरल वीडियो को झूठा बता चुके है। और ब्राह्मणों को हमेशा पूज्यनीय बताये। और इसका उदाहरण चुनाव के दौरान देखने को भी मिला। लेकिन कुछ तथाकथित लोगों को रमेश बिन्द और भाजपा की जीत रास नही आ रही है तो मनमानी बयानबाजी करके लोकसभा क्षेत्र में हवा खराब करना चाहते है।
विरोधियों का तर्क है कि रमेश बिन्द अब सांसद बन गये है और ब्राह्मणों को अपने जनेऊ को अंदर रखना चाहिए। नही तो जो कहते है वे करते है। वैसे कुछ भी हो भाजपा की जीत के बाद कुछ विरोधी लोग अपने बातों से जिले में दरार पैदा करना चाहते है। लेकिन भाजपा समर्थक इन विरोधियों के चाल में फंसकर अपना रिश्ता न खराब करें। क्योकि कुछ लोगों की कट्टर मानसिकता यह बन गई है कि भदोही लोकसभा को सवर्ण बनाम पिछडी के विवाद में धकेल कर मजा लिया जाए।
जो भी जीतकर संसद भवन पहुचता है वह सबका सांसद होता है चाहे उसे किसी ने वोट दिया है या नही। समाज में धर्म व जाति की राजनीति करने वालों को चाहिए कि अपने इस विचारधारा को बदलकर देश की जनता की भलाई के लिए सोचे और जनादेश का सम्मान करें।