किसी घटना के बाद नेताओं द्वारा घोषणा करने की आदत बदलने का नाम नहीं ले रही है। जिसके कारण पीड़ित परिवार का दु:ख और भी बढ़ जाता है। ऐसा ही हो रहा है चर्चित पत्रकार हत्याकाण्ड में जब तीन साल बीत जाने के बाद भी यूपी सरकार की आंख नहीं खुली और जोगेन्द्र सिंह का परिवार न्याय और हक पाने के लिये दर दर की ठोंकरे खा रहा है।
बता दें कि जून 2015 में उत्तरप्रदेश के शाहजहांपुर में जलाकर हत्या कर दी गई गई थी। शाहजहांपुर में पत्रकार जोगेन्द्र को जलाकर मार डालने के मामले में राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा समेत छह अभियुक्तों के खिलाफ 9 जून 2015 को मुकदमा दर्ज किया गया था। उस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जोगेन्द्र सिंह के दोनों बेटों को नौकरी देने का वादा किया था और पांच एकड़ जमीन भी दी थी। इसी मामले में दो साल पहले गुरूवीर सिंह की पहल पर मुम्बई प्रेसक्लब ने अपने रेडइंक अवार्ड फंक्शन में जोगेन्द्र की बेटी दीक्षा को बुलाकर कुछ आर्थिक मदद की थी।
जोगेन्द्र की बेटी दीक्षा का कहना है उसके दोनों भाईयों को आजतक कोई नौकरी नहीं मिली। यहां तक की जो पाँच एकड़ खेत तत्कालीन सीएम ने दिलवाया था। इस खेत के सारे कागजात जोगेंद्र परिवार के नाम पर होने के बावजूद जगेंद्र के हत्यारे उन्हें वहाँ खेती नहीं करने दे रहे। जो पैसे मिले थे, वो घर बनवाने में खर्च हो गए।
सोचनीय बात है जो भाजपा जोेगेन्द्र सिंह की हत्या के बाद आरोपियों को जेल भिजवाने की बात कर रही थी जब उसी की सरकार सत्ता में आयी तो पीड़ित परिवार की मुसीबतें और बढ़ गयी। यूपी में योगी सरकार आने के बाद जिस पत्रकार के परिवार को और मदद मिलनी चाहिये थी आज उसकी हालत दयनीय हो चुकी है और जोगेन्द्र के हत्यारे पीड़ित परिवार पर कहर ढा रहे हैं।