भदोही। सरकार गरीबों के लिए तरह तरह की योजनाएं लाकर उन्हें समाज व विकास के मुख्य धारा में जोड़ने की जी तोड़ कोशिश मे लगी है लेकिन शासन की मंशा को प्रशासन में बैठे लोग भ्रष्टाचार की भेंट चढाने से बाज नही है। किसी भी देश के विकास में मूलभूत सुविधाओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इन्ही मूलभूत सुविधाओं में स्वास्थ्य का एक विशेष स्थान है। लेकिन उत्तर प्रदेश के भदोही जिला में स्थित डीघ ब्लाक के चिकित्सा प्रभारी ने ब्लाक की सभी आशाओं से केन्द्र सरकार की आयुष्मान योजना के अन्तर्गत बंटने वाले आयुष्मान पत्र ग्रामीणों को देने के बाद ₹50 शुल्क लेने का आदेश दिया है। जो निर्धारित शुल्क नही देगा उसे आयुष्मान पत्र देने की मनाही है। कुछ लोग तो निर्धारित शुल्क देकर ले ले रहे है जबकि कुछ लोग नही ले रहे है।
मामला है भदोही जिले के डीघ ब्लाक के बेरासपुर गांव का जहां की आशा कार्यकत्री कमरूनिंशा ने डीघ ब्लाक के प्रभारी चिकित्साधिकारी डा गुलाब यादव की खोली पोल। कमरूनिंशा ने बताया कि डा गुलाब यादव के आदेश के बाद हम लोग जनता से आयुष्मान पत्र का शुल्क ले रहे है। न कि अपने मन से हम लोगो से प्रति आयुष्मान पत्र का निर्धारित शुल्क लेने की बात कही। वही जब डा गुलाब यादव से बात की गई तो उन्होने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि जो भी आशा आयुष्मान पत्र का शुल्क वसुलते हुए पाई गई या उसके खिलाफ शिकायत मिली तो आशा के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।
अब यहां प्रश्न बनता है कि अभी तक आशा कमरूनिंशा ने अन्य किसी काम का पैसा नही ली लेकिन इस बार हर आयुष्मान पत्र के लिए बडे ही मजबूती से निर्धारित शुल्क मांग रही है और पूछने या मना करने पर सीधा सा जबाब दे रही है कि यदि लेना है तो शुल्क दीजिए बिना शुल्क का यह आयुष्मान पत्र नही मिलेगा क्योकि जो ब्लाक के डा गुलाब यादव का आदेश है, मै वही कर रही हूं। इस मामले में जब और आशाओं से बात की गई तो उन्होनें भी बिना नाम बताने की शर्त पर कमरूनिंशा की ही बात का समर्थन किया। आखिर सरकार द्वारा इन अधिकारियों को वेतन, भत्ता व अन्य सुविधाएं मिलती है फिर भी ये लोग कम आय वाली आशा कार्यकत्रियों के कंधे पर बन्दूक रखकर पाक साफ बनने का ढोंग कर रहे है। यदि कमरूनिंशा की तरह जिले की सभी आशा कार्यकत्री इन अधिकारियों की पोल खोलने लगे तो कितना दिन जिले में रहेंगे इस तरह के अधिकारी?
अधिकारियों के दिमाग में यह चलता है कि मै तो ऊंचे पद पर हूं जो मेरे मातहत है वे मुझसे डरकर मेरे इशारे पर सब काम करेंगें लेकिन उन्हें साथ में यह ध्यान भी होना चाहिए कि सब लोग अपने जमीर को नही बेचते। जिसका एक जीता जागता उदाहरण है बेरासपुर की आशा कमरूनिंशा। विभाग के इस रहस्य का पर्दा उठाने के लिए शायद कमरूनिंशा के ऊपर विभागीय दबाब या उसके नौकरी पर आंच आ सकती है लेकिन कमरूनिंशा की अपने ही विभाग की काली करतूत पर बेबाकी से बताना एक बहुत बड़ी बात है। समाज में यदि ऐसे ही लोग हो जाये तो समाज को सुधरने में ज्यादा समय नही मिलेगा। हालांकि आशा कमरूनिंशा की हिम्मत की दाग देनी होगी।