Home गुजरात क्या सूरत में गायब कर दी गयी उत्तर भारतीयों की लाशें

क्या सूरत में गायब कर दी गयी उत्तर भारतीयों की लाशें

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मृतक अमित यादव
मृतक अमित यादव

सूरत। देखा जाता है कि किसी कंपनी में जब भीषण दुर्घटना होती है तो कई लोगों के मरने की खबर आती है, लेकिन घटना के बाद मामले को दबा दिया जाता है। सोचने वाली बात है कि तीन मंजिा बिल्डिंग आग लगने से धराशायी हो गयी और दो मृतकों की घोषण कर ​दी गयी। इस मामले में जहां उत्तर भारतीय नेता शान्त हैं वहीं मीडिया भी चुप्पी साधे है। मृतको की बात तो छोड़ियो जनाब घायलों की लिस्ट तक नहीं दी जा रही है।

बता दें कि करीब दो पखवारे पहले सूरत पांडेसरा जीआईडीसी में शालू मील में हुई दुर्घटना में 2 लोगो के मरने की आधिकारिक घोषणा हुई । जिसमें उत्तर भारत के अग्रणियों द्वारा करीब 30 से 40 लोगों के मरने का दावा किया जा रहा था। जिन दो लोगों को आधिकारिक रूप से दुर्घटना में मारे जाने की घोषणा की गई वो दोनों लोग कानपुर के बताए गए है ।मील मालिक द्वारा मृतक के परिजनों को 5 लाख का मुवावजा 3•5 लाख बोनस 60 हजार परिजनों को आने जाने का खर्च तथा 11 हजार प्रति माह मृतक आश्रित को पेंसन गुजरात सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है।

इस घटना में उत्तर भारतीय अग्रणियों द्वारा बड़े बड़े दावे किए गए पर हुआ वहीं जो अब तक होता आया था । पहले तो 30 से 40 लोगों के मरने के दावे किए गए पर अंत मे सिर्फ दो लोगों के मरने की पुष्टि हुई इस घटना से कई तरह के प्रश्न उठकर सामने आए है । यदि 2 लोग मारे गए तो 30 से 40 लोगों के मारे जाने की खबर कैसे आयी । क्या मिल उस रात बन्द थी तो मरने वाले दोनों लोग मील में क्या करते थे । क्या वे सेक्युरिटी में थे या मील के दूसरे विभाग में काम करते थे । यदि मील चालू थी तो मील की तीन मंजिला इमारत गिरने पर कितने घायल हुए और उनका इलाज कहा चला । ये सभी बाते संदेहास्पद बनी हुई है ।

कुछ लोगों का कहना है मील के संगठन द्वारा मामले को दबाया गया जिससे मृतकों और घायलों की संख्या की पुष्टि ठीक ढंग से नही हुई है।
मृतक मजदूर से और दूसरे प्रान्तों के थे इसलिये मामले को दबा दिया गया। सूरत प्रशासन इस मामले को इतनी गंभीरता से नहीं लिया जितना लेना चाहिए था । क्या प्रशासन अपनी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करेगा या फिर मृतक के परिजन रोकर चुप हो जायेगे।

1 COMMENT

  1. दुःखद
    थोड़ा सा पैसे दे करपरिवार को गुमराह कर दिया !
    बाकी मृतुकों की जानकारी दबा देना यह एक सवाल उठता है हमारे समाज पर !

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