अपराधियों के प्रति नरमी, सत्तामोह और अखिलेश— शिवपाल की नजदीकियों से बढ़ी सियासी हलचल
भदोही। जिले की राजनीति को लगभग दो दशक तक अपनी दबंगई से प्रभावित करने वाले ज्ञानपुर के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा भले ही योगी सरकार में जेल की हवा खा रहे हैं किन्तु जेल में रहने के बावजूद भी वे भदोही की राजनीति से अलग नहीं हैं। जिले की चाय पान दुकानों चट्टी चौराहों पर आज भी बाहुबली चर्चा का केन्द्र बने हुये हैं। गत दिनों बाहुबली के गढ़ इनारगांव में समाजवादी पार्टी की राजनीतिक सभा में सपा मुखिया अखिलेश यादव द्वारा अपराधियों और माफियाओं के प्रति मौन धारण करने और उसी समय आगरा जेल में उनके चाचा शिवपाल यादव द्वारा बाहुबली से हुई मुलाकात भी लोगों में चर्चा का विषय बनी रही। लोगों में चर्चा व्याप्त है कि यदि सीधे सपा से नहीं तो शिवपाल के रास्ते एक बार फिर बाहुबली भदोही में समाजवादी पार्टी का खेवनहार बन सकते हैं।
गौरतलब हो गत दिनों इनारगांव में समाजवादी पार्टी द्वारा आयोजित शिक्षक सभा में सपा मुखिया ने योगी सरकार की कमियां और अपनी खूबियां गिनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी लेकिन अपराधियों माफियाओं के खिलाफ कुछ भी बोलने से बचते रहे। जिस विजय मिश्रा को पहले पानी पी पीकर कोसते थे उन्हीं के बारे में जुबान नहीं खोली। शायद उन्हें पता था कि विजय के गढ़ में विजय के खिलाफ कुछ भी बोलना उन्हें भारी पड़ सकता है। क्योंकि शिक्षक सभा के बहाने वे भदोही में ब्राह्मणों को लुभाने के लिये आये थे।
गौर करने वाली बात यह भी है कि पिछले 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव उत्तरप्रदेश से माफियाओं के सफाये की बात कर रहे थे। इसीलिये उन्होंने अपने पार्टी से अपराधिक छवि वाले कई नेताओं का टिकट काटकर पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखाया, लेकिन इसका खामियाजा उन्हें कई सीट गवांकर सहना पड़ा। कभी अपराधियों और माफियाओं की पनाहगाह का तमगा हासिल करने वाली समाजवादी पार्टी से जब माफिया दूर हुये तो पार्टी भी यूपी की सत्ता से दूर हो गयी।
सर्वविदित है कि जिस दिन अखिलेश यादव भदोही में शिक्षक सभा के बहाने अपनी अघोषित चुनावी सभा कर रहे थे, उसी दिन उनके चाचा शिवपाल यादव आगरा सेन्ट्रल जेल में ज्ञानपुर के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा और एमएलसी कमलेश पाठक से मुलाकात कर रहे थे। यह दोनों चर्चाएं जिले में जोरों से शुरू हो गयी हैं। बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चाचा और भतीजे के बीच मोहब्बत बढ़ती दिखायी दे रही है। अभी तक दोनों की मुलाकात भले ही नहीं हुई है किन्तु सपा मुखिया ने यह बात कबूल कर ली है कि उनकी बात फोन द्वारा चाचा से हो रही है। 2017 के चुनाव में शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने भले ही कोई बड़ा गुल न खिलाया हो किन्तु समाजवादी पार्टी के वोटरों को दो भाग में बांटने में कामयाब हुई थी जिससे इनकार भी नहीं किया जा सकता है। इसलिये पिछले चुनाव में युवराज और बुआ से धोखा खा चुका भतीजा इस बार अपने चाचा से गठबंधन कर सकता है।
बता दें कि बाहुबली विजय मिश्रा ज्ञानपुर विधानसभा से तीन बार समाजवादी पार्टी और चौथी बार निषाद पार्टी से विधायक चुने गये। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यदि समाजवादी पार्टी विजय मिश्रा को सीधे टिकट देने में गुरेज करेगी तो ज्ञानपुर सीट अपने चाचा की पार्टी प्रसपा को दे सकती है। शिवपाल यादव और विजय मिश्रा के बीच कितनी नजदीकियां हैं यह भदोही वालों से छुपी नहीं हैं। यदि प्रसपा ज्ञानपुर विधानसभा सीट से बाहुबली को मैदान में उतारती है तो जेल में बंद श्री मिश्रा का कद और भी बढ़ जायेगा। यहीं नहीं ज्ञानपुर से विधायक बनने का सपना देखने वालों के माथे पर गत दिनों शिवपाल—विजय की मुलाकात से पसीना चुहचुहाने लगा है। हाल फिलहाल अभी विधानसभा चुनाव में समय है किन्तु सभी राजनीतिक दल अपनी गोटियां सेट करने में लगे हुये हैं। आने वाले समय में राजनीतिक उंट किस करवट घूमेगा यह वक्त ही बतायेगा किन्तु शिवपाल—विजय की मुलाकात और शिवपाल—अखिलेश की मुलाकात ने भदोही में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है।