अश्विनी नक्षत्र :–
अश्विनी नक्षत्र भचक्र के 27नक्षत्रों में प्रथम नक्षत्र है। इस नक्षत्र का विस्तार भचक्र के 0 अंश से 13 अंश 20 कला तक है। यह नक्षत्र गण्डमूल नक्षत्र में आता है। अश्विनी नक्षत्र के स्वामी केतु हैं। इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति की राशि मेष है। मेष राशि का स्वामी मंगल हैं। मेष राशि का प्रतीक चिन्ह भेड़ा है। भेड़ा शान्तिप्रिय जीव है पर जब किसी तरफ चल देता है तो पीछे मुड़ कर नहीं देखता है। इस नक्षत्र के देवता अश्विनी कुमार जी हैं। इस प्रकार इस नक्षत्र में जन्में जातक में भेड़ा, केतु, मंगल तथा अश्विनी कुमार जी का प्रभाव रहता है। अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य थे। अतएव इनका झुकाव मेडिकल तथा चीर-फाड से भी सम्बंध रहता है। ये यात्रा के भी शौकीन होते हैं। वैदिक शास्त्रों में अश्विन को सविता (सूर्य) के रथ का घोड़ा माना गया है। इस प्रकार इस राशि में जन्में व्यक्ति बहुत ही उर्जावान होते हैं। क्योंकि मंगल तथा केतु दोनों की उर्जा के कारण ये हमेशा ही कुछ न कुछ करते रहना चाहते हैं। भरतीय वैदिक ज्योतिष में अश्विनी नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह घोड़ा का सर भी मानते हैं। अतएव अश्विनी नक्षत्र के जातक में घोड़ा के गुण का समावेश रहता है। इसलिए इस नक्षत्र के जातक में भरपूर ऊर्जा का समावेश होता है। ऐसा जातक किसी भी कार्य को बहुत तेजी से करता है। ये ज़िद्दी भी होते हैं। ये बहुत ही तीब्र बुद्धि के होते हैं। इनका वर्ण वैश्य है, अतः इनका झुकाव व्यापार की ओर भी होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेनें वाले जातक का
सामान्य फल :—
शारीरिक बनावट :—
मंगल तथा केतु के प्रभाव से इस नक्षत्र के जातक शारीरिक बनावट काफी गठीला तथा आकर्षक होता है। नाँक तथा आँखें बड़ी-बड़ी होंती हैं।
स्वभाव तथा सामान्य घटनाएं :—
इनको समझना बहुत ही मुश्किल होता है। उपर से ये शांत दिखलाई पड़ते हैं। अगर कोई इनको परेशान करता है या धोखा देता है तो, उस ब्यक्ति से बदला लेकर ही ये शांत होते है। इन्हें तुरत ही एकाएक क्रोध आ जाता है। भले ही इन्हें बाद में पछतावा होता है। पुरुष बच्चे अधिक होते हैं। ऐसी स्त्री का अधिक समय अपने परिवार तथा समाजिक कल्याण में व्यतीत होता है। अपनी अवश्यकताओं के लिए इन्हें धन की कमी नहीं रहती है। ये कुछ जिद्धी किस्म के होते हैं। जो एक बार सोच लेते हैं उससे पीछे नहीं हटते हैं। इन्हें दबा कर इनके विचार को नहीं बदला जा सकता है। ये हठीले स्वभाव के होते हैं
ऐसे व्यक्ति को जो प्यार करता है उसके लिए ये कुछ भी कर सकते हैं। मंगल तथा केतु से प्रभावित होनें के कारण इनमें धैर्य की बहुलता होती है। बहुत ही बुरी परिस्थिति में भी ये घबराते नहीं हैं। ईश्वर पर इन्हें बहुत ही भरोसा रहता है। इनका स्वभाव अपने रहन-सहन में काफी खर्चिला होने के कारण हमेशा ही आर्थिक दबाव में रहते हैं। इनका रहन-सहन, साफ-सुथरा होता है। ये चाहते है इनके साथ रहनें वाले लोग तथा आस-पास का वातावरण भी साफ-सुथरा रहे। किसी कार्य को प्रारम्भ करने के पुर्व ये खूब सोच समझ कर आगे बढ़ते हैं। मंगल तथा केतु पर अगर अशुभ प्रभाव हो तो जातक धोखेबाज तथा तस्कर हो सकता है। ये धर्मभीरू भी होते हैं।
शिक्षा तथा आजीविका के साधन :—-
मंगल, केतु तथा अश्विनी कुमारों के प्रभाव से जातक डाक्टर, अभियन्ता, खिलाड़ी, ड्रामा, जमीन तथा मकान की खरीद-बिक्री, अग्निक्रिया से होनें वाला काम, सिनेमा पुलिस या मिलिट्री से सम्बन्धित कार्य से आजीविका चलता है।
पारिवारिक जीवन :—
इनका पारिवारिक जीवन सामान्य रहता है। इनका ज़िद्दी तथा प्रचंड व्यवहार के कारण इनके आसपास के लोग खुश नहीं रहते हैं। बल्कि इनसे दूर के लोगों से अधिक सहयोग मिलता है। मंगल के प्रभाव से प्रायः शादी 28 वर्ष के आसपास होती है।
स्वास्थ्य :—
मंगल, केतु तथा अश्विनी कुमारों के प्रभाव से सामान्यतया स्वास्थ्य ठीक रहता है। सामान्यतया सिर दर्द, दुर्घटना (एक्सिडेन्ट), सीना में परेशानी की सम्भावना रहती है।
स्त्री जातक :–
अश्विनी नक्षत्र के पुरुष जातक में जो गुण दोष होते हैं, प्रायः वही गुण दोष स्त्री जातक में भी पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त स्त्री जातक में निम्न लिखित गुण दोष पाए जाते हैं।
शारीरिक बनावट :—
शरीर गठीला तथा कुछ लम्बाई लिये होता है। शरीर तथा मुखाकृति आकर्षक होता है। आँखें कुछ-कुछ मछली की आँखों की तरह होती है। अगर इनका प्रथम मासिक श्राव अश्विनी नक्षत्र में ही प्रारम्भ होता है तो जातिका के पास प्रचूर मात्रा में धनागम होता है।
स्वभाव तथा सामान्य घटनाँएं :—
इनकी बातचीत इतनी मधुर तथा आकर्षक होती है कि एक बात करनें के बाद कोई भी इनके प्रति आकर्षित हो जाता है। इनमें धैर्य की मात्रा परिपूर्ण रहती है। मंगल के प्रभाव से इनमें शारीरिक यौन सुख की भूख बहुत रहती है। इनका रहन-सहन समय के मुताबिक होता है। स्त्री जातक की भी यही स्थिति होती है। स्त्री जातक की बोली बहुत ही मीठी होती है
शिक्षा तथा आजीविका के साधन :–
ये प्रशासनिक सेवा, अभियन्त्रण सेवा, चिकित्सा, बैंकिंग सेवा समाज सेवा, बिल्डर, जमीन या बिल्डिंग का निर्माण या खरीद बिक्री का काम से आजीविका प्राप्त करतीं हैं। शिक्षा कम या नहीं होनें पर ये इन्हीं कार्यों के निम्न पद पर काम करके आजीविका प्राप्त करती हैं। अगर ये किसी पद पर नियुक्त होतीं हैं तो भी नौकरी छोड़कर सामाजिक या अन्य किसी काम करनें में समय बिताती हैं। प्रायः कम ही महिलाएं सेवा की पूरी अवधि तक सेवा में रहती हैं।
पारिवारिक जीवन :—
इनका पारिवारिक जीवन सुखमय रहता है। मंगल के प्रभाव से सामान्यतया इनकी शादी 28 वर्ष के आसपास होती है। ये अपनें बच्चों तथा पति को अत्यन्त ही ब्यवस्थित रूप से रखतीं हैं।
स्वास्थ्य :—-
इनमें मासिक श्राव की परेशानी रहती है। इसको सावधानी पूर्वक गाड़ी चलाना चाहिये। क्योंकि मंगल तथा केतु के कारण दुर्घटना होनें की सम्भावना रहेगी।
अश्विनी नक्षत्र स्थित विभिन्न ग्रहों पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि/स्थिति का फल :—
अश्विनी नक्षत्र स्थित सूर्य पर मंगल की दृष्टि/स्थिति के कारण ऐसा जातक निर्दयी होता है। कारण अश्विनी नक्षत्र स्थित सूर्य पर केतु, मंगल तथा अश्विनी कुमार सभी ग्रह योद्धा (warrior) का पहले से प्रभाव रहता है, उस पर क्रूर ग्रह मंगल का प्रभाव होनें से जातक में दया की भावना की कमी रहेगी। इस नक्षत्र स्थित सूर्य पर चन्द्रमा की दृष्ट/स्थिति के प्रभाव से जातक में दया की भावना रहेगी। जातक को राजा के समान सभी प्रकार के सुख सुविधा की प्राप्ति होगी। सुर्य पर बुध की दृष्टि/स्थिति के प्रभाव से जातक सुन्दर व्यक्तित्व तथा सुख के साधनों से परिपूर्ण होगा। अच्छा सलाहकार होगा। बृहस्पति की दृष्टि/स्थिति से जातक अच्छा विद्वान राजा/ राजा का सलाहकार तथा दयालु प्रकृति का होगा। शुक्र की दृष्टि/स्थिति के प्रभाव से जातक सुन्दर तथा स्वस्थ्य होगा, परन्तु अन्य महिलाओं ओर तथा शारीरिक यौन सुख की ओर विशेष झुकाव रहेगा। शनि की दृष्टि/स्थिति पे प्रभाव से जातक उदासीन रहेगा। कारण अश्विनी नक्षत्र स्थित सूर्य पर पूर्व से ही शनि के शत्रु मंगल, केतु तथा सूर्य का प्रभाव रहता है