Home मुंबई डूबती मुबई! क्या भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही जन सुविधायें

डूबती मुबई! क्या भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही जन सुविधायें

mumbai ki barish
यह कोई तालाब नहीं रेल की पटरियां हैं। साभार: गूगल

राजनीतिक वादों में मुबई को संघाई बनाने की बात होती रही है। मुबई में बुलेट टेन चलाने की बात की जाती है, लेकिन जिस तरह जिम्मेदार लोग आम जनता की सुविधाओं को दरकिनार कर भ्रष्टाचार की बलिबेदी पर चढ़ा रहे हैं उससे लगता है कि शंघाई और बुलेट टेन जैसी बातें सिर्फ जुमला ही है।

उपरोक्त बातें सिर्फ इसलिये कहनी पड़ रही हैं कि मुबई में हो रही लगातार बारिश ने जहां लोगों के जीवन को अस्त व्यस्त कर दिये है वहीं सरकार की व्यवस्थाओं के उपर अंगुली भी उठा दी है। जाम पड़े नालों की वजह से पानी निकासी की व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है और सरकार तथा महानगरपालिका हर मुद्दे पर लाचार और बेबस नजर आ रही है। पूरी मुबई जिस ​तरह पानी में डूबती दिखायी दे रही है, उससे यही लगता है कि महानगरपालिका ने जन सुविधाओं के लिये आये धन का बंदरबांट किया है जिसका खामियाजा आम जनता को उठाना पड़ रहा है।

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मुबई की सड़क पर भरा पानी। साभार:गूगल

याद आया 12 साल पहले का मंजर

मुबई कोई आम शहर ही नहीं है बल्कि इसे मायानगरी कहा जाता है। इस मायानगरी से पूरा देश ही माया में कैद है। अपने सपनों को साकार करने हजारों लोग रोज मुबई आते हैं। लगभग हर व्यक्ति् की इच्छा होती है कि कम से कम एक बार वह मुबई अवश्य घूमें, लेकिन कौन सी मुबई जो इस समय लोगों के लिये नरक बन चुकी है।

इस बार की बारिश ने आम जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित ही नहीं किया है, बल्कि 12 वर्ष पहले बारिश से हुई तबाही की याद भी दिला दी है। 12 वर्ष पहले 2005 में जिनलोगों ने भी उस मंजर को देखा था आज वे 2018 की बारिश को देखकर कांप जा रहे हैं। लोगों की नजरों में डूबते लोग, बहती लाशें और तबाही के मंजर दिखायी दे रहे हैं। मुबई 12 साल में बहुत बदल गयी है किन्तु नहीं बदला तो सरकारी तंत्र, जिससे व्यवस्थाये जस की तस बनी हुई है।

2005 का वह भयानक मंजर देश की आर्थिक राजधानी कभी नहीं भूल पायेगी। उस बारिश में 1094 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। 26 जुलाई 2005 के वे भयानक 24 घंटे याद करके आज भी दिल सिहर उठता है। महज 24 घंटे में हुई 37.17 इंच की बारिश ने मायानगरी को पटरी से उतार दिया था। रात दिन जागने और भागने वाली मुबई ठहर गयी थी। लोग सड़क टेन, बस जहां भी थे वहीं फंसे रह गये थे। अगले दिल 27 जुलाई को भी 25.35 इंच बारिश हुई थी और मुबई को अपनी रफ्तार पकड़ने में काफी वक्त लगा था।

इस बार भी बारिश् के वहीं हालात है। हालांकि पहले के जैसे बारिश तो नहीं हुई किन्तु हालात बदतर हो गये हैं। कई जगह जीवन रूक सा गया है। निचली बस्तियों की बात अलग है किन्तु पाश इलाकों की हालत भी बदतर हो गयी है। कई जगह टेन, बस ठप हो गये। लोग अपने घरों में फंसे रह गये।

जलमग्न हो रही मुबई से भले ही आम आदमी की सांस अटकी हुई हो। आम लोगों की जिन्दगी ठहर सी गयह हो, लेकिन बेबस महानगरपालिका और प्रशासन लाचार दिखायी दे रहा है। शंघाई और बुलेट टेन का सपना दिखाने वालों को यह सोचना होगा कि जब आप लोकल टेन की पटरियों से पानी निकालने में असमर्थ हैं। नालों की सफाई को चौकस करने में असमर्थ हैं तो लोगों को सपना दिखाकर क्या जताना चाहते हैं।

1 COMMENT

  1. बारिश के दिनो में ये आम बात हो गयी है। ऐसी घटनाओं से प्रशासन सबक़ नहि ले रहा है और ना ही कोई क़दम उठा रहा है।

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