Home वाराणसी …और अब गाँव दर्शन

…और अब गाँव दर्शन

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हमार पूर्वांचल

नए साल का पहला दिन, भदोही के ऐतिहासिक मगर गुमनाम इतिहास बन चुके अगियाबिर कोट के लिए एक नई पटकथा लिखने का काम किया है। वाराणासी से 38 किमी दूर गंगा किनारे स्थित अगियाबिर का विशालकाय 1 किमी परिधि में फैला टीला अपने अंदर तमाम रहस्य और रोमांच की गाथाएं छुपाये बैठा है, जिसे जानबूझकर इतिहासकारों ने नजर अंदाज किया है।

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1 जनवरी के दिन इस टिले में 50 की संख्या में वाराणासी से पर्यटक पहुचे, वाराणासी के मशहूर चार्टेड अकाउंटेंट व समाजसेवी अनिल तुलस्यान ने नए साल पर अपने टीम के लोगो को एक नया अहसास कराने के सोच के साथ गाँव की सैर करने को सोचा था, जिसे किसानों द्वारा संचालित गाँव दर्शन ने गांव घूमने के साथ अगियाबिर का भी भृमण करवाया, काशी के ये सैलानी जब अगियाबिर पहुचे तो उनमें यहाँ एक नया उत्साह देखने को मिला, और लोगो ने इस पहाड़ी पर जमकर नए साल का जश्न मनाया। सदियों से वीरान पड़े और भुतहा घोषित इस टिले पर जहा जाने का एक सही रास्ता भी नही है, जब पर्यटकों की टीम 2 किमी पैदल चढ़कर बढ़ी तो आस-पास के ग्रामीण उन्हें कौतूहल से देखने लगे, इस मौके पर स्थानीय ग्रामीण भी पर्यटकों के साथ नए साल के मौज मस्ती में शामिल हुए।

हमार पूर्वांचल इस दौरान पर्यटकों ने टिले पर बी एच यू के इतिहास विभाग द्वारा की जा रही खुदाई को भी देखा जिसमे से मानव सभ्यता के काफी सबूत मिल चुके है।

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अगियाबिर के बाद पर्यटकों की टीम गाँव की माटी की सोंधी महक लेने गिर्दबड़गांव पहुची जहा गृहस्थ परिसर में देर रात तक पर्यटकों व स्थानीय ग्रामीणों ने एक दूसरे के साथ नए साल को एक नए तरीके से मनाया। साथ ही लिट्टी चोखा ,निमोना जैसे ग्रामीण भोजन का स्वाद जमीन पर पंगत में बैठकर लिया

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इस यात्रा को आयोजित करने वाले गाँव दर्शन टीम के जनार्दन सिंह के अनुसार हमने जिन किसानों के साथ गृहस्थ की शुरुआत की थी, ये उन्ही किसानों की परिकल्पना थी कि, शहर के लोग क्यो न हमारे गाँव घूमने आए, और इस कल्पना को गाव के लोगो ने साकार कर दिया अपनी मेहनत से।

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